नगालैंड की केंद्र से प्रोटेक्टेड एरिया परमिट रद्द करने की अपील, कहा- हमारी स्थिति मिजोरम-मणिपुर से अलग

Nagaland

नगालैंड सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर राज्य को प्रोटेक्टेड एरिया परमिट (पीएपी) के दायरे से बाहर करने का अनुरोध किया है. इस पत्र में कहा गया है कि नगालैंड में शांति है और इसके सीमावर्ती क्षेत्रों की स्थिति मिजोरम और मणिपुर के सीमावर्ती क्षेत्रों से अलग है.

नई दिल्ली: नगालैंड सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर राज्य को संरक्षित क्षेत्र परमिट (प्रोटेक्टेड एरिया परमिट-पीएपी) के दायरे से बाहर करने का अनुरोध किया है. इस पत्र में कहा गया है कि नगालैंड में शांति है और इसके सीमावर्ती क्षेत्रों की स्थिति मिजोरम और मणिपुर के सीमावर्ती क्षेत्रों से अलग है.

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने पिछले साल 7 दिसंबर को मणिपुर, नगालैंड और मिजोरम में प्रोटेक्टेड एरिया रेजीम को फिर से लागू कर दिया था, ताकि पड़ोसी देशों से आने वाले लोगों के कारण सुरक्षा संबंधी बढ़ती चिंताओं के बीच विदेशियों की आवाजाही पर नजर रखी जा सके.

मालूम हो कि तकरीबन 14 साल के अंतराल के बाद यह छूट वापस ले ली गई थी. 2011 में तत्कालीन यूपीए-II सरकार के तहत केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पूर्वोत्तर राज्यों में पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से मणिपुर, नगालैंड और मिजोरम से पीएपी को खत्म कर दिया था. नगालैंड के मुख्य सचिव द्वारा लिखे गए पत्र में कहा गया है, ‘आप जानते हैं कि नगालैंड के सीमावर्ती क्षेत्रों की स्थिति मिजोरम और मणिपुर के सीमावर्ती क्षेत्रों से अलग है. यहां म्यांमार और नगालैंड की सीमाओं पर सजातीय जनजातीय संरचना, म्यांमार और मणिपुर तथा म्यांमार और मिजोरम की सीमाओं पर विषम जनजातीय संरचना से भिन्न है. इसके अलावा म्यांमार और नगालैंड के सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले समुदाय घनिष्ठ पारिवारिक, सामाजिक और वैवाहिक संबंधों के साथ सामाजिक रूप से एक दूसरे से जुड़े हुए हैं.’

इसमें कहा गया है कि नगालैंड ‘कानून-व्यवस्था और महिलाओं की सुरक्षा के मामले में देश का सबसे शांतिपूर्ण राज्य है’ और इसकी कम अपराध दर ने राज्य को घरेलू और विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने में मदद की है.’ पत्र में आगे कहा गया है कि पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए राज्य सरकार ने भारत सरकार के सक्रिय समर्थन से भौतिक बुनियादी ढांचे में निवेश सहित कई पहल की हैं. इन प्रयासों की बदौलत, हाल ही में संपन्न हॉर्नबिल फेस्टिवल के 25वें वर्ष में रिकॉर्ड पर्यटकों की आमद देखी गई. इस मुद्दे पर चर्चा के लिए 6 जनवरी को राज्य सरकार की कैबिनेट बैठक आयोजित होने का उल्लेख करते हुए इसमें कहा गया है कि पीएपी को फिर से लागू करने से राज्य की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी जो मुख्य रूप से पर्यटन पर निर्भर है.

मंत्रिमंडल का कहना है कि राज्य में संरक्षित क्षेत्र व्यवस्था को फिर से लागू करने से राज्य में पर्यटकों की आमद पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और राज्य की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.

पत्र में लिखा गया है, ‘मंत्रिमंडल ने आगे फैसला किया कि नगालैंड में विदेशी पर्यटकों की उचित निगरानी सुनिश्चित करने के लिए, राज्य सरकार द्वारा राज्य में आने वाले विदेशियों के पंजीकरण और ट्रैकिंग के लिए एक प्रभावी तंत्र स्थापित किया जाएगा. इसलिए, नगालैंड को पहले दी गई छूट को बहाल किया जा सकता है.’

मालूम हो कि पीएपी के तहत भारत के कुछ प्रतिबंधित क्षेत्रों में जाने वाले विदेशी नागरिकों को कुछ जांच और आवश्यकताओं को पूरा करने के बाद विशेष परमिट प्राप्त करना होता है. परमिट आमतौर पर 10 दिनों की अवधि के लिए दिया जाता है, जिसे बढ़ाया जा सकता है. परमिट केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य प्राधिकरणों द्वारा जारी किया जाता है.

इसमें कहा गया है, ‘भारत-म्यांमार सीमा में मुक्त आवागमन व्यवस्था के संबंध में मंत्रिमंडल ने केंद्र सरकार से पुरानी फ्री मूवमेंट रेजीम (एफएमआर) को बहाल करने और सीमा पार लोगों की आवाजाही के लिए उचित नियम बनाने और प्रक्रियाएं निर्धारित करने का अनुरोध करने के अपने पहले के फैसले को दोहराया है.’

उल्लेखनीय है कि अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, मणिपुर, नगालैंड और मिजोरम तथा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों को सरकार ने संरक्षित क्षेत्रों की सूची में रखा है. वर्ष 2011 में मणिपुर, मिजोरम और नगालैंड के लिए इस आदेश में ढील दी गई थी.