CAB का विरोध कर रहे जामिया विश्वविद्यालय के छात्रों पर दिल्ली पुलिस ने गोली चलाई, एक छात्र की मौत

विरोध में दिल्ली के छात्र संगठनों और निवासियों ने रात 9:30 बजे दिल्ली पुलिस हेड क्वार्टर के सामने इकट्ठे होने का आह्वान किया है

नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे दिल्ली स्थित जामिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों पर दिल्ली पुलिस ने बर्बर हमला बोला। दिल्ली पुलिस की गोली से एक छात्र की मौत हो गई है और कई छात्र गंभीर रूप से घायल हुए हैं।

दिल्ली पुलिस ने छात्रों को कैंपस के अंदर घुसकर मारा। शाम 4:00 बजे जब यह प्रदर्शन हो रहे थे उसी वक्त जामिया के आसपास प्रदर्शन उग्र हो गया और तीन बसों में आग लगा दी गई। दिल्ली पुलिस का कहना है कि छात्रों ने आग लगाई छात्रों का कहना है कि बाहरी असामाजिक तत्वों ने आग लगाई है ताकि आंदोलन को बदनाम किया जा सके।

सोशल मीडिया पर जो तस्वीर आ रही है उसमें साफ दिख रहा है कि महिला छात्रों को पुरुष पुलिस वालों ने घेर घेर कर मारा है। पुलिस हॉस्टल, लाइब्रेरी और कैंटीन के अंदर जाकर छात्रों को बुरी तरीके से मार रही है। एक वीडियो में कुछ छात्राएं रोती हुई नजर आ रही है कि पुलिस बाहर से गोलियां चला रही है और हम अंदर लाइट बंद करके बैठे हैं प्लीज हमारी मदद कीजिए। एक वीडियो में पुलिस वाले एक बस में आग लगाते हुए दिख रहे हैं। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी कहा है कि दिल्ली पुलिस ने जानबूझकर बसों में आग लगाई है।

जामिया के चीफ प्रॉक्टर ने बीबीसी न्यूज़ को बताया कि दिल्ली पुलिस बिना जामिया प्रशासन इजाजत के कैंपस में घुस आए और स्टाफ और छात्रों को बुरे तरीके से मारा। कई तस्वीरों में पुलिस वाले सादी वर्दी में मुंह पर नकाब लगाकर लाठी बरसाते दिखाई दे रहे हैं। आखिर दिल्ली पुलिस को मुंह पर नकाब लगाकर लाठी बरसाने की क्या मजबूरी थी।

जामिया के छात्रों पर लाठीचार्ज के विरोध में दिल्ली के अन्य छात्र संगठनों और निवासियों ने रात 9:30 बजे दिल्ली पुलिस हेड क्वार्टर के सामने इकट्ठे होने का आह्वान किया है।

नागरिकता संशोधन बिल के जरिए भाजपा सरकार ने पूरे देश को एक आंख में झोंक दिया है। अभी तक जो विरोध नागरिकता देने में भेदभाव को लेकर हो रहा था उसे भाजपा सरकार हिंदू मुस्लिम की लड़ाई में बदलने की अपनी चाल में सफल होती नजर आ रही है और देशभर में सरकार के खिलाफ जो जन विरोधी माहौल बन रहा था उसे यह सरकार एक दूसरी शक्ल देना चाहती है। इसमें सरकार के सहयोगी असामाजिक तत्व इन जन आंदोलन में घुसकर हिंसक बनाकर बदनाम करने की पूरी कोशिश में लग गए हैं। देश को बांटने के अपने मंसूबे में आर एस एस किसी भी हद तक जाने पर उतारू है जिसका विरोध ज़रूरी है और पिछले सालों में छात्र, मज़दूर लगातार इस लड़ाई में आगे बढ़कर मोर्चा ले रहे हैं। मोदी सरकार को पता है कि उसकी कब्र यही छात्र ,नौजवान और मजदूर खोदने वाले हैं।

पिछले साढ़े पांच सालों में मोदी सरकार ने देश को शमशान बना कर रख दिया है। इस नागरिकता संशोधन बिल का सबसे ज्यादा असर गरीब और मेहनतकश मजदूरों पर पड़ने वाला है जो अपनी रोजी रोजी रोटी कमाने के लिए एक जगह से दूसरी जगह जाकर काम करते हैं जिन्हें कभी बिहारी, कभी हिंदी भाषी और कभी बंगाली के नाम पर कभी गुजरात में तो कभी महाराष्ट्र में तो कभी आसाम में मारा जाता है।

नागरिकता संशोधन बिल के जरिए देश को आग में झोंक कर मोदी सरकार ने जनता का ध्यान बेरोजगारी, डूबती अर्थव्यवस्था, बैंकों की बदहाली और घोटालों, उच्च शिक्षा में फीस वृद्धि के खिलाफ हो रहे आंदोलनों और बढ़ती महंगाई से हटाकर हिंदू मुस्लिम डिबेट में बदल दिया है इसमें गोदी मीडिया, इस सरकार की दलाली करने वाली फासीवादी मीडिया बहुत ही खतरनाक भूमिका में हैं। उनका काम आम जनता को असली मुद्दे से भटकाना है।

श्रम कानूनों में संशोधन के जरिए देश से स्थाई नौकरियां खत्म कर दी गई, लोगों की रोजी-रोटी छीन ली गई और अब आपको अपने ही देश में अपनी नागरिकता सिद्ध करनी होगी और आपको यह बताना होगा कि आप हिंदू हैं और आप मुसलमान हैं। यही बीजेपी सरकार का एजेंडा है।

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