मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन मानेसर के अजमेर सिंह बने प्रधान, संजय यादव जनरल सेक्रेटरी

नई कार्यकारिणी हुई गठित। नवनिर्वाचित प्रधान ने कहा कि उनकी नई टीम की प्राथमिकता मज़दूरों के हक और अधिकार के लिए मज़दूरों की व्यापक एकता और मजबूत करते हुए संघर्ष को आगे बढ़ाना है।
मानेसर, गुड़गांव। मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन, मानेसर के आम चुनाव से नई कार्यकारिणी का चुनाव सम्पन्न हुआ। इस दौरान कुछ पुराने तो कुछ नए नेता निर्वाचित हुए। 2 फरवरी को मारुति मानेसर प्लांट में हुए चुनाव में काफी गहमा-गहमी रही। एक-एक पद पर कई कई प्रत्याशी भी सामने आए। वहीं मतदान को लेकर मज़दूरों में उत्साह का माहौल रहा।
चुनाव अधिकारियों द्वारा घोषित परिणामों के अनुसार अजमेर सिंह प्रधान चुने गए जबकि संजय यादव जनरल सेक्रेटरी और अमरेन्द्र शर्मा चीफ पैट्रन निर्वाचित हुए। इसके अलावा कार्यकारिणी सदस्य के लिए शक्ति नाथ मिश्र, मींटू, गुरुदेव, दीपक शर्मा, शैलेश, ज्ञानेन्द्र, नरेश सैनी, मनीश व राजेश का चुनाव हुआ। वहाँ मौजूद मज़दूर साथियों ने ताली बजकर नई टीम को बधाई दी। नवनिर्वाचित पदाधिकारियों ने सबको धन्यवाद दिया।
यूनियन के नवनिर्वाचित प्रधान अजमेर सिंह ने कहा कि उनकी नवगठित टीम की प्राथमिकता में जहां प्लांट के भीतर कार्यरत मज़दूरों के हक और अधिकार के लिए मज़दूरों की व्यापक एकता और मजबूत करते हुए संघर्ष को आगे बढ़ाना है। वहीं प्लांट के बाहर सन 2012 से अन्यायपूर्ण आजीवन कारावास की सजा झेल रहे मज़दूर साथियों को न्याय दिलाने तथा बर्खास्त साथियों की कानूनी लड़ाई को मजबूत करने की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि आज जिस तरीके से मज़दूर विरोधी नीतियों से मज़दूरों के ऊपर हमले बोले जा रहे हैं, ऐसे में मज़दूर हक़ की बहाली तथा मज़दूरों को बांटने की साजिशों के खिलाफ भी मज़दूर साथियों को जागरूक करने, एकजुट करने और इसके खिलाफ संघर्ष में शामिल करने का भी प्रयास रहेगा।
ज्ञात हो कि मारुति सुजुकी मानेसर प्लांट के मज़दूर 2011 से ही ठेका और स्थाई मज़दूरों की व्यापक एकता के साथ कई जुझारू आंदोलन के दौर से गुजर चुके हैं। 18 जुलाई 2012 को प्लांट में हुई साजिशपुर घटना के बाद मज़दूर साथियों को भारी दमन का सामना करना पड़ा। 13 मज़दूर साथी आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे हैं, जिसमें से दो साथियों की दुखद मौत भी हो चुकी है। साथ ही स्थाई और अस्थाई मज़दूरों की एक बड़ी आबादी गैरकानूनी बर्खास्तगी झेल रही है। जिसकी भी कानूनी लड़ाई जारी है।
ऐसे में यूनियन की नवनिर्वाचित टीम का दायित्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। उम्मीद है कि नई टीम इस दिशा में सक्रिय रहेगी!
मारुति मज़दूर आंदोलन : एक नज़र मे
(अन्यायपूर्ण दमन के साथ अन्यायपूर्ण सजा भोगते मारुति के संघर्षरत मज़दूरों के साथ असल में हुआ क्या… मेहनतकश वेबसाइट में धारावाहिक 10 किस्तों में प्रकाशित मारुति आंदोलन की जीवंत तस्वीर प्रस्तुत करता है…)
संलग्न लिंक पर क्लिक करके पढ़ें/जानें-
- पहली क़िस्त- मारुति मजदूर आंदोलन : एक नजर मे–1
- दूसरी क़िस्त- संघर्ष, यूनियन गठन और झंडारोहण
- तीसरी क़िस्त – दमन का वह भयावह दौर
- चौथी क़िस्त- दमन के बीच आगे बढ़ता रहा मारुति आंदोलन
- पाँचवीं क़िस्त- रुकावटों को तोड़ व्यापक हुआ मारुति आंदोलन
- छठीं क़िस्त- मारुति आंदोलन : अन्याय के ख़िलाफ़ वर्गीय एकता
- सातवीं क़िस्त- मारुति कांड : जज और जेलर तक उनके…
- आठवीं क़िस्त- मारुति कांड : फैसले के ख़िलाफ़ उठी आवाज़
- नौवीं क़िस्त- मारुति संघर्ष : न्यायपालिका भी पूँजी के हित में खडी
- दसवीं (अंतिम) क़िस्त- मारुति संघर्ष का सबक : यह वर्ग संघर्ष है!
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