शोषण के खिलाफ गुजरात अंबुजा के मज़दूर हड़ताल पर

विभिन्न माँगों को लेकर भयावह मौसम, तेज हवा और बारिश के बीच मज़दूर, महिलाओं के साथ पूरे जज्बे के साथ संघर्ष के मोर्चे पर डटे हुए हैं

सितारगंज (उत्तराखंड)। गुजरात अंबुजा एक्सपोर्ट लिमिटेड, सिडकुल, सितारगंज, उधम सिंह नगर के मज़दूर विभिन्न माँगों को लेकर 28 जनवरी से बेमियादी हड़ताल पर चले गए हैं। 28 तारीख को दो शिफ्टों के मज़दूर कंपनी के भीतर ही धरने पर बैठ गए। जबकि रात्रि पाली के मज़दूर और महिलाएं-बच्चे कंपनी गेट के बाहर धरनारत हो गए।

गुजरात अंबुजा कर्मकार यूनियन के प्रतिनिधि कैलाश पांडे, हरीश सतवाल, रामदेव यादव, जनार्दन पोखरिया, रामजीत सिंह आदि ने बताया कि जबसे श्रमिकों ने माँगपत्र दिया है प्रबन्धन द्वारा सुनवाई करने की  जगह मज़दूरों को कारण बताओ नोटिस, आरोप पत्र  दिए गए। इसी बीच प्रबंधन ने दो श्रमिकों चंद्रपाल व बंटी सिंह का निलंबन कर दिया। जिससे मज़दूरों में आक्रोश और बढ़ गया था।

ज्ञात हो कि अस्थाई मज़दूरों की कार्यबहाली की माँग को लेकर 13 जनवरी को ए शिफ्ट के सभी मज़दूर कंपनी में ही धरने पर बैठ गये थे। इस दबाव में प्रशासन व श्रम अधिकारियों की मध्यस्तता में मज़दूरों की कार्यबहाली हुई। लेकिन माँगपत्र पर गतिरोध बना रहा।

मज़दूरों ने बताया कि विगत 2 वर्षों से यूनियन व श्रमिक लगातार कंपनी प्रबंधन और श्रम अधिकारियों को अपनी समस्याओं से अवगत करा रहे हैं। कंपनी में विगत 8-10 वर्षों से कार्यरत श्रमिकों की तमाम समस्याएं इपीएफ, ईएसआई, परिचय पत्र, नियुक्ति पत्र व माँग पत्र पर विवाद लंबित है।

मज़दूरों का आरोप है कि प्रबंधन खतरनाक मशीनों पर अकुशल श्रमिकों से कार्य करवा रहा है, जिसकी सूचना लगातार प्रबंधन और श्रम अधिकारियों से को दी जाती रही, लेकिन इसके बावजूद ना तो इस पर कोई सुनवाई हुई और ना ही ऐसे गैरकानूनी कृत्य बंद हुए।

श्रमिकों ने 8 जनवरी 2020 को प्रबंधन को हड़ताल की नोटिस दी थी, लेकिन 23 जनवरी को प्रबंधन द्वारा 4 दिन में समाधान निकाल देने के आश्वासन के बाद उसे आगे बढ़ाया था। फिर भी प्रबंधन की हठधर्मिता बनी रही, जिससे 28 जनवरी को प्रतिष्ठान के समस्त श्रमिक और उनके परिवारजन हड़ताल व धरने पर बैठ गए हैं।

श्रमिक प्रतिनिधियों ने बताया कि शोषण-उत्पीड़न व माँगपत्र पर सुनवाई, न्यूनतम वेतन दिए जाने, निलंबन वापस लेने, सबको नियुक्ति पत्र व परिचय पत्र देने आदि कि हमारी न्यायपूर्ण माँग है और जब तक श्रमिकों की न्याय संगत माँगें मानी नहीं जाती हैं, तब तक हमारा आंदोलन-हड़ताल जारी रहेगा।

इस बीच धरने पर सरिता देवी, रजनी, कौशल्या, तुलसी आदि सहित लगभग 400 मज़दूर व महिलाएं हड़ताल और धरने पर डटे हैं।

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