सरकार-प्रशासन मौन, कंपनियों में मज़दूर संघर्षरत

रुद्रपुर से गुड़गाँव-मानेसर तक मज़दूरों का आन्दोलन जारी

मानेसर में 70 दिनों से होंडा ठेका मज़दूर, गुड़गाँव में शिवम के मज़दूर, रुद्रपुर में 13 माह से माइक्रोमैक्स मज़दूर, 110 दिनों से वोल्टास के मज़दूर, सितारगंज में 6 माह से एमकोर के मज़दूर व 14 दिनों से शिरडी के मज़दूर संघर्ष में डटे हुए हैं। एलजीबी में ग़ैरक़ानूनी गेट बंदी के ख़िलाफ़, महिंद्रा में यूनियन मान्यता के लिए, तो गुजरात अम्बुजा, इंट्रार्क, महिंद्रा सीआईई के मज़दूर माँग पत्र व ऑटो लाइन में निलंबन के साथ संघर्षरत हैं।

होंडा के ठेका मज़दूरों का जुझारू संघर्ष

मानेसर (गुडगाँव)। मंदी के बहाने अन्यायपूर्ण छंटनी के खिलाफ लगभग 2500 होंडा के ठेका मज़दूरों का संघर्ष पिछले 70 दिनों से जारी है। मज़दूर आईएमटी मानेसर में लगातार धरनारत हैं।

ज्ञात है कि पिछले 4 नवम्बर को होंडा प्रबंधन ने 7-8 सालों से कार्यरत रहे 650 ठेका मज़दूरों का अचानक गेट बंद कर दिया था। 5 नवम्बर से मज़दूर कंपनी गेट के बाहर और बाकि ठेका मज़दूर कंपनी के अन्दर उत्पादन बंद करके धरने पर बैठ गए थे। लगातार 15 दिन कंपनी के अन्दर बैठने के बाद 19 नवम्बर को प्रशासन और श्रम विभाग के आश्वासन पर सभी मज़दूर बाहर आये और कंपनी के बाहर धरना जारी रखा। लेकिन होंडा प्रबंधन के अड़ियल रबैयों के कारण आज तक कोई समझौता नहीं हो पाया।

दूसरी ओर होंडा प्रबंधन ने होंडा यूनियन के प्रधान सहित 6 मज़दूरों को इस आन्दोलन के चलते निलंबित कर दिया है। पिछले ढेड़ साल से यूनियन का माँग पत्र भी लंबित है।

गौरतलब है कि एक तरफ होंडा प्रबंधन मंदी के बहाने मानेसर प्लांट में ठेका मज़दूरों की छंटनी कर रहा है, दूसरी तरफ होंडा के बाकि प्लांटों में उत्पादन शिफ्ट करके ओवरटाइम चला रहा है। ठेका मज़दूरों को वापस लेने की जगह होंडा प्रबंधन ने पिछले कुछ दिनों में करीब 800 नया नीम ट्रेनी भर्ती किया है।

भगवती-माइक्रोमैक्स मज़दूरों का 13 महीने से आगे बढ़ता संघर्ष

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। सिडकुल, पंतनगर स्थित भगवती प्रोडक्ट्स (माइक्रोमैक्स) में गैरकानूनी छँटनी-बंदी के खिलाफ मजदूरों का संघर्ष 382 दिनों से जारी है और मज़दूर कंपनी गेट के पास दिन रात के धरने पर लगातार बैठे हुए हैं। इसी के साथ ग़ैरक़ानूनी ले-ऑफ़ के शिकार 47 मज़दूरों का इस माह का वेतन भी कम्पनी ने रोक दिया है।

दरअसल 27 दिसंबर 2018 को माइक्रोमैक्स प्रबंधन ने गैरकानूनी रूप से 303 श्रमिकों की छँटनी कर दी थी। शेष श्रमिकों में से यूनियन अध्यक्ष का गेट बंद रखा और बाद में निलंबित कर दिया। अन्य श्रमिकों को गैरकानूनी लेऑफ से बाहर बैठा रखा है।

ऐसे में फ़र्जी मुक़दमें और मौसम की मार झेलते हुए पिछले करीब 13 महीने से मज़दूरों का कंपनी गेट पर लगातार धरना व क्रमिक अनशन जारी है। जमीनी स्तर पर आंदोलन के साथ कानूनी लड़ाई हाईकोर्ट से इंडस्ट्रियल ट्रिब्यूनल तक चल रहा है।

