मंड्या : मैशुगर मिल के निजीकरण के विरोध में आंदोलन तेज

ग्रामीण व गन्ना किसान हुए लामबंद

मंड्या. जिले में पांच साल से बंद बड़ी सबसे बड़ी मैशुगर मिल के निजीकरण के विरोध में एक बार फिर किसान एकजुट होने लगे हैं। मिल बंद होने की वजह से गन्ना उत्पादन किसानों को गन्ना बेचने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिले में 32000 हेक्टेयर में गन्ना की खेती होती है।

मिल बंद होने के कारण किसानों को गन्ना बेचने के लिए पांडवपुरा, केआरपेट, मद्दूर तहसील की छोटी मिलों में जाकर लम्बे इंतजार के बाद गन्ना बेचना पड़ रहा है। परेशानी से बचने के लिए कुछ किसान गांवों में गुड़ बनाने वाले कारखानों में औने-पोने दाम में बेच रहे हैं। मैशुगर मिल खोलने के लिए कई बार कन्नड़ संगठन व गन्ना उत्पादक किसान प्रदर्शन कर चुके हैं और जिला प्रशासन को ज्ञापन सौंप चुके हैं।

बताया जाता है कि सरकार मैशुगर मिल का निजीकरण करना चाहती है लेकिन जिले के किसानों का एक बड़ा वर्ग निजीकरण का विरोध कर रहा है। वहीं ऐसे किसान भी हैं जो निजीकरण का समर्थन कर रहे हैं। जिले के जद- एस( जनता दल) व कांग्रेस विधायक भी मिल के निजीकरण के विरोध में हैं।

सांसद सुमालता अंबरीश ने निजीकरण का समर्थन किया था लेकिन उन्हें भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। निजीकरण के विरोध में किसानों ने जिलाधिकारी कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया था।

किसान संगठन से जुड़ी सुनीता जयराम ने कहा कि सरकार को मैशुगर मिल का निजीकरण करने के बजाय खुद चलाना चाहिए। निजीकरण करने पर मिल मालिक मनमाने भाव से किसानों से गन्ना खरीदी करेगा। जिला गन्ना उत्पादन किसान संगठन सदस्य वेणु गोपाल भी मिल के निजीकरण का विरोध कर चुके है। गौरतलब है कि पांडवपुरा तहसील में पीएसएस मिल बंद होने पर दो वर्ष पहले 40 वर्ष के लिए निजीकरण किया गया है। मिल की देखरेख भाजपा मंत्री मुरगेश निराणी कर रहे हैं।

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