कोरोना महामारी के बीच छँटनी-बर्खास्तगी झेलते मज़दूरों के गहराते संकट

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भगवती (माइक्रोमैक्स), वोल्टास, शिरडी, गुजरात अम्बुज के मज़दूरों के सामने बनी भुखमरी की स्थिति

रुद्रपुर (उत्तराखंड)। एक ओर कोविड-19 (कोरोना वायरस) की विश्वव्यापी महामारी का कहर व्याप्त है, पूरे देश में लॉक डाउन है, दूसरी ओर छँटनी-बर्खास्तगी आदि के लिए संघर्षरत मज़दूरों के सामने पहले से ही व्याप्त संकट और गहरा हो गया है। आज इन मज़दूरों के सामने भुखमरी की स्थिति पैदा हो गई है।

उधम सिंह नगर में लम्बे समय से वेतन का आभाव झेलते भगवती (माइक्रोमैक्स), वोल्टास, शिरडी, गुजरात अम्बुज जैसे कारखानों के मज़दूरों के लिए भी यह एक विकट दौर की शुरुआत है। तंगहाली की स्थिति में वे क्या करें, कैसे अपना और बच्चों का पालन करें, कबतक अनिश्चयता रहेगी, ये सवाल लगातार गहराते जा रहे हैं।

देशभर में ऐसे संकट में फंसे मज़दूरों की तादात काफी है। इस चिंतनीय स्थिति को इन चार कंपनियों के संघर्षरत मज़दूरों के हालात की बानगी से समझा जा सकता है।

भगवती (माइक्रोमैक्स) : छँटनी गैरकानूनी घोषित, पर मज़दूर वेतन से भी वंचित

भगवती प्रोडक्ट्स (माइक्रोमैक्स), पंतनगर के 303 मज़दूर पिछले सवा साल से गैरकानूनी छँटनी के ख़िलाफ़ संघर्ष कर रहे हैं। अभी पिछले दिनों ही औद्योगिक न्यायाधिकरण से छँटनी गैरकानूनी घोषित हुई थी और उनके कार्यबहाली का रास्ता साफ हुआ था। लेकिन अचानक लॉक डाउन की स्थिति में जल्द ही कार्यबहाली होने की उनकी उम्मीदों पर पानी फिरता दिखने लगा।

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एक उम्मीद की किरण लेकर वे संघर्ष कर रहे हैं। जज्बे के साथ सवा साल से मैदान में डटे हुए हैं। आसपास के मज़दूरों और यूनियनों ने लगातार उन्हें सहयोग समर्थन दिया, जिससे संघर्ष यहाँ तक पहुँच सका था। लेकिन अब उन्हें एक लंबा अनिश्चय दिख रहा है। बहुत से साथियों के सामने खाने के लाले पड़ गए हैं, दावा-इलाज तो दूर की बात है।

वोल्टास : 6 माह से गेटबन्दी-वेतन बंदी के बीच संकट और गहरा हुआ

वोल्टास लिमिटेड, पंतनगर में 25 सितम्बर’19 से जारी ले ऑफ़ गैरकानूनी घोषित होने के बाद प्रबंधन ने 14 फरवरी से 9 मज़दूरों की सेवा समाप्त कर दी थी, जो भी गैरकानूनी घोषित होने की स्थिति में था। मज़दूरों के 2 महीने के वेतन का आरसी भी कट चुकी थी और बाकी महीनों की आरसी कटने वाली थी। हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रबंधन ने आरसी के 3 लाख रुपए कोर्ट में जमा कर दिए थे और कुछ धनराशि 24 मार्च को मज़दूरों को आवंटित होने वाली थी।

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अचानक लॉक डाउन से कोर्ट बंद हो गया और मज़दूरों की उम्मीदों पर तुषारापात हो गया। वार्ताएं भी स्थगित हो गईं और संकट के बादल और गहरा गए। आज मज़दूरों के लिए आवश्यक ज़रूरतें भी जुटाना मोहाल हो गया है।

शिरडी : छँटनी, ले ऑफ, बर्खास्तगी के बीच मज़दूर बेहाल

शिरडी इंडस्ट्रीज, पंतनगर में प्रबंधन ने पहले बस-कैंटीन बंद किया, फिर 29 श्रमिकों की ग़ैरकानूनी सेवा समाप्त की, 20 जनवरी से 90 मज़दूरों को अवैध ले ऑफ देकर बाहर किया। ताजा सूचना में प्रबंधन ने यूनियन महामंत्री सहित 31 मज़दूरों की ग़ैरक़ानूनी बर्खास्तगी का नोटिस जारी कर दिया है।

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एक विकट स्थिति में 12 मार्च से मज़दूर हड़ताल पर चले गए। मज़दूर मौजूदा संकटों से जूझ रहे थे, कि लॉक डाउन ने नए संकटों को पैदा कर दिया। वेतन के अभाव में मज़दूर बेहद मानसिक व आर्थिक दबाव में हैं।

गुजरात अम्बुजा : मज़दूरों की बढ़ती आर्थिक तंगी

शोषण-उत्पीड़न के ख़िलाफ़ व न्यायपूर्ण माँगों को लेकर गुजरात अंबूजा एक्सपोर्ट लि0 सिडकुल सितारगंज के मज़दूर 28 जनवरी से हड़ताल पर हैं। दमन के बीच महिलाओ-बच्चों सहित वे सितारगंज के सिडकुल चौक पर धरनारत रहे।

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22 मार्च को कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण भारत बन्द के समर्थन व देश समाज को प्रथम पक्ष में समझकर मज़दूर अपने आन्दोलन को स्थगित कर देने के बाद से भुखमरी के कगार पर हैं। आन्दोलनरत मज़दूर अभी तक समाज से सहयोग राशी एकत्रित करने की प्रक्रिया से गुजर बसर कर रहे थे लेकिन लॉक डाउन के कारण अब वह भी नही है। आर्थिक तंगी बढ़ती जा रही है।

संकट की इस घडी में : साथी हाथ बढ़ाना…

इन संघर्षरत मज़दूरों के सामने हालात बेहद कठिन हैं। महामारी के शोर में आज इन मज़दूरों की आवाज़ दब गई है। दूसरी ओर प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक के राहत पैकजों की सूची में इन जैसे मज़दूरों की कोई जगह नहीं है।

ऐसे में मेहनतकश-मज़दूर जमात को इन मज़दूर साथियों की मदद के लिए हाथ बढ़ाना होगा!

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