ग़ैरक़ानूनी गेट व वेतन बंदी के बीच वोल्टास मज़दूरों का धरना जारी

वोल्टास लिमिटेड, पंतनगर के मज़दूर गैरकानूनी कामबंदी व वेतन बंदी के ख़िलाफ़ पिछ्ले 111 दिनों से कंपनी गेट पर धरना चला रहे हैं।

दरअसल वोल्टास इम्पलाइज यूनियन ने नए वेतन समझौते के लिए 9 दिसंबर 2017 को माँग पत्र दिया था। प्रबंधन तब से लगातार मज़दूरों का दमन और शोषण कर रहा है। इस दौरान प्रबंधन स्थाई मज़दूरों की कई तरह से सुविधाओं और वेतन में कटौतियाँ की, ठेका मज़दूरों को बाहर किया, स्थाई मज़दूर विक्रम सिंह को गैरकानूनी रूप से निलंबित फिर बर्ख़ास्त किया।

प्रबंधन ने 25 सितम्बर को अवैध रूप से यूनियन के वर्तमान व पूर्व अध्यक्ष, महामंत्री व संगठन मंत्री सहित 8 मज़दूरों के गेट बंदी कर दी। प्रबंधन जब फंसने लगा तो उसने इसे ले-ऑफ़ बताया, जिसकी भी उसने पूर्व अनुमति नहीं ली है। उसने मनमाने रूप से श्रमिको का 4 माह से वेतन भी रोक लिया है।

प्रबंधन के दमनकारी कार्यों के बावजूद श्रम विभाग व प्रशासन मूकदर्शक है और प्रबंधन की मनमानी को संरक्षण देता रहा है।

अवैध छंटनी के ख़िलाफ़ धरनारत हैं शिरडी के मज़दूर

शिरडी इंडस्ट्रीज कंपनी ने बीते 31 दिसंबर को 90 मज़दूरों की गैरकानूनी छंटनी कर दी। जिसके बाद से मज़दूर शिरडी श्रमिक संगठन के बैनर तले अम्बेडकर पार्क रुद्रपुर में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे हैं।

दरअसल कम्पनी सरकार द्वारा दी गई सब्सिडी और टैक्स की छूटों आदि का लाभ उठाकर मज़दूरों की छँटनी करके राज्य से पलायन करना चाहता है। इसी उद्देश्य से 31 दिसंबर को कंपनी ने 29 स्थाई मज़दूरों सहित लगभग 90 से अधिक मज़दूरों को अवैधानिक रूप से गेट बंद कर दिया।

एलजीबी में भी 2 मज़दूरों की ग़ैरक़ानूनी बंदी के ख़िलाफ़ संघर्ष

एलजी बालाकृष्णन एंड ब्रास लिमिटेड पंतनगर/रुद्रपुर में प्रबंधन के लगातार दमन के ख़िलाफ़ मज़दूर बड़े संघर्ष की तैयारी में हैं। यूनियन ने हड़ताल की क़ानूनी नोटिस भी दे दी है।

दरअसल, एलजीबी वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष की गैरकानूनी बर्खास्तगी का मुकदमा सुप्रीम कोर्ट से भी हार जाने के बाद से एलजीबी प्रबंधन की बौखलाहट बढ़ गई, और उसने तरह-तरह से मज़दूरों का दमन बढ़ा दिया है। उसने यूनियन के कोषाध्यक्ष ललित बोरा व संगठन मंत्री गोविंद सिंह की 11 नवंबर से गैरकानूनी गेटबंदी कर दी। पंतनगर व रुद्रपुर, दोनों प्लांटों में उसने यूनियन तोड़ने की गरज से तरह-तरह से दमन तेज कर दिया। इसपर श्रम विभाग की प्रबंधनपक्षीय भूमिका से भी मज़दूरों में नाराजगी है।

अवैध बंदी के ख़िलाफ़ 6 माह से संघर्षरत हैं एमकोर मज़दूर

सितारगंज (उत्तराखंड)। गैरकानूनी बंदी के खिलाफ सिडकुल, सितारगंज स्थित एमकोर फ्लेक्सिबल के मज़दूर कम्पनी गेट पर विगत 6 महीने से दिन रात का धरना चला रहे हैं।

दरअसल एमकोर के प्रबंधन ने 29 जुलाई, 2019 को कंपनी बंद कर दी थी और राज्य से बाहर पलायन की तैयारी में जुट गया। तब से मजदूरों का आन्दोलन जारी है। इसबीच नैनीताल हाईकोर्ट ने मशीनों की शिफ्टिंग पर रोक लगा दी। फिर भी शासन, प्रशासन, श्रम विभाग मौन है और मज़दूर संघर्षरत हैं।

