मज़दूरों में तेजी से फैलते कोविड संक्रमण के मामलों से बढ़ता खौफ़

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हरिद्वार, उधम सिंह नगर और देहारादून की कई कंपनियों के मज़दूर संक्रमित

उत्तराखंड के औद्योगिक क्षेत्रों में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ने के साथ मौत के भी मामले सामने आने लगे हैं। औद्योगिक क्षेत्र में भय का माहौल गहराता जा रहा है और यूनियनों द्वारा सुरक्षा, टेस्ट और 15 दिन लॉकडाउन की माँग मुखर होने लगी हैं।

हिंदुस्तान यूनिलीवर, आईटीसी, हीरो, विप्रो, एकम्स, कॉरल, एचयूएल, से लेकर महिंद्रा, टाटा, ब्रिटानिया, बजाज, महालक्ष्मी, वीएचबी, जेबीएम, राकेट, सेंचुरी आदि में संक्रमण के साथ ही डाली और समीर व बालाजी एक्शन में मौत की खबरों से खौफ का माहौल है।

स्थिति यह है कि लॉकडाउन के बावजूद धड़ल्ले से कारखाने चल रहे हैं, जहाँ कोविड-19 गाइड लाइन का पालन भी नहीं हो रहा है। भौतिक दूरी बनाने, जरूरी सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने जैसी बातें तो दूर, समूह में काम करने के बावजूद कोविड टेस्ट तक की औपचारिकता पूरी नहीं हो रही है। संक्रमण के मामलों को भरसक छुपाया जाता है।

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नामों को दबाता मीडिया

मिडिया में भी संक्रमण यहाँ तक कि मौत की भी ख़बर में कम्पनी का नाम प्रायः गायब रहता है, ज्यादा से ज्यादा सिडकुल की एक कंपनी ही छपता है, वर्ना मोहल्ले, कॉलोनी या गाँव का नाम होगा।

ख़बरों की बानगी देखें- पुराना जिला अस्पताल, भूत बंगला, ओमेक्स में संक्रमित मिले, जो सिडकुल स्थित एक कंपनी में कार्यरत हैं। फुलसुंगा में सिडकुल की कम्पनी के 3 कर्मचारी संक्रमित पाये गए। मोट्रोपोलिस में संक्रमित मिले व्यक्ति सिडकुल की कम्पनी में अधिकारी हैं। लालकुआं में कई संक्रमित, उनमे सिडकुल की विभिन्न कम्पनियों के मज़दूर हैं। सिसई बण्डिया निवासी युवक में भी कोरोना की पुष्टि जो रुद्रपुर सिडकुल की एक कंपनी में काम करता है।

औद्योगिक क्षेत्रों में फैलता संक्रमण

संक्रमण के मामलों में जिन कंपनियों के नाम उजागर हुए हैं, उनकी तस्वीर से ही हालत को समझा जा सकता है।

हरिद्वार के औद्योगिक क्षेत्र हिंदुस्तान यूनिलीवर में करीब 300 लोगों के संक्रमण की बड़ी ख़बर के अलावा आईटीसी में 3 मज़दूरों, विप्रो में 3 हीरो में 4 एकम्स में 9 मज़दूरों सहित 400 से ज्यादा मज़दूरों के संक्रमण के मामले उजागर हो चुके हैं।

देहरादून स्थित कोरल व एचयूएल के 38 मज़दूरों के संक्रमित होने की ख़बर सामने आ चुकी है।

उधम सिंह नगर के पंतनगर  में टाटा मोटर्स की वेंडर डाली और समीर के प्लांट हेड और सितारगंज में बालाजी एक्सन में एक मज़दूर की मौत की ख़बर है।

पंतनगर में महिंद्रा के ट्रैक्टर प्लांट, ब्रिटानिया, टाटा मोटर्स, वीएचबी, बजाज, थाई सुमित नील ऑटो (जेबीएम), महालक्ष्मी पोलिबैग, राकेट रिद्धि-सिद्धि सहित तमाम कम्पनियों में मज़दूरों के संक्रमित होने की ख़बर उजागर हो चुकी है। इसके आलावा तमाम कंपनियों के मामले उजागर हुए हैं, लेकिन नाम नहीं ज्ञात हो सका है।

लालकुआं (नैनीताल)  स्थित सेंचुरी पल्प एंड पेपर मिल में भी मज़दूर संक्रमित पाये जाने की ख़बर हैं।

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जिम्मेदारी से भागती कंपनियाँ

संक्रमण के मामले उजागर होने के बावजूद इलाज की ज़िम्मेदारी से भी कंपनियाँ हाथ खीच ले रही हैं। अभी महज 10 फ़ीसदी श्रमिकों के टेस्ट की सरकारी घोषणा हुई, वह भी कहीं नहीं हो रहा है। वैसे भी जब सरकार की गाइडलाइन में टेस्ट निजी खर्चे पर घोषित है, तो कम्पनी भला क्यों खर्च करे!

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मज़दूरों की माँगें-

हरिद्वार, पंतनगर, सितारगंज की यूनियनों का कहना है कि एक तरफ तेजी से बढ़ते संक्रमण के बीच लॉकडाउन हो रहा है, दूसरी ओर सारी कंपनियां पूरी क्षमता से चल रही हैं। ऐसे में यह संक्रमण को बढ़ाने का ही काम कर रही हैं, जिसका सबसे ज्यादा दुस्प्रभाव मज़दूरों पर पड़ रहा है।

विभिन्न कंपनियों की मज़दूर यूनियनों ने माँग की है कि कोविड-19 गाइडलाइन के तहत संक्रमित कर्मचारी के संपर्क में आए समस्त लोगों की कोविड जाँच के साथ उनको क्वेरन्टीन किया जाए, बस व प्लांट को सैनिटाइज किया जाए, संक्रमण की स्थिति में कंपनी द्वारा इलाज का खर्च वहन किया जाए, क्वरेन्टीन अवधि में उन्हें सवेतन अवकाश दिया जाए। निधन की स्थिति में 50 लाख रुपए का मुआवजा और आश्रित को नौकरी दी जाए।

कई यूनियनों ने यह भी माँग की है कि सारे कारखानों को 15 दिन के लिए लॉकडाउन कर दिया जाए और मज़दूरों को सवेतन अवकाश दिया जाए, ताकि संक्रमण के चेन को तोडा जा सके। प्लांट पुनः शुरू होने पर 50 फ़ीसदी मज़दूरों से काम कराया जाए और दो पालियों के बीच एक घंटे का अंतराल रखा जाए।

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