कोल इंडिया लिमिटेड और सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड की खदानों में एक दिन की हड़ताल सफलतापूर्वक जारी

कोलकाता : कोयला क्षेत्र की मज़दूर यूनियनों की कोल इंडिया लिमिटेड और सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड की खदानों में एक दिन की हड़ताल सफल रही और काम पूरी तरह से ठप हो गया है।
यूनियन प्रतिनिधियों के अनुसार इन खदानों में कोयले का उत्पादन और लदान बिल्कुल बंद है।

श्रम संगठन कोयला निकासी क्षेत्र में विदेशी कंपनियों को अपने पूर्ण स्वामित्व में कारोबार की अनुमति देने की नीति का विरोध कर रहे हैं। उनकी मांग है कि सरकार यह फैसला वापस ले। सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला उत्पादक कोल इंडिया और सिंगरेनी कोयला खदानों में निजी क्षेत्र के उत्पादकों की हिस्सेदारी में 5-7 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सरकार ने पिछले महीने ही कोयला खनन में 100 प्रतिशत प्रतक्ष्य विदेशी निवेश(FDI) की अनुमति दी है।

आरंभिक स्तर पर सरकार ने छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र और तेलंगाना राज्य स्वामित्व वाले कोल ब्लॉकों में निजी क्षेत्र को खनन की अनुमति दी है झारखंड और छत्तीसगढ़ के टोकिसुद, पतरातु और सायंग जैसे 2 या 3 कोल ब्लॉक में ही व्यावसायिक खनन संभव है। सरकार ने प्राथमिक तौर पर 27 खदानों की बोली लगाने का निर्णय किया है। हालांकि कोयले का घरेलू इस्तेमाल किया जाएगा और 25 प्रतिशत हिस्सा व्यावसायिक तौर पर इस्तेमाल होगा।

हड़ताल का आयोजन सरकारी क्षेत्र की इन दोनों कोयला कंपनियों में सक्रिय श्रम संघों के पांच महासंघों ने किया है। कुल पांच लाख से अधिक कोयला श्रमिक इनके सदस्य हैं।
अखिल भारतीय कोयला श्रमिक महासंघ (एआईसीडब्ल्यूएफ) के महासचिव डी.डी. रामनंदन के अनुसार, ‘‘ हड़ताल से सभी कोयला खानों में उत्पादन पूरी तरह बंद है और वहां से कोयले की लदाई और निकासी भी बंद है।’

देश के कोयला उत्पादन में कोल इंडिया का 80 प्रतिशत योगदान है। हड़ताल के कारण इस कंपनी को एक दिन में 15 लाख टन कोयला उत्पादन का नुकसान होने का अुनमान है। कंपनी के अधिकारी हड़ताल के बारे में कोई टिप्पणी करने को उपलब्ध नहीं थे।

इस हड़ताल का आह्वान इंडियन नेशनल माइन वर्कर्स फेडरेशन (इंटक), हिंद खदान मजदूर फेडरेशन (एमएमएस), इंडियन माइनवर्कर्स फेडरेशन (एटक), आल इंडिया कोल वर्कर्स फेडरेशन (सीटू) और आल इंडिया सेंट्रल कौंसिल आफ ट्रेड यूनियन्स (एआईसीसीटीयू) ने मिल कर किया है।

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से सम्बद्ध श्रमिक संगठन भारतीय मजदूर संघ (बीएसएस) उपरोक्स संगठनों की हड़तला से अलग है और वह इसी मुद्दे पर सोमवार से 27 सितंबर तक पांच दिन तक कोयला क्षेत्र काम बंद हड़ताल पर है।

पीटीआई भाषा से इनपुट के साथ

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