रुकावटों को तोड़ व्यापक हुआ मारुति आंदोलन

मारुति मजदूर आंदोलन : एक नजर मे – 5

(चुनौतियों के बीच मारुति मज़दूर आंदोलन का विस्तार… प्रोविजनल कमेटी के राम निवास की रिपोर्ट जारी…)

पाँचवीं क़िस्त

मारुति मज़दूरों का आंदोलन कई चरणों से गुजरकर आगे बढ़ता रहा। हर क़दम पर सरकार-प्रशासन-पुलिस और मारुति प्रबन्धन के नापाक गंठबंधन के दबाव व दमन को संघर्षशील मज़दूरों ने झेला। यहाँ तक कि निचली अदालत से लेकर सर्वोच्च अदालत तक खुलकर मालिकों के पक्ष में खड़ा रहा।

दूसरी ओर देश और दुनिया के मज़दूरों ने भी मारुति मज़दूरों के प्रति अपनी वर्गीय पक्षधरता दिखाई और आर्थिक सहयोग देने से लेकर आंदोलनात्मक सहयोग दिया।

आंदोलन के कई रूप…

जून -2013 : मारुति अन्याय के शिकार किसानों का समर्थन

गुजरात मेहसाणा में मारुति सुजुकी द्वारा किसानों की जमीन को अधिकृत करने के खिलाफ किसान आंदोलनों शुरू हुआ। इस आंदोलन के साथ भाईचारे दर्शाने व कंपनी की मज़दूर विरोधी नीतियों और मज़दूरों पर दमन को बताने के लिए प्रोविजनल कमेटी के साथी मेहसाणा गए। जहाँ किसानों के बीच अपनी बात और पर्चे के माध्यम से कंपनी की गलत नीतियों से अवगत कराया।

18 जुलाई -2013 : मानेसर चलो आह्वान पर इलाका बना पुलिस छावनी

18 जुलाई 2013 को मारुति कांड की बरसी पर ‘चलो मानेसर’ का नारा दिया गया और गुड़गांव से मानेसर तक जुलूस करने का निर्णय लिया गया। प्रशासन ने गुड़गांव व मानेसर को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया और हजारो की संख्या में पुलिस बल ने मजदूरों को लेजर वैली पार्क से बाहर ही नहीं निकलने दिया।

30 अगस्त -2013 आंदोलन पहुँचा दिल्ली के जंतर-मंतर

प्रॉविजनल कमेटी के नेतृत्व में मारुति मजदूरों ने अपनी आवाज़ को जनता की अदालत में ले जाने का फैसला किया। 30 अगस्त 2013 को जंतर-मंतर पर जनसुनवाई का आयोजन हुआ जिसमें सैकड़ों न्याय प्रिय लोगों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं, ट्रेड यूनियनों व जन संगठनों के साथ-साथ मारुति के बर्खास्त मजदूर अपने परिवारजनों के साथ शामिल हुए और अपनी आवाज़ बुलंद की।

अक्टूबर -2013 : प्रशासन के हथकंडों के विरोध में प्रदर्शन

कैथल जेल से 72 दिनों के बाद जमानत पर आए मज़दूरों को लेकर मारुति प्रोविजनल कमेटी सहित अन्य नेताओं ने फिर से 21 अक्टूबर को उद्योग मंत्री आवास पर विरोध प्रदर्शन करने का फैसला लिया। इसके ठीक पहले कैथल प्रशासन ने वहां धारा 144 लगा दी। इस अन्याय के खिलाफ सभी मजदूरों ने मुंह पर काली पट्टी बांधकर डीसी आवास पर अपना विरोध जताया।

दिसंबर -2013 : परिवारों ने किया भूख हड़ताल

मारुति के बर्खास्त मजदूर अपने परिवारों व अन्य समर्थक यूनियनों के सहयोग से उपयुक्त, गुड़गांव के समक्ष 20 व 21 दिसंबर को दो दिवसीय भूख हड़ताल का आयोजन किया और बहरे कानो तक अपनी आवाज़ पहुँचने की एक और कोशिश की।

जनवरी 2014 : कैथल से दिल्ली तक जनजागरण पदयात्रा

15 जनवरी से 31 जनवरी तक 17 दिवसीय जन जागरण पदयात्रा का आयोजन किया गया जो कि कैथल से शुरू होते हुए अंतिम जंतर मंतर पर सभा के रूप में समाप्त की गई। इससे हरियाणा से दिल्ली तक मारुति मज़दूरों की आवाज़ फैली, जन समर्थन मिला और आंदोलन का विस्तार हुआ।

अप्रैल – 2014 : संघर्षों से प्लांट में मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन स्थापित हुई

18 जुलाई 2012 के बाद से यूनियन प्रतिनिधियों के जेल में रहने के कारण मानेसर प्लांट में मारुति प्रबंधन ने वर्क्स कमेटी बनाकर यूनियन को खत्म करने का प्रयत्न किया। जिसके विरोध स्वरूप प्रोविजनल कमेटी ने न्यायालय में जाकर इलेक्शन कराने की गुहार लगाई। अंततः अप्रैल 2014 में प्रबंधन चुनाव कराने को मज़बूर हुआ। यह चुनाव कंपनी परिसर के भीतर हुआ। प्रबन्धन की तमाम कोशिशों के बावजूद मज़दूरों के सच्चे प्रतिनिधि ही जीते। उसके बाद से कंपनी में मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन एक स्वतंत्र मज़दूर यूनियन के रूप में स्थापित हुई।

क्रमशः जारी…

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