7 साथियों को इससे पूर्व जमानत मिल चुकी है। जालिमाना सजा झेलते 3 मज़दूरों के भी जमानत की कोशिशें जारी हैं। सभी की जमानत कास्टडी आधार पर मिल रही है।
चंडीगढ़। करीब 10 साल से जेल में बंद मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन मानेसर के पूर्व क़ानूनी सलाहकार मज़दूर साथी अजमेर को भी आज 23 मार्च को पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायलय, चंडीगढ़ से कास्टडी आधार पर (यानी जेल में बिताए दिनों के आधार पर) ज़मानत मिल गई।
ज्ञात हो कि अन्यायपूर्ण उम्रक़ैद झेलते 13 मज़दूरों में से पवन दहिया व जिया लाल की बीते साल दुर्भाग्यपूर्ण दुखद मौत हो गई थी।
शेष 11 नेतृत्वकारी मज़दूर साथियों में से अबतक सात साथियों- रामबिलास को 24 नवंबर, 2021 को, संदीप ढिल्लों और सुरेश को बीते 19 जनवरी को, योगेश यादव को 8 फरवरी को जबकि पूर्व प्रधान राममेहर, पूर्व महासचिव सर्वजीत और प्रदीप गुज्जर की 21 फरवरी को जमानत मिली थी।
अभी शेष तीन साथियों की जमानत की कोशिशें जारी हैं। एक साथी अमरजीत को जल्द जमानत मिलने की उम्मीद है। साथ ही उन सभी साथियों की बेगुनाही के लिए भी क़ानूनी लड़ाई जारी है।
उल्लेखनीय है कि मारुति सुजुकी, मनेसर के मज़दूर सन 2011 से संगठित हो संघर्ष कर रहे हैं। 2012 में यूनियन पंजीकृत कराने और ठेका मज़दूरों के भी हक़ की आवाज उठाने के कारण यूनियन नेता व मज़दूर प्रबंधन की आँख की किरकिरी बने हुए थे।
एकजुट संघर्ष से घबराए मारुति सुजुकी, मानेसर के प्रबंधन ने 18 जुलाई, 2012 को प्लांट में साजिशपूर्ण घटना को अंजाम दिया और मालिक-सरकार-प्रशासन की मिलीभगत से भारी दमन चक्र चला था।
तब निर्दोष 148 मज़दूरों को जेल के अंदर डाल दिया गया था। उन्हें पुलिस व जेल की यातनाएं सहनी पड़ी। साथ ही करीब ढाई हजार स्थाई-अस्थाई मज़दूरों की अवैध बर्खास्तगी हुई थी। तबसे गुजरे एक दशक से मारुति मज़दूरों का संघर्ष जारी है।
18 मार्च 2017 को सेशन कोर्ट गुडगांव द्वारा सुनाए गए फैसले में 117 मज़दूर बरी हुए, नेतृत्वकारी 13 मज़दूर साथियों को आजीवन कारावास की सजा तथा 18 साथियों को आंशिक सजा मिली। करीब 10 साल से 13 मज़दूर जेल की कालकोठरी में अन्यायपूर्ण उम्रक़ैद की सजा भुगत रहे हैं।
पीड़ित सभी मज़दूर साथी न्याय की उम्मीद में बिना किए अपराध के सजा काट रहे हैं।
मिल रहे जमानत की खुशियों के बीच मज़दूरों का न्यायपूर्ण संघर्ष जारी है।
मारुति संघर्ष गाथा- पहली क़िस्त
- दूसरी क़िस्त- संघर्ष, यूनियन गठन और झंडारोहण
- तीसरी क़िस्त – दमन का वह भयावह दौर
- चौथी क़िस्त- दमन के बीच आगे बढ़ता रहा मारुति आंदोलन
- पाँचवीं क़िस्त- रुकावटों को तोड़ व्यापक हुआ मारुति आंदोलन
- छठीं क़िस्त- मारुति आंदोलन : अन्याय के ख़िलाफ़ वर्गीय एकता
- सातवीं क़िस्त- मारुति कांड : जज और जेलर तक उनके…
- आठवीं क़िस्त- मारुति कांड : फैसले के ख़िलाफ़ उठी आवाज़
- नौवीं क़िस्त- मारुति संघर्ष : न्यायपालिका भी पूँजी के हित में खडी