कविता

कविताएं इस सप्ताह : सपना देखने का अधिकार !

चंद ताज़े मौजूँ शे’र…. / रवि सिन्हा लोग किस रंग में नहाये हैं हम तो...

कविताएँ इस सप्ताह : अंतरराष्ट्रीय श्रमजीवी महिला दिवस !

राजा ने कहा ‘जहर पीओ’ …वह मीरा हो गई / शरद कोकास  वह कहता था,...

सप्ताह की कविताएं : देशद्रोही होती बेटियाँ !

इन सबका दुख गाओगे या नहीं / भवानीप्रसाद मिश्र इस बार शुरू से धरती सूखी...

कविताएं इस सप्ताह : अभी वही है निज़ामे कोहना !

अभी वही है निज़ामे कोहना / ख़लीलुर्रहमान आज़मी अभी वही है निज़ामे कोहना अभी तो...

कविताएँ इस सप्ताह : गण और तंत्र के बीच जन !

शासन की बंदूक / नागार्जुन खड़ी हो गई चाँपकर कंकालों की हूक नभ में विपुल...

इस सप्ताह : संघर्षों से रीता जीवन !

कैसे न वे / स्वप्निल श्रीवास्तव कैसे न वे अचूक निशानेवाज बन जाये जब द्रोणाचार्य...

इस सप्ताह : सुप्रीम कोर्ट की कमेटी और किसानों का जलसा !

“चार कौवे उर्फ चार हौवे” / भवानी प्रसाद मिश्र (देश की सर्वोच्च अदालत ने ‘किसानों...

इस सप्ताह : खेमकरण ‘सोमन’ की सात कविताएँ !

मजदूर निहार रहे थे उस दिन मजदूर निहार रहे थे अपनी पत्नियों को पत्नियाँ समझ...

भूली-बिसरी ख़बरे