बजाज ऑटो में 250 संक्रमित, प्लांट बंद करने की माँग

बजाज ने कहा कम्पनी चलेगी, मज़दूर ‘वायरस के साथ जीना’ सीख लें

बजाज ऑटो के औरंगाबाद (महाराष्ट्र) के वालुज स्थित प्लांट में 250 से ज्यादा कोरोना पॉजिटिव मिलने और चार श्रमिकों की मौत के बाद यूनियन ने प्लांट को अस्थायी रूप से बंद करने की माँग की है। जबकि कंपनी का कहना है कि काम नहीं रुकेगा क्योंकि कंपनी चाहती है कि लोग ‘वायरस के साथ जीना’ सीख लें।

मालूम हो कि भारत में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमण के मामले महाराष्ट्र राज्य में ही हैं। भारत की सबसे बड़ी मोटरबाइक कंपनी बजाज ऑटो के पश्चिमी महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले के वालुज प्लांट में भी 250 से ज्यादा कोरोना संक्रमित मामले आ चुके हैं और चार श्रमिकों की मौत हो चुकी है।

इसके बावजूद पिछले दिनों कंपनी ने कर्मचारियों को जारी एक पत्र में कहा था कि जो भी काम पर नहीं आएगा, उसे वेतन नहीं मिलेगा।

यूनियन ने की अस्थाई रूप से प्लांट बंद करने की माँग

बीते शनिवार को कंपनी की बजाज ऑटो वर्कर यूनियन ने अस्थाई रूप से प्लांट बंद करने की माँग उठाई। यूनियन के अध्यक्ष थेंगड़े बाजीराव ने कहा, ‘लोग काम पर आने से डर रहे हैं। कुछ लोग अभी भी आ रहे हैं लेकिन कुछ लोग छुट्टी ले रहे हैं।‘

प्रबंधन जोखिम में डालकर काम कराने पर आमादा

बीते 26 जून को कंपनी ने कहा था कि 8,000 स्टाफ में से करीब 140 लोग संक्रमित हैं और दो लोगों की मौत हो चुकी है। हालाँकि समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, वालुज क्षेत्र की देखरेख करने वाले औरंगाबाद जिले के एक अधिकारी ने कहा कि बजाज प्लांट में मामलों की संख्या अब 250 से अधिक हो गई है। रिपोर्ट के अनुसार चार श्रमिकों की मौत हो चुकी है।

कंपनी की ओर से कहा गया था कि यहाँ पर काम नहीं रुकेगा क्योंकि कंपनी चाहती है कि लोग ‘वायरस के साथ जीना’ सीख लें।

इससे पहले कम्पनी ने कर्मचारियों को लिखे पत्र में कहा है, ‘अगर कोई कर्मचारी कंपनी द्वारा कहे जाने के बावजूद किसी कारण से कार्यालय या प्लांट में अनुपस्थित रहता है, तो उसका 100 प्रतिशत वेतन काटा जाएगा।‘

बजाज का सबसे बड़ा प्लांट वलुजा प्लांट

33 लाख से अधिक मोटरबाइक और अन्य वाहनों की वार्षिक उत्पादन क्षमता के साथ वालुज प्लांट भारत में बजाज की कुल उत्पादन का 50 फीसदी से अधिक की हिस्सेदारी रखता है।

मजदूरों और यूनियन के नेताओं का कहना है कि बजाज ने अपनी बसों में अलग बैठने की व्यवस्था करने और कर्मचारियों के लिए मास्क और सैनिटाइटर उपलब्ध कराने के अलावा फैक्ट्री और कैफेटेरिया में सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाए हैं। लेकिन यह पर्याप्त नहीं है।

मुनाफे के लिए कम्पनियों का नया फंडा

एक तरफ पीएम मोदी ने संक्रमण के भय के बीच ‘चक्र तोड़ने के लिए लोगों का सार्वजानिक जीवन लॉकडाउन कर दिया है। दूसरी ओर बजाज ‘वायरस के साथ जीने’ की नसीहत दे रही है।

दरअसल, बजाज ने जो कहा है, सारी कम्पनियों की यही मंशा है। अप्रैल माह से ही उद्द्योग संघों द्वारा जो सुझाव दिए जा रहे हैं, मोदी सरकार उसी अनुरूप क़दम उठा रही है।

कोरोना महामारी के बहाने सभी जनतान्त्रिक अधिकारों को लॉकडाउन करना व प्रतिरोध की आवाजों का गला घोंटना। दूसरी ओर मुनाफे के हित में नीतियाँ बदलने में तेजी और उत्पादन जारी रखने के लिए ‘वायरस के साथ जीने’ की कवायद!

साफ़ है, मेहनतकश मज़दूर जमात को महज मुनाफे का टूल बना दिया गया है!

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