इस सप्ताह केदारनाथ अग्रवाल की चार कविताएं !
मिल मालिक मिल मालिक का बड़ा पेट है बड़े पेट में बड़ी भूख है बड़ी भूख में बड़ा जोर है...
मिल मालिक मिल मालिक का बड़ा पेट है बड़े पेट में बड़ी भूख है बड़ी भूख में बड़ा जोर है...
चार कौए - भवानीप्रसाद मिश्र की कविता कभी-कभी जादू हो जाता है दुनिया में दुनिया भर के गुण दिखते हैं...
नीलाभ की कविता यह ऐसा समय है जब बड़े-से-बड़े सच के बारे में बड़े-से-बड़ा झूठ बोलना सम्भव है सम्भव है...
#भाषा की बंदी एक दिन आधी रात को उन्होंने भाषा पर पाबंदी लगा दी घोषणा हुई आज से सब की...
जन कवि सर्वेश्वर दयाल सक्सेना के जन्म दिवस (15 सितम्बर) पर आज के दौर के लिए उनकी एक प्रासंगिक कविता...
हिंदी दिवस पर भारतेंदु हरिश्चंद्र की रचना निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल। बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत...
हम लड़ेंगे साथी, ग़ुलाम इच्छाओं के लिए हम चुनेंगे साथी, ज़िन्दगी के टुकड़ेहथौड़ा अब भी चलता है, उदास निहाई परहल...
शंकर शैलेंद्र का जन्म 30 अगस्त, 1923 को रावलपिंडी में हुआ था. मूल रूप से उनका परिवार बिहार के भोजपुर...
अधिनायक (रघुवीर सहाय) राष्ट्रगीत में भला कौन वहभारत-भाग्य-विधाता हैफटा सुथन्ना पहने जिसकागुन हरचरना गाता है। मखमल टमटम बल्लम तुरहीपगड़ी छत्र...