होंडा मज़दूरों ने निकली 22 किलोमीटर लम्बी रैली

संघर्षरत हजारों होंडा मजदूरों ने मानेसर आईएमटी चौक से गुडगांव डीसी ऑफिस तक की आवाज़ बुलंद

गुडगांव, 22 नवम्बर। पिछले 18 दिनों से अवैध छंटनी और ठेका प्रथा के ख़िलाफ़ संघर्षरत हजारों होंडा मानेसर के मजदूरों ने होंडा मानेसर आईएमटी चौक से गुडगांव डीसी ऑफिस तक 22 किलोमीटर लंबी न्याय संघर्ष रैली निकालकर अपना विरोध जताया। मज़दूरों ने ऐलान किया कि यदि उन्हें जल्द न्याय नहीं मिला तो आन्दोलन और तेज होगा।

रैली के अंत में ट्रेड यूनियन काउंसिल गुरुग्राम-रेवाड़ी की ओर से आयूक्त को 4 सूत्रीय ज्ञापन दिया गया और ठेका श्रमिकों की कार्यबहाली, स्थाईकारण आदि के साथ यूनियन के सामूहिक माँगपत्र के समाधान की माँग की गई।

रैली में होंडा मानेसर के परमानेंट और ठेका मजदूरों के साथ साथ मानेसर और धारूहेड़ा से होंडा, मारुति, मुंजाल सभा, रीको, सनबीम, होंडा टपूकड़ा, डाइकिन नीमराणा, हाई लेक्स, नैपिनो, बजाज, डाईकिन यूनियनों के साथ मजदूर सहयोग केंद्र, इंकलाबी मजदूर केंद्र, बिगुल मजदूर दस्ता, मजदूर संघर्ष समिति अलवर सहित कई जन संगठनों के लोग शामिल हुए।

गौरतलब है कि पिछले 4 दिसंबर से होंडा मानेसर के प्रबंधन ने करीब 500 ठेका मजदूरों की उत्पादन और माँग ना होने व मंदी के बहाने गेट बंद कर दिया था। वही प्लांट के स्थाई मजदूरों का पिछले 1 साल से वेतन समझौता लंबित है। इस अवैध छंटनी के विरोध में जहाँ 500 ठेका मज़दूर 4 नवम्बर से कंपनी गेट के बाहर धरनारत रहे, वहीँ करीब 14 दिनों तक प्लांट के अंदर उत्पादन रोक कर बैठने के बाद 1500 ठेका श्रमिक 17 नवम्बर को ट्रेड यूनियनों के आश्वासन पर प्लांट से बाहर निकले।

इस वक़्त निकाले गए सभी स्थाई और ठेका मजदूर होंडा मानेसर के सामने स्थित एक पार्क में बैठे हुए हैं। मजदूरों की प्रमुख माँगें हैं कि ठेके पर काम कर रहे कर्मचारियों को नियमित किया जाए। श्रम विभाग की मध्यस्थता में कई दौर की वार्ताओं के बावजूद अभी तक होंडा प्रबंधन समझौते के लिए राजी नहीं है।

उत्पादन कम होने और आर्थिक मंदी के नाम पर निकाले गए श्रमिकों और यूनियन का कहना है की होंडा के बाकी बेंगलुरु, टपूकड़ा और गुजरात स्थित प्लांटों में पूरा उत्पादन हो रहा है और रोज करीब 5500 से 6000 के बीच गाड़ियां बन रही है। इन सभी प्लांटों में क्षमता से अधिक उत्पादन किया जा रहा है, वहीं मानेसर प्लांट में आर्थिक मंदी और माँग ना होने के बहाने मज़दूरों की छंटनी करना गलत है।

2005 में होंडा और 2012 में मारुति के बाद मानेसर औद्योगिक क्षेत्र में 2019 का होंडा के मजदूरों का यह आंदोलन अपने आप में बहुत सारी संभावनाओं को समेटे हुए हैं। जरूरत है इस क्षेत्र में होंडा आंदोलन के बहाने ठेका मजदूरों की व्यापक एकता को कायम कर ठेका प्रथा के ख़िलाफ़ और समान काम समान वेतन की लड़ाई को मजबूत बनाने की।