क्या खुलेगी सोकरा ग्रेफाइट माइंस?

मालिकों की गोलाबारी के बाद 37 सालों से बंद माइंस के ख़िलाफ़ संघर्षरत हैं मज़दूर

झारखंड के पलामू जिला अंतर्गत चैनपुर का सोकरा ग्रेफाइट माइंस मालिकों की साजिश से पिछले 37 वर्ष से बंद पड़ी है। कम्पनी ने 1982 में साजिशन घटना को अंजाम दिया था, तब माइंस परिसर में प्रबंधन की गोली से दो मज़दूर घायल हुए, मुक़दमें झेले और तबसे 455 मज़दूर बंदी के ख़िलाफ़ संघर्षरत हैं।

455 मजदूरों की मजदूरी का करीब 1 करोड़ 27 लाख रुपया बकाया है। सुप्रीम कोर्ट 1990 में ही मजदूरी भुगतान का निर्देश दे चुकी है, लेकिन बिहार, फिर अलग राज्य बनने के बाद झारखंड सरकार ने इसे 19 वर्ष से लटका रखा है। लगातार संघर्षों के दबाव में चुनाव के ठीक पहले सरकार ने माइंस खोलने की बात तो की है, लेकिन मज़दूर इसको लेकर संसय में।

1982 की साजिशपूर्ण घटना और माइंस बंद

सोकरा ग्रेफाइट माइंस के लिए इमेज परिणाम

झारखंड खान मजदूर सभा के अध्यक्ष शंखनाथ सिंह के अनुसार वर्ष 1982 में माइंस चल रही थी। कंपनी बरसात में मजदूरों को पैसे देने में खूब मनमानी करती थी। इसी बीच जब मजदूरों ने इसका विरोध किया तो कंपनी द्वारा 455 मजदूरों की अवैध छंटनी कर दी गयी। मामले को लेकर रांची में पंचायतें भी हुईं।

इसे भी देखेंजुझारू तेवर के साथ कई प्रयोगों का गवाह कनोडिया जूट मिल आंदोलन

14 नवम्बर 1982 को कंपनी ने मजदूरी भुगतान के बहाने छंटनीग्रस्त मजदूरों को माइंस परिसर में बुलाया और उन पर फायरिंग शुरू करवा दी। इससे भगदड़ मच गयी, दो मजदूरों को गोली लगी।

सारे मजदूर किसी तरह चैनपुर थाना पहुंचे व घटना की जानकारी दी। उलटे पुलिस ने मजदूरों पर फर्जी मुक़दमें ठोंक दिए और कई मज़दूरों को जेल भेज दिया। इसी बहाने मालिकों ने माइंस बंद कर दिया। तबसे मजदूर संघर्षरत हैं।

इसे भी देखेंसिंगरेनी कोयला खदान की समस्याएं

1982 से 1992 तक अवैध तरीके से होता रहा खनन

लीजधारक कुमार ब्रदर्स एंड कंपनी की ओर से इस क्षेत्र को लीज पर लिया गया था। 1957 में 257 एकड़ और 1974 में 723 एकड़ जमीन लीज पर दी गयी। मजदूरों के अनुसार साल 1982 में मजदूरों की छंटनी के बाद लगभग 1992 तक माइंस में अवैध खनन होता रहा।

कंपनी का खुद का सरकार के पास रायॅल्टी बकाया लगभग 21 लाख 85 हजार हो गया था। इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को पैसा भुगतान करने का आदेश दिया। जिसके बाद कंपनी में खनन कार्य बंद हो गया।

इसे भी पढ़ेंजबरदस्त शोषण के शिकार हैं लोडिंग-अनलोडिंग मज़दूर

कोर्ट के फैसले हमेशा मजदूरों के पक्ष में, लेकिन लाभ नहीं

मजदूरों की ओर से छंटनी का विरोध करने पर कुमार ब्रदर्स एंड कंपनी के मालिक गुप्तेश्वर प्रसाद सिंह की ओर से हाइकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक वाद दायर किए गए। लेकिन निर्णय सभी जगह से मजूदरों के पक्ष ही आया। बावजूद इसके मजदूरों को उनका हक-अधिकार अबतक नहीं मिला।

2014 में एक करोड़ 27 लाख की स्वीकृत राशि भी नहीं मिली

साल 2014 में मजदूरों के लिए एक करोड़ 27 लाख रुपये राशि की स्वीकृति हुई थी, लेकिन चुनाव के बाद सब गोल हो गया, मजदूरों को कुछ नहीं मिला।

