मोदी की तीसरी सरकार बनी तो जुलाई से चलेंगी 150 प्राइवेट ट्रेन, 2025 में होगी 500 निजी ट्रेन

योजना तैयार: प्रथम निजी रेलवे स्टेशन हबीबगंज से जुलाई में बेंगलुरू, चेन्नई, सिकंदराबाद निजी ट्रेनें चलेंगी। मोदी सरकार भारत गौरव एक्सप्रेस, तेजस एक्सप्रेस प्राइवेट ट्रेन चला भी रही है।

देश में यदि मोदी सरकार तीसरी पारी शुरू करती है तो रेलवे का निजीकरण भी और तेज हो जाएगा। पहले चरण में इस साल के अंत तक देशभर में 150 प्राइवेट ट्रेन चलाने की योजना बन चुकी है, 2025 के अंत तक इनकी संख्या 500 तक पहुंच जाएगी। बस चुनाव परिणाम की प्रतीक्षा है।

यही नहीं, रेल मंत्रालय की तरफ से अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 1000 से अधिक रेलवे स्टेशनों का हाईटेक करने के बहाने निजीकरण जारी है। स्थिति यह है कि प्लेटफ़ॉर्म पर वेटिंग रूम के तहत यात्रियों से 30 रुपए घंटे की वसूली हो रही है।

उल्लेखनीय है कि अंग्रेजी हुकूमत में देश में रेलवे महकमा निजी क्षेत्र में था। लगातार संघर्षों के बाद आज़ाद भारत में रेलवे सार्वजनिक क्षेत्र बना। इस देश के सबसे बड़े महकमें का अलग से रेल बजट भी घोषित होता था।

लेकिन मोदी सरकार ने अपनी पहली पारी से ही इसको निजी मुनाफाखोर कंपनियों को सौंपना शुरू कर दिया। रेलवे निजीकरण की ओर बढ़ा। यही नहीं, रेल बजट को भी मोदी सरकार ने खत्म करके आम बजट का हिस्सा बना दिया। धीरे-धीरे रेलवे निजी हाथों में जाता रहा।

कोरोना पाबंदियों के दौरान ट्रेन संचालन ठप्प कर दिया, वरिष्ठ नागरिकों को मिलने वाली रियायतें बंद कर दी, प्लेटफ़ॉर्म टिकट मनमाना किया और फिर स्पेशल ट्रेन के नाम पर अधिक किराया वसूली शुरू हुआ।

स्थिति यह है कि ज्यादातर ट्रेनों में स्लीपर क्लास बेहद सीमित करके एसी कोच बढ़ा दिए। नई ट्रेनों के नाम पर बेहद महंगी बंदे भारत ट्रेनों का संचालन तेजी से बढ़ा।

जुलाई से निजी ट्रेनें चलाने की तैयारी पूरी

निजीकरण योजना के तहत भोपाल के रानी कमलापति (हबीबगंज) स्टेशन (RKMP) से आगामी जुलाई से, यानि मोदी सरकार की तीसरी पारी शुरू होते ही, प्राइवेट ट्रेनें चलाना शुरु हो जाएगी। इसकी तैयारियां अंतिम चरणों में चल रही है।

ज्ञात हो कि रानी कमलापति (हबीबगंज) देश का पहला प्राइवेट रेलवे स्टेशन है, जहां से जुलाई में बेंगलुरू, चेन्नई, सिकंदराबाद तक प्राइवेट ट्रेनें चलेंगी। संबंधित कंपनियां शेड्यूल निर्धारित करने के बाद ट्रेनों को शुरू करने की तारीख घोषित करेगी।

हबीबगंज से इन रूट पर दौड़ेगी प्राइवेट ट्रेन

जुलाई से RKMP (हबीबगंज) स्टेशन से बेंगलुरू, चेन्नई और सिकंदराबाद के लिए प्राइवेट ट्रेनें  चलेंगी। 15 कंपनियों ने प्राइवेट ट्रेनों के संचालन के लिए अपने प्रस्ताव दिए हैं। संबंधित कंपनियां शेड्यूल निर्धारित करने के बाद ट्रेनों को शुरू करने की तारीख घोषित करेगी।

रेल इंजन बनाने वाली भारत फोर्ज, रेल कोच बनाने वाली टीटागढ़ वैगन, कंटेनर निर्माण करने वाली गेट रेल, इंजन के पुर्जे बनाने वाली मेधा इंजीनियरिंग, कोच डिजाइन करने वाली कैप इंडिया, हिंद रेक्टिफायर्स लिमिटेड, इलेक्ट्रिकल मशीन बनाने वाली आई बोर्ड इंडिया, तकनीकी मशीनरी निर्माता पीएसजीजी, बीईएमएल और एनर्जी संबंधी उपकरण बनाने वाली बीएचईएल इनमें शामिल हैं।

