अन्याय के खिलाफ संघर्षरत है सत्यम ऑटो के मज़दूर

गैरकानूनी रूप से 17 जुलाई 2017 से 300 मजदूरों की गेट बंदी हुई थी तब से सत्यम ऑटो, हरिद्वार के मजदूर संघर्षरत है। अभी परिवार के साथ बड़े आंदोलन का निर्णय लिया है!


हरिद्वार (उत्तराखंड)। सत्यम ऑटो कॉम्पोनेंट्स प्राइवेट लिमिटेड, सिडकुल, हरिद्वार के मज़दूर लंबे समय से प्रबंधन की तानाशाही को झेल रहे हैं। 17 अप्रैल 2017 से 300 मजदूरों की प्रबंधन ने गैरकानूनी रूप से जबरिया गेट बंदी कर दी है।

लंबे समय से संघर्षरत हैं मज़दूर

सत्यम ऑटो के मज़दूर वर्ष 2008 से कार्य कर रहे हैं। मजदूरों ने अपने आप को संगठित किया और 2012 में वे 3 वर्ष के वेतन समझौते पर पहुंचे थे। मजदूरों ने इस वेतन समझौते की अवधि समाप्त होने के बाद 29 जुलाई 2015 को अपना अट्ठारह सूत्री मांग पत्र कारखाना प्रबंधक को दिया। कई दौर की वार्ता हुई, लेकिन प्रबंधन की हठधर्मिता से अंततः विवाद औद्योगिक न्यायाधिकरण हल्द्वानी को संदर्भित कर दिया गया। जहां यह मांग पत्र अभी भी विचाराधीन है।

इस बीच प्रबंधन ने 2 मार्च 2017 को गोपनीय तरीके से कुछ मजदूरों को अपने पक्ष में करके उनसे एक समझौता कर लिया। जिसका मजदूरों ने विरोध किया और अपनी लिखित आपत्ति श्रम अधिकारियों को दी।

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एएलसी ने खुलेआम नियमों को तोड़ा

मज़दूरों के अनुसार हरिद्वार के तत्कालीन सहायक श्रम आयुक्त अशोक बाजपेई ने मजदूरों की इस आपत्ति को गंभीरता से लिया और प्रबंधन को नोटिस जारी की। लेकिन इस बीच उनके अवकाश पर जाने के बाद कार्यवाहक श्रम आयुक्त उमेश चंद्र राय ने अपने पूर्वर्ती एएलसी के पत्रों व आलेख का संज्ञान लिए बगैर 22 मार्च 2017 को प्रबंधन की पॉकेट कमेटी के साथ किए गए समझौते को पंजीकृत कर दिया जोकि सीधे-सीधे अनुचित व्यवहार का मामला है।

अधिकतम मजदूरों ने इसका विरोध किया, जिसके परिणाम स्वरूप कंपनी प्रबंधन ने 17 अप्रैल 2017 को विरोध करने वाले 300 मजदूरों की जबरन गेट बंदी कर दी और उनकी कंपनी में प्रवेश पर रोक लगा दी। तब से मजदूरों का संघर्ष लगातार जारी है। 

यह सीधे गैरकानूनी कृत्य है

यह गौर करने की बात है यदि कंपनी में औद्योगिक विवाद कायम है और वह प्रकरण श्रम न्यायालय या औद्योगिक न्यायाधिकरण में विचाराधीन है, तो इस दौरान प्रबंधन किसी भी प्रकार का ऐसा कार्य नहीं कर सकता जो औद्योगिक शांति के विपरीत हो।

प्रबंधन द्वारा मजदूरों के बहुमत को छोड़कर जिस तरीके से अपनी पॉकेट कमेटी से समझौता कर लिया है वह एक तरफ तो उत्तर प्रदेश औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 की धारा 6-ई का खुला उल्लंघन है। साथ ही या पूरा प्रकरण अनुचित व्यवहार की श्रेणी में भी आता है और  उसकी अनुसूची  5 का भी खुला उल्लंघन।

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श्रम विभाग मालिकों की जेब में

इस पूरे मामले में श्रम अधिकारी की संलिप्तता इस बात का प्रमाण है कि किस तरीके से पूरा श्रम विभाग और प्रशासन मालिकों की जेब में है। 

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कहीं नहीं हो रही सुनवाई

मज़दूरों ने उत्तराखंड के श्रम मंत्री से लेकर सभी अधिकारियों को पत्र दिए हैं। केंद्रीय मानव संसाधन संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक जो कि हरिद्वार के ही सांसद हैं उनको भी मजदूरों ने ज्ञापन दिया, लेकिन मजदूरों की कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है।

संघर्ष को तेज करने का ऐलान

मज़दूर अप्रैल 2017 से गैरकानूनी गेट बंदी के खिलाफ संघर्षरत हैं। अभी 15 सितंबर को  निकाले गए मजदूर अपने पूरे परिवारों के साथ नेहरू युवा केंद्र, भगत सिंह चौक प्रांगण में सभा की और उप श्रम आयुक्त, हरिद्वार कार्यालय पर प्रदर्शन करने का निर्णय लिया, जिसमें इलाके  कि अन्य यूनियने वह संगठन भी शामिल रहे।

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कठिन दौर में व्यापक एकता से जुझारू संघर्ष जरूरी

जाहिर है आज आज के कठिन दौर में जब मोदी सरकार और राज्य की भाजपा सरकार मजदूरों को लंबे संघर्षों से मिले कानूनी अधिकारों को छीन रही है, ऐसे में सत्यम ऑटो के मजदूरों को अपने संघर्ष को एक जुझारु तेवर देने, इलाके के पैमाने पर, विशेष रुप से सिडकुल के मजदूरों को के साथ एकता कायम करते हुए एक मजबूत संघर्ष को खड़ा करना होगा। साथ ही कानूनी लड़ाई को भी मजबूती के साथ आगे बढ़ाना पड़ेगा।

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