गुजरात अम्बुजा मज़दूरों का भारी दमन

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फैक्ट्री पर धरनारत मज़दूरों-महिलाओं पर पुलिस हमलावर, किया गिरफ्तार, संघर्ष के दबाव में देर रात सबकी हुई रिहाई

सितारगंज (उत्तराखंड) । एकबार फिर उत्तराखंड की भाजपा सरकार का दमनकारी चेहरा सामने आया, वह भी गाँधी दिवस पर। गुजरे 30 जनवरी को गुजरात अम्बुजा कंपनी सिडकुल सितारगंज में पुलिस व पीएससी ने आंदोलनकारी मज़दूरों व महिलाओं पर लाठीचार्ज किया, मज़दूरों व महिलाओं को बसों में भरकर उठा ले गए। लेकिन संघर्षपूर्ण जज्बे के बाद देर रात सबकी रिहाई हो गई।

मज़दूर संगठन इसके ख़िलाफ़ सितारगंज में आज विरोध सभा कर रहे हैं।

ज्ञात हो कि गुजरात अंबुजा एक्सपोर्ट लिमिटेड, सिडकुल, सितारगंज, उधम सिंह नगर के मज़दूर विभिन्न माँगों को लेकर 28 जनवरी से बेमियादी हड़ताल पर चले गए। श्रमिकों ने प्रबंधन पर शोषण का आरोप लगाते हुए आंदोलन छेड़ा था। उन्होंने इसके विरोध में बेमियादी धरना शुरू कर दिया था। श्रमिकों के धरने में उनके घर की महिलाएं बच्चों सहित कूद पड़े थे। इस आंदोलन की अगुवाई महिलाएं कर रही हैं।

दरअसल, मज़दूरों व महिलाओं का कंपनी के निकट शांतिपूर्ण धरना चल रहा था। इस बीच पुलिस ने आंदोलनकारियों पर लाठियां भांजी और जो भी हाथ आया उसे गिरफ्तार कर लिया। पुलिस पुरुषों व महिलाओं को अलग-अलग थानों में ले गई।

महिलाओं सहित मज़दूरों पर इस बर्बरता से नाराज इलाके के मज़दूर व महिलाएं आक्रोशित हो गईं। उन्होंने बच्चों के साथ प्रशासन व फैक्ट्री प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ सितारगंज के नकुलिहा चौराहे पर जाम लगा दिया। इस पूरे दौरान महिलाएं डटी रहीं।

अंततः भारी दबाव में पुलिस को गुजरात अंबुजा के समस्त गिफ्तार मज़दूरों व महिलाओं को छोड़ना पड़ा।

इस दमन के विरोध में आज सितारगंज में विरोध सभा चल रहा है। रुद्रपुर व अन्य जगहों पर भी विरोध प्रदर्शन की तैयारी चल रही है।

मज़दूर शोषण-उत्पीड़न व माँगपत्र पर सुनवाई, न्यूनतम वेतन दिए जाने, निलंबन वापस लेने, सबको नियुक्ति पत्र व परिचय पत्र देने आदि कि न्यायपूर्ण माँग को लेकर संघर्षरत हैं।

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