कई बार इन मजदूरों ने श्रम मंत्री राज पालिवार से मिल कर अपनी समस्याएं बतायीं। मंत्री ने कई बार बकाया राशि के भुगतान का आश्वासन दिया, लेकिन ये आश्वासन ही रहा। जबकि मज़दूर लगातार भुखमरी के कगार पर हैं।

इसे भी देखेंएक खाना डिलिवरी मजदूर का जीवन

105 दिनों के आन्दोलन के बाद चेती सरकार

सोकरा ग्रेफाइट माइंस के लिए इमेज परिणाम

झारखंड खान मज़दूर सभा के अध्यक्ष शंखनाथ सिंह का कहना है कि राजभवन के समक्ष इस वर्ष 105 दिनों तक आन्दोलन चला, तब जाकर सरकार की नींद टूटी। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव सुनील कुमार बर्नवाल ने जल्द कार्रवाई का भरोसा दिलाते हुए आन्दोलन समाप्त कराया।

शंखनाथ सिंह का कहना है कि माइंस को लेकर सरकार इन दिनों सक्रियता दिखा रही है। लेकिन यह चुनावी साबित हुआ तो मज़दूरों के साथ फिर बड़ा धोखा होगा। हालाँकि अगर माइंस खुल जाये तो मजदूरों और ग्रामीणों को काफी फायदा होगा।

ज्ञात हो कि जल्द ही झारखण्ड में विधान सभा चुनाव होने हैं। चुनाव के ठीक पहले सरकार की इस पहल से मज़दूर सशंकित हैं। सन 2014 की धोखाधड़ी मज़दूरों को याद है।

इसे भी देखेंचित्र कथा : काम नहीं है… आखिर क्यों?

माइंस की स्थिति की हुई जाँच, तीन मिलियन टन ग्रेफाइट

झारखंड खान मजदूर सभा द्वारा लंबे समय से रांची में राजभवन के समक्ष आन्दोलन चलाने के बाद सरकार ने माइंस के जाँच के आदेश दिए। डालटनगंज के विधायक आलोक चौरसिया के नेतृत्व में जूलॉजी विभाग के अधिकारियों और सर्वेयर ने माइंस की स्थिति की जाँच की और पता लगाने की कोशिश की कि माइंस परिसर में कितना ग्रेफाइट बचा है? उत्खनन कैसे किया जा सकता है?

जाँच में पता चला कि सोकरा माइंस में तीन मिलियन टन ग्रेफाइट भरा पड़ा है। इस क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण ग्रेफाइट पाये जाने के कारण एशिया भर में इसका महत्व है। क्षेत्र के ग्रेफाइट में कार्बन की मात्रा लगभग 80 से 85 प्रतिशत है।

सोकरा ग्रेफाइट माइंस के लिए इमेज परिणाम

5 अक्टूबर को मज़दूर व ग्रामीण बैठक कर लेंगे बड़ा फैसला

झारखंड खान मजदूर सभा के अध्यक्ष शंखनाथ सिंह ने बताया माइंस के चालू होने की जानकारी पर मजदूर और ग्रामीणों में हर्ष है। 5 अक्टूबर को इस सिलसिले में चांदो हाइस्कूल के मैदान में बैठक होगी। बैठक में सभी मुद्दों पर चर्चा की जायेगी। अगर 10 से 15 दिनों के भीतर माइंस चालू होने की संभावना नहीं दिखती तो मजदूर कोई बड़ा निर्णय ले सकते हैं।

इसे भी पढ़ेंमारुति संघर्ष का सबक : यह वर्ग संघर्ष है!

चुनाव बहिष्कार भी कर सकते हैं ग्रामीण

शंखनाथ सिंह ने कहा कि सरकार के आश्वासन पर उनका आन्दोलन स्थगित हुआ है। सरकार अगर अपने निर्णय से पलट जाती है तो पुनः आन्दोलन तेज किया जायेगा।

इसे भी देखेंमैं ज़िन्दा हूँ !

यह भी बताया कि अगर माइंस नहीं खुली तो आगामी विधानसभा चुनाव में वोट बहिष्कार किया जायेगा। चांदो सहित आस-पास के ग्रामीण वोट नहीं देंगे। उधर स्थानीय विधायक अलोक कुमार चौरसिया ने कहा कि माइंस खोलने की प्रक्रिया तेज कर दी गयी है। साथ ही लीज प्राइवेट कंपनी का बताकर यह भी साफ कर दिया कि सरकार मजदूरों को पैसा नहीं दे सकती।

%d bloggers like this: