मारुति संघर्ष : न्यायपालिका भी पूँजी के हित में खडी

मारुति मज़दूरों की जमानत याचिका पर चंडीगढ़ उच्च न्यायालय के जज ने साफ कहा था कि यदि मारुति मज़दूरों को जमानत दी गयी तो विदेशी निवेश प्रभावित होगा। साफ है कि आज पूँजी की निमर्म लूट के सामने मज़दूर की कोई औकात नहीं है…

मारुति मजदूर आंदोलन : एक नजर मे – 9

(निचली अदालत से देश के सर्वोच्च अदालत तक का एक ही रुख, 7 सालों में किसी मज़दूर की ज़मानत तक नहीं… प्रोविजनल कमेटी के राम निवास की रिपोर्ट जारी…)

नौवीं क़िस्त-

7 साल से जेल, सुप्रीम कोर्ट ने भी जमानत अर्जी ठुकराई

अन्यायपूर्ण उम्रक़ैद की सजा भुगत रहे 13 मारुति मज़दूरों में से एक धनराज भम्भी की जमानत याचिका देश की सर्वोच्च अदालत ने ख़ारिज कर दी। मजदूरों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रेबेका जॉन और वृंदा ग्रोवर के सामान्य तर्कों को भी कोर्ट ने नकार दिया।

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हालत यह थी कि दो सदस्यी पीठ के जजों मोहन एम शन्तनागौदर और संजीव खन्ना ने जमानत की फाइल पर कोई दलील तक सुनने से मना करते हुए मारुति मज़दूर नेताओं को अपराधी बता दिया। पूर्वाग्रह इतना कि निर्धरित न्यायिक प्रक्रिया का भी पालन नहीं, किसी तर्क को सुनने तक की बाध्यता नहीं। जब देश के सर्वोच्च अदालत की यह स्थिति हो तो समझा जा सकता है कि हालात क्या हैं?

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न्यायपालिका की पक्षधरता

कुछ साल पहले मारुति मज़दूरों की जमानत याचिका पर चंडीगढ़ उच्च न्यायालय के जज ने साफ कहा था कि यदि मारुति मज़दूरों को जमानत दी गयी तो विदेशी निवेश प्रभावित होगा। साफ है कि आज पूँजी की निमर्म लूट के सामने मज़दूर की कोई औकात नहीं है।

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नवम्बर, 2018 में उम्र क़ैद की सजा भुगतते 13 मजदूरों में से 3 संदीप ढिल्लो, सुरेश और धनराज बाम्बी दी ज़मानत याचिका पर चंडीगढ़ उच्च नयायालय ने वाही रुख़ अपनाते हुए उनकी ज़मानत याचिका निरस्त कर दी थी।

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यह स्पष्ट है कि मारुति के बेगुनाह मज़दूर वर्ग-संघर्ष के प्रमुख शिकार हैं। न्यायपालिकाओं के ऐसे रुख से यह स्पष्ट है कि नव उदारवाद के इस दौर में सरकारों और शासन-प्रशासन सहित न्यायपालिका भी अब मालिकों के पक्ष में खुलकर सामने है।

यह घ्यान देने की बात है कि बैंकों से लेकर टू जी घोटालेबाज और स्वमिओं-बाबाओं सहित तमाम बलात्कारी खुलेआम घूम रहे हैं, दुर्घटना के बहाने फैक्ट्रियों में मज़दूरों को मारने वाले मालिक बेदाग़ हैं, वहीं बेगुनाह मज़दूरों को 7 साल से जमानत भी न मिलना साफ करता है कि सत्ता प्रतिष्ठानों के साथ न्यायपालिका भी किसके पक्ष में खड़ी है!

क्रमशः जारी…

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