किसान आंदोलन के नौ महीने पूरे होने पर 26-27 अगस्त को होगा राष्ट्रीय सम्मेलन

एसकेएम ने कहा कि पंजाब में गन्ना किसानों का विरोध जारी है। कहा विरोध सबका मूलभूत अधिकार है, यूपी सरकार प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे वापस ले।

जालंधर में गन्ना किसानों का विरोध जारी

पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों के गन्ना किसान 20 अगस्त 2021 से धनोवली के पास जालंधर में एक राष्ट्रीय राजमार्ग पर अनिश्चितकालीन विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। धरना आज चौथे दिन भी जारी रहा। चंडीगढ़ में पंजाब सरकार के साथ कल हुई बातचीत का कोई ठोस नतीजा नहीं निकला, इस कारण, विरोध जारी है। राष्ट्रीय राजमार्ग और एक रेलवे लाइन पर प्रदर्शनकारियों का कब्जा है।

पंजाब: गन्ना किसानों ने ब्लॉक किया जालंधर-फगवाड़ा हाईवे और रेलवे ट्रैक, 200  करोड़ का बकाया भुगतान करने की मांग | Punjab Sugarcane farmers block  Jalandhar Phagwara ...

पंजाब सरकार द्वारा किसान संगठनों के साथ साँझा किए गए उत्पादन की लागत के आंकड़ों को वे  स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। पंजाब सरकार ने गन्ने के अपने एसएपी (SAP) में कोई वृद्धि नहीं की है, भले ही उनके अपने शोधकर्ताओं के आंकड़े फसल की उत्पादन लागत में वृद्धि दर्शाते हैं। गन्ना उत्पादक इस बात से नाराज और चिंतित हैं कि राज्य सरकार फसल विविधीकरण का प्रयास कर रहे किसानों को पर्याप्त समर्थन के बिना फसलों के विविधीकरण की बात कर रही है।

पंजाब सरकार ने पड़ोसी हरियाणा की तुलना में इसकी कीमतें बहुत कम रखी हैं और अब तक बकाया का भुगतान भी नहीं किया गया है। इस बीच प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नवजोत सिद्धू ने ट्वीट कर कहा था कि पंजाब की ओर से दिया जाने वाला एसएपी बेहतर होना चाहिए और हैरानी की बात यह है कि पंजाब का एसएपी हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों से कम है, जबकि खेती की लागत अधिक है।

26-27 अगस्त के अखिल भारतीय सम्मेलन की तैयारी जोरों पर

सिंघू बॉर्डर पर 26-27 अगस्त को होने वाले एसकेएम के अखिल भारतीय सम्मेलन की तैयारी चल रही है। एसकेएम के घटकों से उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिली है और सैकड़ों किसान संगठनों के भाग लेने की उम्मीद है। 26 अगस्त 2021 को, पूरे भारत में विरोध प्रदर्शनों तथा दिल्ली की सीमाओं पर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों के नौ महीने हो जायेंगे, और पंजाब के कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शनों के नौ महीने से तीन महीने अधिक हो गए होंगे (यहाँ बहुत जल्द विरोध का एक वर्ष होगा)।

किसान विरोधी हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार डरी हुई है

इस ऐतिहासिक किसान आंदोलन की शुरुआत से ही हरियाणा की भाजपा-जजपा सरकार किसान विरोधी रही है। यह हरियाणा सरकार थी जिसने 25 को नवंबर 2020 में केंद्र सरकार के सामने अपनी समस्याओं और मांगों को प्रस्तुत करने के लिए राष्ट्रीय राजधानी की ओर जा रहे प्रदर्शनकारी किसानों के काफिले के रास्ते में कई बाधाएं खड़ी की थीं। दिल्ली की ओर जाने वाले किसानों पर की गई हिंसा के अलावा, सरकार द्वारा हरियाणा में कई अवैध गिरफ्तारियां की गईं।

राज्य सरकार ने किसानों को डराने के लिए नए नए कानून बनाए, और लगभग 40,000 किसानों पर फर्जी मामले दर्ज किए, जिससे ऐसा लगा जैसे कि उसने अपने ही नागरिकों के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा हो। खट्टर सरकार की घबराहट कई मायनों में स्पष्ट है, जब राज्य में किसानों का आंदोलन जोर पकड़ रहा है। स्पष्ट है कि प्रदेश में भाजपा और जजपा नेता जनता का सामना करने और अपने किसान विरोधी कार्यों के लिए जवाबदेह बनाए जाने से डरे हुए हैं।

यूपी में मुक़दमें वापस लो, विरोध सभी नागरिकों का मूलभूत अधिकार

उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार अपने जनविरोधी रुख में और आगे है। राज्य में जैसे-जैसे किसानों का आंदोलन तेज होता जा रहा है, योगी आदित्यनाथ सरकार और ज्यादा परेशान होती जा रही है। हाल के दिनों में यूपी में प्रदर्शन कर रहे किसानों के खिलाफ मामले दर्ज किए गए हैं। पीलीभीत में मंत्री बलदेव सिंह औलख के खिलाफ शांतिपूर्ण काले झंडों के विरोध प्रदर्शन  में भाग लेने वाले 58 किसानों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। राज्य के किसान संगठन इन मामलों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। यह नागरिकों के शांतिपूर्ण विरोध के मूल अधिकार का उल्लंघन है।

हरियाणा में जजपा विधायक ने किसानों से माफी मांगी

हरियाणा में, जजपा विधायक जोगी राम सिहाग कल बडोपट्टी टोल प्लाजा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों से माफी मांगने के लिए पहुंचे, और किसानों द्वारा पहले जारी किये गए अल्टीमेटम का  पालन किया। हिसार जिले के सरसौद गांव में 14 अगस्त को विधायक के अनुयायियों द्वारा की गई हिंसा को लेकर 58 से अधिक गावों के किसानों ने कड़ी आपत्ति जताई थी।

संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा जारी (270वां दिन, 23 अगस्त 2021)

जारीकर्ता – बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह, योगेंद्र यादव।

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