साहित्य/सिनेमा

आधुनिक सभ्यता पर कड़ा प्रहार करता प्रेमचंद का लेख “महाजनी सभ्यता”

‘इस महाजनी सभ्यता ने दुनिया में नयी रीति-नीतियाँ चलायी हैं ...जहाँ लेन-देन का सवाल है, रुपये का मामला है वहाँ...

मई दिवस: मज़दूर आंदोलन की नायिका लूसी पार्सन्स का अदालत में दिया गया बयान

मई दिवस के अमर शहीद नायकों में एक अल्बर्ट पार्सन्स की पत्नी और साथी लूसी पार्सन्‍स का अदालत में दिया...

सामाजिक मुद्दों पर बनी दो फिल्में समारोह से हटाई गईं

नई दिल्ली: ओडिशा में कटक के रेनशॉ विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा आयोजित एक फिल्म समारोह को पहले रद्द कर दिया...

वरिष्ठ साहित्यकार शेखर जोशी के निधन पर मज़दूर ज़िंदगी पर केंद्रित उनकी कहानी ‘बदबू’

शेखर जोशी फैक्ट्रियों व मज़दूरों के संघर्ष को देखा, अपनी कहानियों में तेल, मिट्टी, कालिख से सने मज़दूरों की जिंदगी...

मंटो के जन्म दिवस पर उनकी एक मार्मिक और जीवंत कहानी “आखि़री सल्यूट”

सआदत हसन मंटो की यह कहानी आज़ादी के बाद कश्मीर के लिए दोनों मुल्कों में होने वाली पहली जंग की...

मई दिवस अन्तेष्टि : जब मज़दूरों का हुजूम उमड़ पड़ा; सुनाई पड़ती थीं सिर्फ सांसें और क़दमों की आहट

मई दिवस के शहीदों की ऐतिहासिक अन्तेष्टि की यह कहानी मई दिवस पर केन्द्रित हावर्ड फास्ट के मशहूर उपन्यास ‘दि...

दलित उत्पीड़न व संघर्ष पर केंद्रित फिल्म “जय भीम” : नई सोच लेकिन सीमा भी स्पष्ट

मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस चंद्रा के एक चर्चित केस पर आधारित यह फिल्म तमिलनाडु की एक जनजाति के उत्पीड़न...

“आक्रोश” : हाशिये पर खड़े लोगों के अमानवीय हालात और सत्तातंत्र के सामने लाचारी दर्शाती फिल्म

इस फिल्म को देखते हुए लगातार एहसास होता है कि किस प्रकार करोड़ों लोग प्रभुत्वशाली वर्ग के शोषण और अन्याय...