मारुति कांड : फैसले के ख़िलाफ़ उठी आवाज़

मारुति मजदूरों की अन्यायपूर्ण सजा के ख़िलाफ़ गुडगाँव से लेकर पूरे देश में आवाज़ बुलंद हुई…

मारुति मजदूर आंदोलन : एक नजर मे – 8

(कोर्ट का फ़ैसला इसी  दमनचक्र की कड़ी है… प्रोविजनल कमेटी के राम निवास की रिपोर्ट जारी…)

आठवीं क़िस्त-

ग्रैज़ियानो, रीजेंट, प्रिकॉल से मारुति तक

ऊर्जा और उम्मीद से लबरेज यह संघर्ष इस औद्योगिक क्षेत्र और होंडा, रीको, अस्ति, श्रीराम पिस्टन, डाईकिन से लेकर बेलसोनिका के मजदूरों को इस तरह के शोषण के खिलाफ लड़ने के लिए एक सकारात्मक ऊर्जा देता है। मजदूरों की इस सामूहिकता की भावना को कुचलना और कंपनी के हित में सबक सिखाना जरूरी था। इस तरह के संघर्ष और मज़दूर आंदोलनों के दमन के मामले ग्रैज़ियानो ट्रांसमिशन नोयडा, रीजेंट सेरेमिक्स पुदुचेरी, चेन्नई में प्रिकौल में भी हुए है। यह फ़ैसला इसी  दमनचक्र की कड़ी है जो इसके तीखेपन को बढ़ाता है। इसलिए औद्योगिक क्षेत्रों को पुलिस छावनी में बदला गया।

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सरकार प्रबंधन के साथ श्रमिकों के विवादों को लॉ एंड आर्डर की समस्या में बदलबदलते हुए, यूनियन बनाने के अपने अधिकारों तथा ठेका प्रथा के खिलाफ संघर्षरत मजदूरों को अपराधी बता रही है। लेकिन मज़दूर ना तो भयभीत हुए, ना ही इस लगातार तीखे दमन से थके।

9 मार्च से ही विरोध का सिलसिला शुरू हुआ

10 मार्च, 2017 को गुडगाव कोर्ट में अपराधिक मुक़दमें झेल रहे मारुति के मज़दूरों का फैसला आना था। औद्योगिक क्षेत्र के लाखों मज़दूर 9 मार्च से लगातार समर्थन में कार्यक्रम करते रहे। 16 मार्च को हरियाणा, राजस्थान, यू,पी, तमिलनाडु के करीब लाखों मजदूरों ने भूख़ हड़ताल की।

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सजा के विरोध में मारुति प्लांटों में टूल डाउन

10 मार्च के फैसले के आधार पर 18 मार्च को सजा मुकर्र हुई। इस फ़ैसले के तुरंत बाद मारुति सुजुकी के 5 प्लांटों के करीब 30 हजार मजदूरों ने 1 घंटे की टूल डाउन हड़ताल की। प्रबंधन द्वारा काम का दबाव बढ़ाने और 8 दिन के वेतन कटौती का नोटिस देकर इसे रोकने का प्रयास करने के बावजूद मजदूरों ने एकजुटता दिखाई।

पूरे इलाके के मजदूरों ने दिखाई एकजुटता

गुड़गांव -मानेसर -धारूहेड़ा -बावल नीमराणा इंडस्ट्रियल बेल्ट, चेन्नई, ग्रेटर नोएडा के विभिन्न प्लांटों के मजदूरों ने गुड़गांव कोर्ट के राजनीतिक फैसले के ख़िलाफ़ मारुति के साथियों के समर्थन में व्यापक एकजुटता दिखाते हुए, खाने का बहिष्कार किया।

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गुडगाँव से धारूहेड़ा तक पूरे बेल्ट के करीब 40 से ज्यादा कंपनियों के 1 लाख से ज्यादा मज़दूरों ने अपना विरोध व्यक्त किया। छोटी बड़ी सभी कंपनियों में स्थायी, ठेका, कैजुअल, अप्रैंटिस, सफाई कर्मचारियों ने भी खाने का बहिष्कार किया।

मारुति सुजुकी कार प्लांट मानेसर ,मारुति सुजुकी कार प्लांट गुड़गांव, मारुति सुजुकी पॉवर ट्रैन प्लांट मानेसर , सुजुकी बाईक प्लांट मानेसर, बेलसोनिका मानेसर, एफएमआई मानेसर, होण्डा बाईक प्लांट मानेसर, हीरो बाईक प्लांट (गुड़गांव, धारूहेड़ा), सनबीम गुड़गांव, मेट्रो गुड़गांव, हेमा इंजीनियरिंग गुड़गांव, अस्ती इलेक्ट्रॉनिक्स गुड़गांव, बजाज गुड़गांव, एमके ऑटो गुड़गांव, ईएनकेवई गुड़गांव, मुंजाल सवा (गुड़गांव,मानेसर), भूपेन दास गुड़गांव, सत्यम ऑटो मानेसर, एफसीसी मानेसर, फ्रीगो ग्लास मानेसर, प्रिकॉल मानेसर, डिगनिया मेडीसीन मानेसर, इंडोरेन्स मानेसर, परफेट्टी मानेसर, टालब्रॉस मानेसर, मुंजाल किरु मानेसर, नैपिनो ऑटो मानेसर, अमूल मिल्क प्लांट मानेसर, जीकेएन धारूहेड़ा, रीको धारूहेड़ा, ऑटोफिट धारूहेड़ा, ओमेक्स धारूहेड़ा, माइक्रोटेक बावल, हरसूर्या बावल, नैरोलेक बावल, अरेस्टी बावल, डाईकिन एयर कंडीशनिंग नीमराणा, मोजर बियर ग्रैटर नोएडा, शान्ति गियर चेन्नई, ऑन लोड गियर चेन्नई आदि प्लांटों के मज़दूरों के खाने का बहिष्कार किया।

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देश के विभिन्न हिस्सों में प्रदर्शन

इसके अलावा देश के विभिन्न शहरों दिल्ली, लुधियाना, भिलाई, बैंगलोर, चेन्नई, रुद्रपुर, कैथल में ट्रेड यूनियनों और जन संगठनों ने मारुति मज़दूरों के समर्थन में जोरदार विरोध प्रदर्शन किया।

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23 मार्च, 2017 को शहीदे आज़म भगत सिंह के शहादत दिवस पर मारुति सुजुकी मज़दूर संघ जो 6 मारुति प्लांटो के सामूहिक संगठन ने हजारों मजदूरों को इकट्ठा कर मानेसर में विरोध रैली करने के लिए मानेसर चलो आह्वान को सफल बनाया।

क्रमशः जारी…

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