अडानी ग्रुप की विशेष रुचि

प्राइवेट ट्रेनों के संचालन के लिए इन्वेस्टमेंट, फंड रेजिंग, पावर सेक्टर और कैटरिंग का काम करने वाली निजी कंपनियां रुचि ले रही है। यह भी सामने आ रहा है कि अडानी ग्रुप का प्राइवेट ट्रेन के संचालन में विशेष रुचि है।

अडानी ग्रुप ने पिछले साल ही आनलाइन रेलवे प्लेटफार्म ट्रेनमेन को टेकओवर किया। अब स्पष्ट है कि अडानी ग्रुप प्राइवेट ट्रेन के संचालन में भी रुचि रख रहा है। ताकि वे अपने काम को प्राइवेट ट्रेन चलाकर अगले चरण में ले जा सके। हालांकि अडानी ग्रुप अभी चुनाव तक मौन है।

इस साल 150 तो 2025 में 500 प्राइवेट ट्रेन चलाने का लक्ष्य

रेलवे ने इस साल के अंत तक रेलवे ने देशभर में 150 प्राइवेट ट्रेनें चलाने का लक्ष्य रखा है। 2025 के अंत तक इनकी संख्या 500 तक पहुंच जाएगी।

मोदी सरकार का दावा

  1. प्राइवेट ट्रेन में सुविधाएं बढ़कर मिलेंगी।
  2. ये ट्रेनें फास्ट होंगी और लेट भी कम होगी।
  3. संबंधित रूट की सरकारी या प्राइवेट में से किसी भी ट्रेन यात्रा का विकल्प होगा।
  4. निजी रेलवे ट्रेनों को हाई स्पीड में चलाने के लिए ट्रैक बिछाने से लेकर अपग्रेड करने का काम हो रहा है। इसके अंतर्गत तीसरी लाइन भी बिछाई जा रही है।
  5. ट्रेनों की स्पीड को इस साल के अंत तक 130 से बढ़ाकर 160 किमी प्रति घंटे करने का लक्ष्य है। वहीं 2025 के अंत तक स्पीड को 180 किमी प्रति घंटे पर पहुंचा दिया जाएगा।

सच क्या है?

  1. देश का सबसे बड़ा सार्वजनिक परिवहन और आम जनता की जीवनरेखा निजी हाथों में।
  2. संचालन करने वाली कंपनी किराया तय करेंगी।
  3. सामान्य ट्रेनों से 15-25 फीसदी तक ज्यादा किराया होगा।
  4. सरकारी ट्रेनों की लगातार खराब होती स्थिति में, जो कि बड़े ही सचेतन किया जा रहा है, यात्रियों को निजी ट्रेन से जाने के लिए मजबूर किया जाएगा।

प्राइवेट ट्रेनों पर रेलवे का कितना नियंत्रण

  1. पूरा इंफ्रा स्ट्रक्चर, जोकि जनता की गढ़ी कमाई से खड़ा है, वह सरकार का होगा और उससे मुनाफा निजी मालिकों को होगा।
  2. प्राइवेट ट्रेनों के लिए सरकारी गार्ड और लोको पायलट रेलवे के होंगे।
  3. रेलवे प्राइवेट और सरकारी ट्रेनों के बीच एक घंटे के गैप को मेनटेन करेगा।
  4. प्राइवेट ट्रेन के लेट होने पर रेलवे संचालन करने वाली कंपनी पर जुर्माना लगाएगी।

स्पष्ट है कि सरकारी ट्रेनें और लेट होंगी, जबकि निजी ट्रेनें समय से संचालित होंगी। गरीब यात्री भुगतेंगे या उसकी जेब पर डकैती और बढ़ेगी। जबकि पैसे वालों की चांदी होगी।

मोदी सरकार शुरू कर चुकी है प्राइवेट ट्रेन

मोदी सरकार ने भारत गौरव स्कीम के तहत 2021 में प्राइवेट ट्रेन भारत गौरव एक्सप्रेस शुरू किया था। इस ट्रेन को लीज पर लेकर टूरिस्टों के लिए चलाया जाता है।

इससे पूर्व साल 2020 में पहली प्राइवेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस के नाम से मोदी सरकार शुरू कर चुकी है। अब मोदी जमात को चुनाव परिणाम का इंतजार है, फिर तो निजी ट्रेनों का ही जलवा होगा!