माइक्रोमैक्स मज़दूर का प्रधानमंत्री के नाम पत्र

400 दिन से संघर्षरत हैं भगवती- माइक्रोमैक्स के मज़दूर, एक मज़दूर ने प्रधानमंत्री शिकायत प्रकोष्ठ कोे भेजा है ‘अपने मन की बात’

उत्तराखंड के सिडकुल, पंतनगर स्थित भगवती प्रोडक्ट्स (माइक्रोमैक्स) के मज़दूरों की ग़ैरक़ानूनी छंटनी-बंदी के ख़िलाफ़ संघर्ष के 400 दिन हो गए। पूरा मामला ज़मीनी संघर्ष से लेकर क़ानूनी लड़ाई तक जारी है। कुछ दिनों पूर्व एक संघर्षरत मज़दूर ने प्रधानमंत्री के शिकायत प्रकोष्ठ में पत्र भेजा है। उस पत्र पर क्या कार्यवाही होगी, उसपर किसी टिप्पड़ी के बगैर वह भावपूर्ण पत्र हम यहाँ प्रकाशित कर रहे हैं।

यह पत्र आज के दौर के मज़दूर के सामने खड़ी समस्या की एक बानगी है, जो अपने आप में बहुत कुछ कह रहा है!

आदरणीय प्रधानमंत्री जी,

महोदय आपको देवभूमि उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर जिले में स्थित कम्पनी भगवती प्रोडक्ट्स लिमिटेड (माइक्रोमैक्स) के प्रबंधन द्वारा गैरकानूनी रूप से छंटनी किए गए 303 छंटनीशुदा, बेरोजगार हुए, भुखमरी और बदहाली में जीवन यापन कर रहे श्रमिकों और उनके प्रभावित परिवारजनों की ओर से अश्रुपूर्ण सादर प्रणाम।

महोदय, इस कम्पनी के मालिक श्रीमान राजेश अग्रवाल जी, जो कि इसी देवभूमि उत्तराखंड में राजनीतिक संरक्षण के कारण ओलंपिक एशोसिएशन के अध्यक्ष पद, जो कि एक महत्वपूर्ण लाभ का पद है, उस पर आसीन हैं।

उसके बावजूद उनके द्वारा केवल अपनी मुनाफे की अंधी हवस की बदनीयती और राजनीतिक संरक्षण के कारण तानाशाही व मनमानी पूर्ण रवैये के साथ देवभूमि के देवतुल्य 303 स्थायी श्रमिकों को दिनांक 27-12-2018 को गैरकानूनी रूप से छंटनी कर दिया।

महोदय, बेहद दु:ख और अफसोस के साथ कहना चाहता हूँ कि हम पीड़ित श्रमिकों को न्याय की गुहार लगाते हुए, दर-दर की ठोंकरें खाते हुए एक वर्ष से अधिक समय हो गया है, लेकिन अभी तक न ही राज्य सरकार और न ही केन्द्र सरकार से न्याय मिल पा रहा है।

महोदय बहुत ही अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि 21 वीं सदी में भी इस देश और प्रदेश में केवल अपराधियों और पूँजीपतियों को ही संरक्षण और न्याय मिल सकता है, आम जनता, मज़दूर और किसान केवल वोट के लिए इस्तेमाल होने वाले खिलौने मात्र रह गये हैं।

महोदय अन्त में एक बार पुनः आपसे विनम्र निवेदन कर रहे हैं कि 21वीं सदी में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में यदि आम जनता, मजदूर, किसान के लिए समय पर न्याय की व्यवस्था हो सकती है, तो हम पीड़ित, शोषित श्रमिकों की ससम्मान कार्यबहाली कर न्याय दिलाने की कृपा करना, नहीं तो इस देश में हम जैसे शिक्षित नौजवानों के लिए ऐसे जीवन से अच्छी मौत ही अधिक उचित है। क्योंकि ऐसा जीवन तो एक अभिशाप है।

महोदय यहाँ पर प्रवर्तन अधिकारी, सहायक श्रमायुक्त, उप श्रमायुक्त, श्रमायुक्त, जिलाधिकारी, पुलिस, विधायक, सांसद, मंत्री, मुख्यमंत्री सब बिके हुए हैं। इनके पास तो हमारी समस्याओं का कोई समाधान ही नही है, हम कहाँ जाएँ? किससे कहें अपनी समस्या? कौन करेगा हमारी समस्याओं का समाधान?

-नंदन सिंह, एक बेरोजगार बना दिया गया मज़दूर

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