18 जुलई 2012 की साज़िश की स्मृति में मारूति सुजुकी मज़दूर संघ का ज़ोरदार प्रदर्शन
18 जुलाई, गुड़गांव | आज मारूति सुजुकी मज़दूर संघ के आह्वान पर राजीव चौक से गुड़गांव के डीसी कार्यालय तक जुलूस व धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया।

उठायी निकाले गए सभी मज़दूरों की पुनःबहाली व सारे आपराधिक मुकदमों को रद्द करने की मांग
18 जुलाई, गुड़गांव | आज मारूति सुजुकी मज़दूर संघ के आह्वान पर राजीव चौक से गुड़गांव के डीसी कार्यालय तक जुलूस व धरना प्रदर्शन का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम 18 जुलाई 2012 को मारूति के मानेसर प्लांट में हुई घटना की स्मृति ताज़ा करता है जिसका इस्तेमाल करके मारूति प्रबंधन ने 546 पक्के मज़दूरों, 1800 ठेका मज़दूरों को नौकरी से निकाला और 149 मज़दूरों को गिरफ्तार करवाया जिसमें 13 मज़दूरों को उम्र कैद की सज़ा सुनाई गयी जबकि बाकी 117 मज़दूर बाइज्ज़त बरी किए गए, 5 मज़दूरों को 5 साल की सज़ा हुई व अन्य 14 को जेल में बिताए के आधार पर सज़ा पूरी कर लेने पर रिहा कर दिया गया। पिछले साल उम्र कैद की सज़ा काट रहे पहली यूनियन के बॉडी में रहे मज़दूर 10 साल की कठोर सज़ा के बाद उच्च न्यायलय द्वारा ज़मानत पर बाहर आये।

यूनियनों पर दमन, रोज़गार का अस्थायीकरण, मज़दूर आंदोलन पर आपराधिक केस थोपना इत्यादि क्षेत्र में मैनेजमेंट की मनमानी के अलग अलग चाहरें दिखाते हैं। मारुति के आंदोलन में उठा ठेका प्रथा का सवाल आज भी पूरे क्षेत्र में ज्वलंत संघर्ष बन कर खड़ा है। प्रोटेरियल के ठेका श्रमिक 20 दिन से हड़ताल पर हैं जहाँ प्रबंधन 10 साल से कार्यरत ठेका मज़दूरों को भी न्यूनतम वेतन से अधिक देने, ग्राचुइटी, वैधानिक छुटियां देने व उन्हें पक्के मज़दूरों का दर्जा देने को तैयार नहीं है। दूसरी ओर 2012 में बिना किसी जांच के निकाले गए 546 मारुति मानेसर के मज़दूर आज भी श्रम न्यायलय में केस के निपटारे की राह देख रहे हैं लेकिन 10 साल बीतने के बाद भी इंसाफ की कोई झलक तक नज़र आनी बाक़ी है।

प्रदर्शन में मारुति के बर्खास्त मज़दूरों की पुनःबहाली, समान काम पर समान वेतन, स्थायी काम पर स्थायी रोज़गार व अन्य मांगों को ज़ोरदार रूप से उठाया गया। प्रदर्शन को मारूति के चार प्लांट, मारूति सुजुकी वर्कर्स यूनियन की प्रोविजनल कमेटी, बेल्सोनिका, हीरो, केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व मज़दूर सहयोग केंद्र के साथियों ने संबोधित किया। इसके अतिरिक्त सनबीम व प्रोटेरियल की ठेका मज़दूरों की यूनियन, व इंकलाबी मज़दूर केंद्र, मज़दूर पत्रिका की भागीदारी रही। प्रदर्शनकर्ताओं द्वारा डीसी को ज्ञापन सौंपा गया।
मारुति मज़दूर आंदोलन : एक नज़र मे
(अन्यायपूर्ण दमन के साथ अन्यायपूर्ण सजा भोगते मारुति के संघर्षरत मज़दूरों के साथ असल में हुआ क्या… मेहनतकश वेबसाइट में धारावाहिक 10 किस्तों में प्रकाशित मारुति आंदोलन की जीवंत तस्वीर प्रस्तुत करता है…)
संलग्न लिंक पर क्लिक करके पढ़ें/जानें-
- पहली क़िस्त- मारुति मजदूर आंदोलन : एक नजर मे–1
- दूसरी क़िस्त- संघर्ष, यूनियन गठन और झंडारोहण
- तीसरी क़िस्त – दमन का वह भयावह दौर
- चौथी क़िस्त- दमन के बीच आगे बढ़ता रहा मारुति आंदोलन
- पाँचवीं क़िस्त- रुकावटों को तोड़ व्यापक हुआ मारुति आंदोलन
- छठीं क़िस्त- मारुति आंदोलन : अन्याय के ख़िलाफ़ वर्गीय एकता
- सातवीं क़िस्त- मारुति कांड : जज और जेलर तक उनके…
- आठवीं क़िस्त- मारुति कांड : फैसले के ख़िलाफ़ उठी आवाज़
- नौवीं क़िस्त- मारुति संघर्ष : न्यायपालिका भी पूँजी के हित में खडी
- दसवीं (अंतिम) क़िस्त- मारुति संघर्ष का सबक : यह वर्ग संघर्ष है!
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