मानेसर: संघर्षरत मारुति मज़दूरों की जोरदार सभा; ‘भारत में जापानी क़ानून नहीं चलेगा!’

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मानेसर (गुड़गांव)। 12 साल से संघर्षरत मारुति सुजुकी मानेसर के मज़दूरों का संघर्ष नए तेवर के साथ आगे बढ़ रहा है। आईएमटी मानेसर तहसील पर मज़दूरों का अनिश्चितकालीन धरना जारी है। इसी क्रम में 18 अक्टूबर को अवैध रूप से बर्खास्त मारुति के मज़दूरों ने अपने परिवार के सदस्यों के साथ धरना स्थल पर विरोध सभा का आयोजन किया।

प्रशासन और पुलिस के दबाव को दरकिनार करते हुए मारुति के मज़दूर, उनके परिवार की महिलायें, बच्चों और बुजुर्गों के अलावा हरियाणा और अलग-अलग क्षेत्र के मज़दूर, किसान, विभिन्न मज़दूर और छात्र-युवा संगठन, पत्रकार और प्रगतिशील व्यक्ति शामिल हुए।

इस दौरान सभी बर्खास्त मज़दूरों की बहाली, मारुति सुजुकी में अस्थायी मज़दूरों के लिए उचित वेतन समझौता और स्थायीकरण की मांग की गई।

यह प्रदर्शन प्रशासन और पुलिस द्वारा मज़दूरों को अनिश्चितकालीन धरना, चल रही क्रमिक भूख हड़ताल और मारुति तथा अन्य कारखानों के मज़दूरों के बीच अभियान बंद करने के लिए मजबूर करने के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष प्रयासों का कड़ा जवाब था और सभी दबाव की रणनीति का सामना करते हुए अपने चल रहे संघर्ष और धरने को जारी रखने के उनके दृढ़ संकल्प का संकेत था।

12 साल बाद भी मारुति मज़दूरों का तेवर वैसा ही दिखलाई दे रहा है, जैसा 2011 के दो बड़े आंदोलन से लेकर 2012 के दमन तक मज़दूरों के जुझारू तेवर दिखे थे और यह मारुति प्रबंधन जिला प्रशासन और हरियाणा सरकार के लिए एक चुनौती बन गई है।

मारुति गेट की ओर बढ़े मज़दूर, पुलिस ने रोका

इस बीच मारुति मज़दूरों ने परिवार संग मारुति के गेट की ओर प्रस्थान करने की कोशिश कि, जहां पुलिस प्रशासन ने बैरिकेड लगाकर आगे बढ़ने से रोक दिया, जहाँ काफी धक्का मुक्की भी हुई। अंत में प्रशासन की ओर से तहसीलदार ने आकर ज्ञापन लिया और यह आश्वासन दिया की समस्या के समाधान के लिए वह जल्दी पहल लेंगे और पुलिस किसी तरीके से उत्पीड़न नहीं करेगी।

उल्लेखनीय है कि मारुति के मज़दूर सन 2012 में फर्जी तरीके से निकाले गए 556 स्थाई और करीब 1800 ठेका मज़दूरों की कार्यबहाली तथा ठेका और अस्थाई मज़दूरों के उचित वेतन वृद्धि और स्थाईकरण की मांग को लेकर संघर्षरत हैं।

भारत में जापानी संविधान नहीं चलेगा!”

मारुति सुजुकी स्ट्रगल कमिटी के कॉमरेड कटार सिंह ने बताया कि बीते 18 सितंबर को पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत हम मारुति के संघर्षरत मज़दूरों ने मारुति मानेसर फैक्ट्री गेट की ओर प्रस्थान किया तो भारी पुलिस बल ने आईएमटी मानेसर तहसील के पास हमको जबरिया रोक दिया, हालांकि धरना प्रदर्शन रोकने के लिए कंपनी सिविल कोर्ट गई थी और जहां से फैक्ट्री के गेट नंबर 2 से 500 मीटर दूर धरना प्रदर्शन करने का आदेश मिला। इसके बावजूद पुलिस ने आईएमटी मानेसर में भी मजदूरों को घुसने नहीं दिया। तब से हम आईएमटी मानेसर तहसील पर ही धरनारत हैं।

कार्यक्रम का संचालन कर रहे कॉमरेड खुशी राम ने बताया कि शांतिपूर्ण धरने के बावजूद मज़दूरों के आंदोलन को कुचलने के लिए पुलिस प्रशासन लगातार सक्रिय है और मज़दूरों को पर्चा नहीं बांटने दे रही है, कभी भी किसी भी मज़दूर को पुलिस उठा लेती है। 18 अक्टूबर के कार्यक्रम से ठीक पहले तहसील परिसर के बाहर से मज़दूरों के बैनर आदि को भी पुलिस ने फाड़ दिया और हटा दिया।

संचालन के दौरान कॉमरेड सतीश ने कहा कि पुलिस का बार-बार यह कहना है कि उन पर ऊपर का दबाव है। स्पष्ट है कि यहाँ भारत का नहीं, जापानियों का क़ानून चल रहा है। हम ऐसा नहीं चलने देंगे। न्याय मिलने तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा। हमारा संघर्ष पूरे तेवर से जारी है और पुलिस दबाव के बावजूद हमने तहसील के बाहर की सड़क पर ही कार्यक्रम को पूरे तेवर के साथ आयोजित किया।

ऐलान- अन्याय नहीं सहेंगे, लड़कर अपना हक़ लेंगे!

