लॉकडाउन के बीच धार्मिक आयोजन, तीर्थ यात्रियों की रवानगी

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खास तबके को छूट, बाकि से सख्ती, क्या कोरोना संक्रमण की चेन ऐसे टूटेगी?

पूरे देश में लॉकडाउन है, प्रवासी मज़दूर जहाँ-तहाँ बुरी स्थितियों में फंसे पड़े हैं, लेकिन धार्मिक उत्सवों और तीर्थ के लिए छूट जारी है। कर्नाटक के कलबुर्गी में धार्मिक कार्यक्रम में हजारों की भीड़ हो, या वाराणसी से तीर्थ यात्रियों के लिए बस की व्यवस्था का मायने क्या है? क्या तबलीगी जमात से यही सीख मिली है?

देश भर में लागू लॉकडाउन और तमाम सख़्तियों के बीच घर्म के नाम पर क्या हो सकता है, ताजा कुछ उदहारण गौरतलब है-

कलबुर्गी (कर्नाटक) के धार्मिक मेले में हजारों की भीड़

कर्नाटक के कलबुर्गी में गुरुवार (16 अप्रैल) को आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम, सिद्धालिंगेश्वर मेले में हज़ारों की संख्या में लोग इकट्ठे हो गए। मेला कलबुर्गी जिले के चिट्टापुर तालुका में आयोजित किया गया था। कलबुर्गी वही जिला है, जहां भारत में कोरोना वायरस से पहली मौत हुई थी।

इंडिया टुडे के मुताबिक़, इस घटना का जो वीडियो सामने आया है, उसमें हज़ारों लोगों को कंधे से कंधा मिलाकर रथ को खींचते हुए देखा जा सकता है। इस दौरान न तो लॉकडाउन की कोई फिक्र की गई और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा गया। स्थानीय पुलिस और जिला प्रशासन ने उन्हें रोकने की कोई कोशिश नहीं की।

यह मेला तब आयोजित हुआ, जब कर्नाटक में एक दिन में कोरोना वायरस से संक्रमण के सबसे ज़्यादा मामले सामने आए। गुरुवार को राज्य में 34 नये कोरोना संक्रमित मरीज मिले हैं। राज्य में अब तक 315 लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं और 13 लोगों की मौत हो चुकी है। 

भाजपा विधायक ने मनाया बर्थडे पार्टी

बीजेपी MLA ने उड़ाई सोशल डिस्टेंसिंग ...

इससे पहले 10 अप्रैल को कर्नाटक भाजपा विधायक एम. जयराम ने अपना बर्थडे जोर-शोर से मनाया था। इस मौक़े पर उनके सैकड़ों समर्थक जमा हुए थे और बड़ा चॉकलेट केक काटा गया था। इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में बच्चों को भी बुलाया गया था। बर्थडे में शामिल हुए लोगों को बिरयानी भी परोसी गई थी।

900 तीर्थ यात्रियों को लेकर 20 बसें वाराणसी से रवाना

कोरोना/लॉकडाउन के बीच प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से 900 तीर्थ यात्रियों को लेकर बीस बसें 13 अप्रैल को दक्षिण भारत रवाना की गईं। दैनिक जागरण की ख़बर के अनुसार आंध्र प्रदेश के राज्य सभा सांसद बीएल नरसिम्हाराव की पहल पर केंद्र सरकार के आदेश से दक्षिण भारतीय तीर्थ यात्रियों को उनके गंतव्य तक भेजा गया।

यात्रियों की रवानगी जिलाधिकारी के आदेशानुसार एसीएम प्रथम रामसजीवन मौर्य और सीओ भेलूपुर सुधीर जायसवाल की देखरेख में सोनारपुरा से हुईं, जिन्हें आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल लेकर गईं। रास्ते में कुछ और यात्रियों को भी भरा जाएगा।

लेकिन चिंता प्रवासी मज़दूरों की क्यों नहीं?

यह महत्वपूर्ण है कि कोरोना संक्रमण का चेन तोड़ने के लिए बगैर तैयारी पूरे देश में लॉकडाउन घोषित होने से मेहनतकश-मज़दूरों की एक बड़ी आबादी देश के विभिन्न हिस्सों में अटकी पड़ी है। जिन्हें पुलिसिया दमन सहित तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन उनकी वापसी के लिए अभी तक कहीं कोई इंतेज़ाम नहीं हुआ।

यह भी गौरतलब है कि सभी तरह के समूह में जुटने पर प्रतिबन्ध है, लोग ज़रूरी सामानों के लिए भी ज़िल्लत झेल रहे हैं, ताकि संक्रमण रोका जाए।

ध्यान देने की बात यह भी है कि ताबलिकी जमात की भीड़ भी कोरोना संक्रमण के लिए दोषी ठहराई जा चुकी है, यहाँ तक कि मिडिया में अभी तक यह बड़ा मुद्दा बना हुआ है। इस बहाने पूरे मुस्लिम कौम के प्रति हद से ज्यादा नफ़रत फैलाया जा चुका है। लेकिन इसका सबक क्या है?

यह छूट एक ख़ास तबके या पार्टी को ही क्यों?

संकटपूर्ण हालात में सत्ताधारियों द्वारा अपने मनमुताबिक हजारों की भीड़ वाले धार्मिक आयोजन होने देना, तीर्थ यात्रियों के लिए विशेष इंतेज़ाम करना, सत्ताधारी विधायक को बर्थडे पार्टी करने की खुली छूट देना संघ-भाजपा की नीतियों का दर्पण है।

मजेदार यह कि वाराणसी से भेजे गए तीर्थ यात्रियों की ना तो थर्मल स्क्रीनिंग की गई और न ही भौतिक दूरी का पालन किया गया। हालात ऐसे थे कि एक बस में 45 सीटों पर 45 यात्री थे। दूसरी ओर कलबुर्गी में हजारों की भीड़ जुटने या बर्थडे पार्टी द्वारा भी भौतिक दूरी बनाने की बलि चढ़ा दी गई।

इससे पूर्व थाली-ताली पिटवाने के दौरान भी इसका खुला उल्लंघन हो चुका है।

संक्रमण रोकने के लिए भद्दा मजाक, मिडिया मौन

आखिर सरकारी आदेश किसके लिए है? क्या एक धर्म विशेष या पार्टी विशेष के लिए इसका कोई मायने नहीं है? क्या यह संक्रमण रोकने के नाम पर भद्दा मजाक नहीं है?

सवाल यह भी है कि धार्मिक मेले, तीर्थ यात्रियों की चिंता इतनी, लेकिन प्रवासी मज़दूरों की क्यों नहीं?

ये अहम सवाल और ऐसे समाचार मुख्य धारा की मिडिया के लिए कोई मायने नहीं रखते!

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