“अपने संघर्ष के बल पर बर्ख़ास्त मज़दूर भी वापिस प्लांट के अन्दर जाएंगे” – मारुति मज़दूरों का गुड़गांव में ज़ोरदार प्रदर्शन

15 फरवरी, 2023 को गुड़गांव डीसी कार्यालय पर मारुति मजदूरों द्वारा धरना दिया गया। मारूति सुजुकी मज़दूर संघ के आह्वान पर हुए प्रदर्शन में 2012 में बर्ख़ास्त मारूति मज़दूरों, प्लांट में कार्यरत मज़दूरों, हिताची और सनबीम के संघर्षरत ठेका मज़दूरों और मारूति की वेंडर प्लांट बेल्सोनिका के मज़दूरों का ऊर्जापूर्ण समागम हुआ।

स्थायी और टर्मिनेटेड मज़दूरों की एकता के साथ जुड़े क्षेत्र के संघर्षरत ठेका मज़दूर

अपने संघर्ष का क्रम आगे बढ़ाते हुए15 फरवरी, 2023 को गुड़गांव डीसी कार्यालय पर मारुति मजदूरों द्वारा धरना दिया गया। मारूति सुजुकी मज़दूर संघ के आह्वान पर हुए प्रदर्शन में 2012 में बर्ख़ास्त मारूति मज़दूरों, प्लांट में कार्यरत मज़दूरों, हिताची और सनबीम के संघर्षरत ठेका मज़दूरों और मारूति की वेंडर प्लांट बेल्सोनिका के मज़दूरों का ऊर्जापूर्ण समागम हुआ। साथ ही मारूति के अन्य प्लांटों व हीरो की यूनियन व विभिन्न केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने भी प्रदर्शन में मौजूदगी दर्ज कराई।

मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) के विभिन्न घटक संगठनों के प्रतिनिधियों ने देश भर में टर्मिनेटेड मज़दूरों के संघर्ष को मिल रहे समर्थन को दर्ज कराया, इनमें जन संघर्ष मंच हरियाणा, मज़दूर सहयोग केंद्र, इंकलाबी मज़दूर केंद्र, इफ्टू (सर्वहारा), ग्रामीण मज़दूर यूनियन बिहार शामिल रहे। साथ ही श्रमिक संग्राम समिति, केएनएस व मारुति से 2000 के आंदोलन में बर्ख़ास्त मज़दूर जैसे विभिन्न संघर्ष में लगे साथियों ने प्रदर्शन में भागीदारी निभाई।

सभी वक्ताओं ने एक दशक बीत जाने के बाद भी मारुति के निकाले हुए मजदूर संघर्ष की राह पर डटे रहने को पूरे देश के मज़दूर आन्दोलन के इतिहास में एक मिसाल कायम करते हुए बताया।

न्यायपालिका से श्रम विभाग, सब मालिकों के साथ खड़े मिले हैं: टर्मिनेटेड मारूति मज़दूर

टर्मिनेटेड मारुति मजदूरों की ओर से बात रखते हुए साथी कटार ने बताया कैसे मज़दूर अपने हक की लड़ाई में राज्य और देश की तमाम राजनीतिक पार्टियों और प्रशासनिक कार्यालयों पर धरने दे चुके हैं, गुहारें लगा चुके हैं लेकिन मजदूरों और उनके परिवारों को हर जगह से निराशा ही हाथ लगी है। न्यायपालिका हो या श्रम विभाग सब मालिको‌ के खेमे में खड़े पाए गए हैं। यूनियन बनाने को लेकर शुरू हुआ एक संघर्ष कब और कैसे वर्ग संघर्ष में बदल जाता है ये हमने इस लड़ाई में जाना है।

आज जहां पर हम खड़े हैं वह यूनियनों को खत्म करने का दौर है, नए मजदूर कानूनों को लागू करने का दौर है, नाम तो मजदूर कानून है पर असल में है मालिकों के कानून। हमारी मंजिल संघर्ष के रास्ते ही मिलनी है और इसीलिए एक दशक बाद भी हम संघर्ष की राह अपनाने पर अमादा हैं।

ठेका मज़दूर अपने संघर्ष खड़े करके देंगे बर्ख़ास्त मारूति मज़दूर को भी उर्जा: हिताची ठेका श्रमिक

हिताची प्रोटेरिअल ठेका मज़दूर यूनियन की ओर से साथी राजेश ने बताया कैसे ठेका मज़दूरों के मांग पत्र लगाने से ही उनके 25 साथियों को टर्मिनेट कर दिया। उन्होंने ठेका मज़दूरों द्वारा अपनी खुद की यूनियन बनाने और अपनी मांगों को खुद उठाने की ज़रूरत और महत्व को उजागर किया। उन्होंने बताया कैसे परमानेंट मज़दूरों की यूनियन होने पर भी उनकी इतनी ताकत नहीं है की वो ठेका मज़दूरों के पक्ष में खड़े हों।

बेल्सोनिका के महासचिव अजीत ने अपने संघर्स का अनुभव साझा करते हुए बताया कैसे कानूनी फैसला आने पर भी संघर्ष से ही लागू काराने पड़ते हैं, व ठेका प्रथा जैसी कंपनी की गैर कानूनी हरकतों पर कोई कानूनी कार्यवाही नहीं हो रही है।

मानेसर कार प्लांट के प्रधान पवन, पॉवरट्रेन से प्रधान मनोज और मारुति गुड़गाँव प्लांट से राजेश ने सभी प्लांटों के बीच तालमेल से बर्ख़ास्त मज़दूरों को पूरा समर्थन देने का वादा किया।

तोड़ने होंगे मज़दूरों में बने विभाजन: क्रांतिकारी संगठनों का आन्दोलन को पैगाम

एकत्रित तमाम मजदूर संगठन और क्रांतिकारी संगठनों ने बताया कैसे मालिकों के इस शोषण के पहिए में रोज कितने ही मजदूर पीस कर मर जा रहे हैं जिनको देखने और सुनने वाला कोई नहीं है। आन्दोलन चलाने में मज़दूरों के बीच बने स्थायी-अस्थायी, जाति-धर्म-क्षेत्र के विभाजनों को तोड़ने, अपनी ताकत का सही आंकलन करने, एक लंबी लड़ाई की तैयारी रखने व संघर्ष को जुझारू, निरंतर और निर्णायक दिशा देने की ज़रुरत पर जोर दिया।

उन्होंने बताया कैसे मारुति के टर्मिनेटेड मजदूरों पर जो हमला है वह एक राजनीतिक हमला है और मजदूरों को भी अपने वर्ग की राजनीति से ही उसका मुकाबला करना होगा। ज़रुरत है की आन्दोलन का इतना अनुभव पा चुके मारूति मज़दूर बस अपने लिए नहीं बल्कि औरों के लिए हक की लड़ाई में शामिल हों।

मालिक इकट्ठा होकर ही हमला करते हैं, और मज़दूर भी सभी ठेका और अप्रेंटिस मजदूरों को शामिल कर के ही ऐसी एकता बना सकते हैं जिससे मालिक लोग डरते हैं।

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