गुजरात अम्बुजा के मज़दूर कम्पनी के अन्दर धरनारत

गुजरात अम्बुजा, सितारगंज के अस्थाई मज़दूरों की कार्यबहाली की माँग को लेकर आज (13 जनवरी को) ए शिफ्ट के सभी मजदूर कंपनी में ही बैठ गये हैं। इससे पूर्व गुजरात अंबुजा कर्मकार यूनियन के सभी सदस्यों ने प्रबन्धन के अड़ियल रुख व दो मज़दूरों के निलंबन के विरोध में 23 दिसंबर से कार्य के दौरान मौन व्रत आन्दोलन शुरू किया था।

ज्ञात हो कि गुजरात अंबुजा एक्सपोर्ट लिमिटेड में यूनियन ने प्रबंधन को श्रमिक समस्याओं के लिए माँग पत्र दिए थे। जिसका समाधान करने की जगह प्रबंधन गैरकानूनी गतिविधियों से श्रमिकों का शोषण एवं उत्पीड़न कर रहा है।

शिवम के मज़दूरों का गुडगाँव में धरना जारी

गुडगाँव। भयानक ठण्ड के बीच शिवम ऑटोटेक, बिनौला के मज़दूर विगत 12 दिसंबर से लगातार जिला सचिवालय, गुड़गांव में धरने पर बैठे हैं। अपनी यूनियन को बचाने, नेतृत्वकारी श्रमिकों के तबादले को रद्द कराने, तय समझौता को लागू करवाने, आदि माँगों को लेकर उनका संघर्ष चल रहा है।

शिवम ऑटोटेक के जुझारू मज़दूर पिछले लंबे समय से कारखाना प्रबंधन की मनमर्ज़ी के खिलाफ अपने हक़-अधिकार के लिए संघर्ष कर रहे हैं। तीन माह पूर्व चले आन्दोलन के वक़्त मज़दूरों की एकजुटता के दबाव में कारखाना प्रबंधन को 42 श्रमिकों को दोबारा काम पर लेना पड़ा था। लेकिन प्रबंधन अन्य समझौतों को लागू करने में आनाकानी करने लगा। इसके विपरीत प्रबंधन ने प्रतिशोधवश कंपनी ने यूनियन नेतृत्व समेत 15 श्रमिकों का अन्य प्लांटों में तबादला के नाम पर गेट बंद कर दिया।

. . .और भी कंपनियो के मज़दूर हैं संघर्षरत

महिंद्रा एंड महिंद्रा, रुद्रपुर में यूनियन की मान्यता, यूनियन सदस्यों के बोनस/एक्सग्रेसिया में ग़ैरक़ानूनी कटौती और यूनियन अध्यक्ष की अवैध बर्खास्तगी के ख़िलाफ़ लगातार संघर्ष जारी है। जबकि इंट्रार्क, महिंद्रा सीआईई आदि तमाम कंपनियों के मज़दूर माँग पत्र के साथ संघर्षरत हैं। ऑटो लाइन में यूनियन के पूर्व अध्यक्ष उत्तम बिष्ट फर्जी आरोपों में निलंबित और संघर्षरत हैं।

हालात कठिन, चुनौतियाँ गंभीर

जहाँ मजदूर अपने हकों के लिए लगातार संघर्षरत हैं, वहीं सरकार, शासन-प्रशासन, पुलिस, श्रम अधिकारी लगातार मज़दूरों का दमन उत्पीड़न ही कर रहे हैं। मज़दूर नेताओं का आरोप है कि कंपनी प्रबंधन जो भी कदम उठाता है, उसके लिए राय-परामर्श श्रम विभाग ही देता है।

दरअसल, एक तरफ पूरे देश में मोदी सरकार द्वारा जिस प्रकार से लंबे संघर्षों के दौरान हासिल श्रम कानूनी अधिकार छीने जा रहे हैं, 44 श्रम कानूनों को मालिकों के हित में 4 श्रम संहिताओं में बांध दिया गया है, छँटनी-बंदी-लेआफ तेजी से बढ़ा है, सरकारी कंपनियां मुनाफाखोरों के हाथों ओने पौने दामों में बेची जा रही हैं, दूसरी ओर मज़दूरों को भ्रमित करने के लिए कश्मीर, 370, पाकिस्तान, नागरिक संशोधन कानून, एनआरआई आदि के खतरनाक खेल खेले जा रहे हैं।

ऐसे में संघर्षरत मज़दूरों के सामने चुनौतियां बेहद कठिन हैं। फिर भी चुनौतियो से जूझते हुए मज़दूरों का संघर्ष जारी है।

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