कविताएँ : बीते साल के दर्द के बीच “उम्मीद अभी ज़िंदा है!”
नए साल की शुभकामनाएँ! / सर्वेश्वर दयाल सक्सेना नए साल की शुभकामनाएँ! खेतों की मेड़ों पर धूल भरे पाँव को...
नए साल की शुभकामनाएँ! / सर्वेश्वर दयाल सक्सेना नए साल की शुभकामनाएँ! खेतों की मेड़ों पर धूल भरे पाँव को...
हिमांशु कुमार की दो कविताएं 1. कुछ लोग मारे गए क्योंकि उनकी दाढ़ियां लंबी थीं और दूसरे कुछ इसलिए मारे...
उरूजे कामयाबी पर कभी हिन्दोस्ताँ होगा / अशफ़ाक़उल्ला ख़ां उरूजे कामयाबी पर कभी हिन्दोस्ताँ होगा। रिहा सैयाद के हाथों से...
अपनी तस्वीर / मंगलेश डबराल यह एक तस्वीर है जिसमें थोड़ा-सा साहस झलकता है और ग़रीबी ढँकी हुई दिखाई देती...
किसान / प्रबोध सिन्हा तुम क्या जानो कि किसान क्या है तुम कैसे जानोगे क्योंकि तुम्हें तो ब्रांडेड चीजों का...
किसान / मैथलीशरण गुप्त हेमन्त में बहुदा घनों से पूर्ण रहता व्योम है पावस निशाओं में तथा हँसता शरद का...
सुबह हो रही है / कुंवर नारायण सुबह हो रही थी कि एक चमत्कार हुआ आशा की एक किरण ने...
धार / अरुण कमल कौन बचा है जिसके आगे इन हाथों को नहीं पसारा यह अनाज जो बदल रक्त में...
तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है / अदम गोंडवी तुम्हारी फाइलों में गाँव का मौसम गुलाबी है मगर...
गरीब कौन है..? / हिमांशु कुमार जिसके पास खाने के लिए खाना! पहनने के लिए कपड़ा! रहने के लिए मकान...