एलजीबी : सुप्रीम कोर्ट से कंपनी हारी तो बढाया दमन

बौखलाए एलजीबी प्रबंधन ने दो यूनियन पदाधिकारियों का किया गेट बंद, मजदूरों में आक्रोश

पंतनगर (उत्तराखंड)। एलजी बालाकृष्णन एंड ब्रास लिमिटेड पंतनगर प्रबंधन ने यूनियन के दो पदाधिकारियों ललित सिंह बोरा और गोविंद सिंह की गैरकानूनी गेटबंदी कर दी है। यूनियन अध्यक्ष की गैरकानूनी बर्खास्तगी का मुकदमा सुप्रीम कोर्ट से हार जाने के बाद से उसकी बौखलाहट बढ़ गई है और वह तरह तरह से मज़दूरों का दमन बढ़ा रहा है। जबकि श्रम विभाग की भूमिका से भी मज़दूरों में नाराजगी है।

यूनियन बनने के बाद से है दमन जारी

दरअसल एलजीबी पंतनगर प्लांट में सन 2012 में यूनियन बनने के बाद से ही मज़दूरों का दमन-उत्तपीड़न लगातार चलता रहा है। सन 2012 में तत्कालीन यूनियन महामंत्री व वर्तमान अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह की उसने गैरकानूनी बर्खास्तगी कर दी थी। कई मज़दूर और यूनियन पदाधिकारियों को अलग-अलग प्लांटों में शिफ्ट किया था। तब से मज़दूरों का संघर्ष जारी है।

इस बीच वीरेंद्र सिंह श्रम न्यायालय काशीपुर से जीत गया और प्रबंधन को दबाव में कार्यबहाली करनी पड़ी थी। लेकिन उन्हें ट्रेनी बताकर अन्य श्रमिकों के समान वेतन, सुविधाएं, बोनस नहीं देता रहा है। उधर प्रबंधन पहले हाई कोर्ट नैनीताल फिर सुप्रीम कोर्ट गया, जहाँ से भी प्रबंधन को मुंह की खानी पड़ी।

माँग पत्र सहित कई मुद्दों पर विवाद मौजूद है

एलजीबी वर्कर्स यूनियन के माँग पत्र पर जनवरी 2017 से औद्योगिक विवाद चल रहा है, जोकि श्रम न्यायालय में लंबित है। अन्य कई मुद्दे भी विवादित हैं, जिनमें वीरेंद्र सिंह को स्थाईकरण का पत्र देने सहित वेतन व सुविधाओं को देने का भी मामला है।

इस बीच प्रबंधन यूनियन के कई पदाधिकारियों सहित दर्जनों श्रमिकों को झूठे आरोपों में कथित घरेलू जाँच के बहाने उत्पीड़ित करता रहा। अभी सुप्रीम कोर्ट से पराजय के बाद उसने दमन और तेज कर दिया और यूनियन के कोषाध्यक्ष ललित बोरा व संगठन मंत्री गोविंद सिंह की 11 नवंबर से बगैर किसी सूचना, बगैर कोई कारण बताए गैरकानूनी गेटबंदी कर दी है।

श्रम विभाग नही कर रहा कार्यवाही

गौरतलब है कि उत्तरप्रदेश औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के तहत औद्योगिक विवाद पर कार्यवाही लंबित रहते संबंधित अधिकारी से बगैर अनुमति/अनुमोदन गेटबन्दी जैसी कोई कार्यवाही गैरकानूनी कृत्य है। एलजीबी में श्रम न्यायालय के साथ डीएलसी के समक्ष विवाद लंबित है, इसके बावजूद श्रम विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नहीं हुई।

बढ़ते दमन के ख़िलाफ़ मज़दूर एकजुट

यही नहीं प्रबंधन जिले के रुद्रपुर प्लांट में कार्यरत श्रमिकों, जिनमें यूनियन के पदाधिकारी भी शामिल हैं, को भी तरह-तरह से परेशान कर रहा है और उनके गेटपास और छुट्टियों पर पाबंदी लगा दी है। इस प्लांट के मज़दूरों को यूनियन से अलग होने का भी दबाव बनाता रहा है, लेकिन मज़दूर एकजुट हैं।

प्रबंधन के बढ़ते दमन के खिलाफ मज़दूरों में आक्रोश बढ़ गया है और मज़दूर भी आर पार के नए संघर्ष की तैयारी में जुट गए हैं। इस पूरे मामले में श्रम विभाग की भूमिका लगातार संदिग्ध बनी हुई है। इससे भी मजदूरों में आक्रोश व्याप्त है।

मज़दूरों की कम संख्या के बावजूद हौसले मज़बूत

यूनियन बनने के समय एलजीबी में स्थाई व ठेका मज़दूरों की शानदार एकता थी, लेकिन सन 2012 के संघर्ष की पराजय के बाद जहाँ स्थाई मज़दूर दमन के शिकार हुए थे, वहीं ठेका मज़दूरों की भी नौकरी चली गई थी। इसलिए ताकत कमजोर हो गई।
अभी कंपनी में स्थाई मज़दूरों की संख्या भी काफी कम हो चुकी है वर्तमान में पंतनगर और रुद्रपुर दोनों प्लांट मिलाकर केवल 45 स्थाई मज़दूर कार्यरत हैं।

ऐसे में मज़दूरों का संघर्ष चुनौतीपूर्ण है लेकिन मज़दूर इस ताकत में ही पिछले 7 वर्षों से संघर्षरत हैं और संघर्ष जारी है।

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