गुड़गांव: “मारुति मज़दूर न्याय कन्वेंशन” में बर्खास्त मारुति मज़दूरों के हक़ की आवाज़ हुई बुलंद

मारुति सुजुकी मज़दूर संघ द्वारा आयोजित कन्वेन्शन में मारुति मज़दूरों की कार्यबहाली के लिए आन्दोलन तेज करने व मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ व्यापक संघर्ष की ज़रूरत पर चर्चा हुई।
गुड़गांव। बर्खास्त मारुति मज़दूर साथियों की कार्यबहाली की मांग पर संघर्ष को तेज करने के लिए गुड़गांव स्थित प्रजापति धर्मशाला में 22 अगस्त को “मारुति मज़दूर न्याय कन्वेंशन” का आयोजन हुआ। इसमें मारुति सुजुकी के तीन प्लांट के यूनियन पदाधिकारी, प्लांट के आम मजदूर, बर्खास्त मारुति मजदूर और विभिन्न मजदूर संगठन के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
इस दौरान मारुति संघर्ष के इतिहास, अभी का संघर्ष की स्थिति और आगे के लिए संघर्ष का रुपरेखा पर बातचीत किया। साथ में मजदूर विरोधी नए लेबर कोड, यूनियन अधिकार पर हमलें, ठेकाप्रथा, व अन्य मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ व्यापक संघर्ष की ज़रूरत पर चर्चा हुई।

12 साल का संघर्ष लेकिन न्याय नहीं
वक्ताओं ने कहा कि 2012 में मारुति मानेसर प्रबंधन द्वारा यूनियन ख़त्म करने के लिए साजिश के तहत 147 मजदूरों को जेल में डाल दिया गया था और 546 स्थायी और 1800 ठेका मजदूरों को बिना कोई जाँच गैरकानूनी तरीके से निकाल दिया गया था। 12 वर्ष से मारुति मज़दूरों के न्याय का संघर्ष आज भी जारी है। जेल में बंद मजदूरों में से 13 मजदूर नेताओं को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। मारुती मजदूरों के क़ानूनी और जमीनी संघर्ष के बाद जेल में बंद साथी जमानत पर बाहर आये है।
वक्ताओं ने बताया कि यूनियन बनाने के संघर्ष में निकाले गए श्रमिकों के केस आज 12 साल बीत जाने के बाद भी लेबर कोर्ट गुड़गांव में चल रहा है, मगर क़ानूनी प्रक्रिया से जल्द न्याय मिलने का कोई भरोसा नहीं है, जमीनी आन्दोलन से ही न्याय हासिल हो सकता है। आज के इस समय में जब मजदूर आंदोलन उभार की स्थिति में नहीं है, न्यायालय का चरित्र भी पहले से और भी ज्यादा पूँजीपति वर्ग की तरफ झुका हुआ है। पिछले 12 साल में सरकार-प्रशासन और न्यायलय का मजदूर विरोधी चरित्र स्पष्ट हो चुका है।
सामूहिक एकता से ही मिलेगी जीत
प्लांट के अन्दर के मजदूर और बाहर निकाले गए मजदूर साथियों के बीच तालमेल बना कर जमीनी संघर्ष को तेज करना पड़ेगा, और जल्द ही इसपर कोई रुपरेखा प्रस्तुत करना पड़ेगा। मारुती प्रबंधन चाहता है कि यह मामला कानूनी प्रक्रियाओं में उलझा रहे। लेकिन मजदूरों के सामने हमेशा ही संघर्ष का रास्ता रहा है ओर मजदूरों को जो कुछ भी हासिल हुआ है वह मजदूरों की सामूहिक एकता के प्रयासों से ही हुआ है।
वक्ताओं ने कहा कि मारुति मानेसर में यूनियन बनाने का संघर्ष वर्ष 2011 से शुरू हुआ था लेकिन प्रबंधन ने अनेको प्रयास किये कि प्लांट में यूनियन न बने। लेकिन फैक्ट्री में कार्य करने वाले स्थाई, ट्रेनी, ठेका व अपरेंटिस सभी मजदूरों ने अपनी वर्गीय एकता बनाकर यूनियन बनाने के प्रयास किये तथा प्रबंधन के हमलो का मुँहतोड़ जवाब दिया। आज भी मजदूरों के सामूहिक एकता की ताकत से ही जीत हासिल हो सकती है।
मारुति यूनियन व विभिन्न संगठनों की रही भागीदारी
कन्वेन्शन में मारुति सुजुकी मानेसर प्लांट के प्रधान कॉम. अजमेर सिंह और महासचिव कॉम. संजय यादव, मारुति गुड़गांव प्लांट के महासचिव कॉम. राजेश और अध्यक्ष कॉम. ऋषिपाल, मारुति सुजुकी पॉवरट्रेन प्लांट के प्रधान कॉम. मनोज और महासचिव कॉम. संदीप कन्वेंशन के अध्यक्ष मंडल में शामिल रहे और तीन यूनियन की तरफ से संबोधित किया। मारुति प्रोविजनल कमिटी के साथी खुशीराम और मारुति मानेसर यूनियन पदाधिकारी हरमिंदर ने संचालन किया।
सभा में मारुती मानेसर प्रोविजनल कमिटी की तरफ से कॉमरेड सतीश, मारुती गुडगाँव प्लांट से सन 2001 में संघर्ष के चलते निकाले गए मजदूर साथी श्रवण, जन संघर्ष मंच हरियाणा से कॉम. सोमनाथ, मजदूर सहयोग केंद्र से कॉम. अमित, इंकलाबी मजदूर केंद्र से कॉम. श्यामवीर, इफ्टू सर्वहारा से कॉम. सिद्धांत, श्रमिक संग्राम कमिटी से कॉम. सुभाष, मजदूर पत्रिका से कॉम. संतोष, AICWU के प्रतिनिधि, संग्रामी घरेलु कामगार यूनियन से कॉम. उदिता, कलेक्टिव से कॉम. तथागत सहित विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपनी बात रखी। क्रांतिकारी नौजवान सभा के कॉम. आदित्य ने क्रांतिकारी गीत प्रस्तुत किया।
मारुति मज़दूर आंदोलन : एक नज़र मे
(अन्यायपूर्ण दमन के साथ अन्यायपूर्ण सजा भोगते मारुति के संघर्षरत मज़दूरों के साथ असल में हुआ क्या… मेहनतकश वेबसाइट में धारावाहिक 10 किस्तों में प्रकाशित मारुति आंदोलन की जीवंत तस्वीर प्रस्तुत करता है…)
संलग्न लिंक पर क्लिक करके पढ़ें/जानें-
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- तीसरी क़िस्त – दमन का वह भयावह दौर
- चौथी क़िस्त- दमन के बीच आगे बढ़ता रहा मारुति आंदोलन
- पाँचवीं क़िस्त- रुकावटों को तोड़ व्यापक हुआ मारुति आंदोलन
- छठीं क़िस्त- मारुति आंदोलन : अन्याय के ख़िलाफ़ वर्गीय एकता
- सातवीं क़िस्त- मारुति कांड : जज और जेलर तक उनके…
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- नौवीं क़िस्त- मारुति संघर्ष : न्यायपालिका भी पूँजी के हित में खडी
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