अन्याय के 12 साल: मारुति मज़दूरों का गुड़गांव में जोरदार प्रदर्शन; कार्यबहाली की माँग फिर हुई बुलंद

मारुति कांड दिवस पर गुड़गांव राजीव चौक से डीसी ऑफिस तक जुलूस व एक दिवसीय धरना कार्यक्रम में हुआ ऐलान; बर्खास्त श्रमिकों का संघर्ष न्याय मिलने तक रहेगा जारी।
गुड़गांव (हरियाणा)। 13 साल से चल रहे मारुति सुजुकी के मजदूरों के निरंतर संघर्ष की कड़ी में 18 जुलाई 2024 को मारुति सुजुकी मजदूर संघ के बैनर तले सैंकड़ों मजदूरों ने गुड़गांव राजीव चौक से डीसी ऑफिस तक जुलूस निकाला व एक दिवसीय धरना दिया।
प्रदर्शन के दौरान मौजूदा आंदोलन के मांगो को दुरुस्त किया गया। वक्ताओं ने कहा कि मारुति के बर्खास्त श्रमिकों का संघर्ष न्याय मिलने तक जारी रहेगा। यदि प्रबंधन बर्खास्त साथियों के मुद्दे का समाधान नहीं निकालता है तो संघर्ष और तेज होगा।

साजिश थी 18 जुलाई 2012 की घटना
वक्ताओं ने कहा कि 2011 की सफ़ल हड़तालों के बाद, संघर्ष और यूनियन को खत्म करने के लिए 18 जुलाई 2012 को प्रबंधन और सरकार ने मिलकर एक षडयंत्र तहत फैक्ट्री में आग लगवाई, जिसमें एक मज़दूर हतैषी मैनेजर की मौत हुई, और इस बहाने मज़दूरो पर भयानक दमन का कहर बरपा हुआ।
इस घटना के बाद जो भी मारुति का मज़दूर मिला उसे पुलिस ने गिरफ्तार किया और फर्जी मुक़दमें थोपे। 546 स्थायी और 1800 ठेका मज़दूरों को अवैध रूप से बर्खास्त कर दिया। 147 मज़दूर 5 साल सज़ा काटने के बाद बाइज़्ज़त बरी हुए, और 13 यूनियन पदाधिकारियों को 10 साल बाद ज़मानत मिली। सजायाफ्ता 2 श्रमिकों का न्याय की आस में निधन भी हो चुका है।

कार्यबहाली की माँग हुई बुलंद
इस दौरान हुई सभा में मज़दूर नेताओं ने कहा कि आज 546 स्थायी और 1800 ठेका मज़दूरों के कार्यबहाली की मांग प्रमुख है। ये कानूनी विवाद श्रम विभाग और उच्च न्यायालय में चल रहीं है, लेकिन इसके साथ ज़मीनी संघर्ष को तेज़ करने की आवाज़ बुलंद हुई। साथ ही अन्यायपूर्ण सजा झेल रहे मज़दूर नेताओं के इंसाफ की लड़ाई भी जारी है।
वक्ताओं ने कहा कि मारुति सुजुकी के सभी चार प्लांटों में फ़िलहाल माँगपत्रों पर समझौते की वार्ता चल रही हैं। और इस दौरान, वेतन और अन्य मांगों के साथ, निष्काषित मज़दूरों की कार्यबहाली प्रमुख मांग के रूप में है। यह संघर्ष न्याय मिलने तक जारी रहेगा।
इसके साथ वक्ताओ ने मज़दूर विरोधी 4 नए श्रम संहिताओं का भी ज़ोरदार विरोध दर्ज किया। कहा कि मारुति मज़दूरों का संघर्ष केवल अपनी मांगों तक सीमित न होकर, पूरे मज़दूर वर्ग के हित के लिए है।
मज़दूरों की उत्साहवर्धक भागीदारी
प्रदर्शन में मारुति सुजुकी मज़दूर संघ के बैनर तले चारों प्लांट – मारुति गुड़गाव, मारुति मानेसर, सुजुकी पॉवर ट्रैन और सुजुकी बाइक – के हज़ारो मज़दूर शामिल रहे। इसके साथ हीरो, बेलसोनिका आदि कई यूनियनें शामिल रही।
इस दौरान एटक, मासा, मज़दूर सहयोग केंद्र, इंक़लाबी मज़दूर केंद्र, श्रमिक संग्राम कमेटी, जन संघर्ष मंच हरियाणा, एसयूसीआई आदि मज़दूर संगठन और क्रान्तिकारी नौजवान सभा कलेक्टिव आदि विभिनम मज़दूर हतैषी छात्र-युवा संगठन मौजूद रहे।
मारुति मज़दूर आंदोलन : एक नज़र मे
(अन्यायपूर्ण दमन के साथ अन्यायपूर्ण सजा भोगते मारुति के संघर्षरत मज़दूरों के साथ असल में हुआ क्या… मेहनतकश वेबसाइट में धारावाहिक 10 किस्तों में प्रकाशित मारुति आंदोलन की जीवंत तस्वीर प्रस्तुत करता है…)
संलग्न लिंक पर क्लिक करके पढ़ें/जानें-
- पहली क़िस्त- मारुति मजदूर आंदोलन : एक नजर मे–1
- दूसरी क़िस्त- संघर्ष, यूनियन गठन और झंडारोहण
- तीसरी क़िस्त – दमन का वह भयावह दौर
- चौथी क़िस्त- दमन के बीच आगे बढ़ता रहा मारुति आंदोलन
- पाँचवीं क़िस्त- रुकावटों को तोड़ व्यापक हुआ मारुति आंदोलन
- छठीं क़िस्त- मारुति आंदोलन : अन्याय के ख़िलाफ़ वर्गीय एकता
- सातवीं क़िस्त- मारुति कांड : जज और जेलर तक उनके…
- आठवीं क़िस्त- मारुति कांड : फैसले के ख़िलाफ़ उठी आवाज़
- नौवीं क़िस्त- मारुति संघर्ष : न्यायपालिका भी पूँजी के हित में खडी
- दसवीं (अंतिम) क़िस्त- मारुति संघर्ष का सबक : यह वर्ग संघर्ष है!
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- मारुति आंदोलन : एक दशक से जारी संघर्ष, जेल और जमानत के मायने
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