सभा में मारुति मज़दूरों के 13 साल के संघर्षों के साथ उत्तराखंड से लेकर देश के विभिन्न हिस्सों में जारी मज़दूर संघर्षों की चर्चा हुई और समर्थन व्यक्त किया गया। संघर्षरत मारुति मज़दूरों की मांगों को विभिन्न वक्ताओं द्वारा जोरदार तरीके से उठाया गया और दमन का विरोध किया गया।

15 अक्टूबर को एसडीएम मानेसर ने मज़दूरों को अपना धरना बंद करने की ‘सलाह’ देते हुए निषेधाज्ञा नोटिस भेजा। 17 अक्टूबर को मानेसर पुलिस ने 2 मजदूरों को 7 घंटे से अधिक समय तक हिरासत में रखा क्योंकि वे फैक्ट्री गेट पर पर्चे बांटकर पुलिस के अनुसार ‘औद्योगिक शांति भंग’ कर रहे थे। उसी दिन पुलिस बल ने धरना स्थल पर शांतिपूर्वक बैठे मज़दूरों को बार-बार परेशान किया।

मज़दूरों और अन्य वक्ताओं ने पुलिस और प्रशासन द्वारा इन धमकियों और उत्पीड़न के खिलाफ जोरदार आवाज उठाई। मज़दूरों ने न्याय के लिए अपना संघर्ष जारी रखने और आने वाले दिनों में अस्थायी श्रमिकों के मुद्दों और मांगों को और अधिक जोरदार तरीके से उठाने की घोषणा की।

इस दौरान भारत में जापानी कानून नहीं चलेगा; कौन बनाता हिंदुस्तान, भारत का मज़दूर-किसान; दुनिया के मज़दूरों एक हो; मारुति मज़दूरों को बहाल करो; ठेका-ट्रेनी मज़दूरों का वेतन बढ़ाओ, स्थाई करो; प्रबंधन के इशारे पर पुलिसिया दमन बंद कर, सभी फर्जी मुक़दमें वापस लो; रोजी-रोटी दे न सके, वो सरकार निकम्मी है; नए 4 लेबर कोड रद्द करो आदि नारे लगते रहे।

मारुति मज़दूरों की मुख्य मांगें-

  • 2012 से अन्यायपूर्ण निकाले गए सभी मज़दूरों की कार्यबहाली करो!
  • मारुति के सभी प्लांटों में कार्यरत समस्त अस्थाई (ठेका, प्रशिक्षु, कैजुआल आदि) श्रमिकों का वेतन 40 फीसदी बढ़ना होगा!
  • समान काम पर समान वेतन देना होगा! स्थाई काम पर स्थाई नियुक्ति देनी होगी!
  • सभी झूठे मामलों को वापस लो!

विभिन्न वक्ताओं ने किया संबोधित

सभा को मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) से कॉम. सोमनाथ, जनसंघर्ष मंच हरियाणा से कॉम. उषा, सीएसटीयू/मज़दूर सहयोग केन्द्र से कॉम. मुकुल, आईएमके से कॉम. श्यामबीर, क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा फ़रीदाबाद से कॉ. सत्यवीर सिंह, श्रमिक संग्राम कमिटी से कॉ. शुभाशीष, मजदूर सहायता समिति से कॉ. अमित, एसयूसीआई से कॉ श्रवण, श्रमिक संयुक्त मोर्चा उधम सिंह नगर एवं नेस्ले कर्मचारी संगठन रुद्रपुर से चन्द्र मोहन लखेड़ा, बेलसोनिका यूनियन से पिंटू, रॉकेट रिद्धि सिद्धि कर्मचारी संघ रुद्रपुर से भास्कर, करोलिया लाइटिंग यूनियन रुद्रपुर से हरेंद्र, कलेक्टिव से सौर्या, पीएसवाईए से अनुभव, आइसा से अभिज्ञान, डीएसएफ से मौसम, AICWU से श्याम, मजदूर अधिकार संगठन के शिवकुमार आदि ने संबोधित किया।

इसके साथ मारुति श्रमिक परिवार की सदस्यों में रेना मिश्रा, मारुति से बर्खास्त श्रमिक अमित नयन, जसवाल जी आदि ने अपनी पीड़ा व आक्रोश को रखा। क्रांतिकारी नौजवान सभा, कलेक्टिव, दिशा छात्र संगठन के साथियों ने क्रांतिकारी गीत गाए और सभा में जोश भरा।



(अन्यायपूर्ण दमन के साथ अन्यायपूर्ण सजा भोगते मारुति के संघर्षरत मज़दूरों के साथ असल में हुआ क्या… मेहनतकश वेबसाइट में धारावाहिक 10 किस्तों में प्रकाशित मारुति आंदोलन की जीवंत तस्वीर प्रस्तुत करता है…)

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