मज़दूरों की आवाज़ नहीं सुन रही दिल्ली सरकार

Asangathit_Mazdoor

बंदी से असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों की बढ़ी समस्याएँ, विभिन्न संगठनों ने संयुक्त रूप से दिल्ली सरकार को दिया ज्ञापन, सरकार के पास बात करने का भी समय नहीं

नई दिल्ली। कोरिना की महामारी से अचानक हुए देशव्यापी बंदी के बाद राजधानी दिल्ली के असंगठित मज़दूरों के सामने पैदा गंभीर समस्याओं को लेकर 9 मज़दूर यूनियनों व संगठनों ने दिल्ली सरकार के श्रम मंत्री से मिलकर ज्ञापन देने की कोशिश की, लेकिन सरकार की ओर से प्रतिनिधियो को समय ही नहीं दिया गया। फलतः 9 सूत्रीय ज्ञापन मेल से भेजा गया, फिर भी मंत्री को फोन से भी बात का समय नहीं मिला।

ज्ञात हो कि मौजूदा वैश्विक महामारी से घोषित देशव्यापी बंद से असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों के समक्ष गंभीर समस्याएँ पैदा हो गईं हैं। दिल्ली में रहने वाले असंगठित क्षेत्र के लाखों मज़दूरों के लिए रोजगार, रोटी और स्वास्थ्य का गहरा संकट बन गया है। यही नहीं, दिल्ली से घर या गाँव जाने के लिए रेल व बस सुविधाओं को बंद होने से मज़दूर घर भी नहीं जा सकते। ऐसी स्थिति में, लाखों मज़दूरों के लिए एक तरफ तो कोरोना वायरस से संक्रमण का खतरा है, तो दूसरी तरफ भुखमरी से मरने की भयावह परिस्थिति। ऐसे में इन मज़दूरों के लिए कुछ आवश्यक व बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए सरकारों को ठोस क़दम उठाना ज़रूरी है।

ऐसे में 9 यूनियनों/संगठनों/संघों ने 25 मार्च को दिल्ली के मुख्यमंत्री व श्रम मंत्री को ज्ञापन देने के लिए मुलाकात करने का समय माँगा। काफी प्रयासों के बाद भी जब समय नहीं मिल तो 9 सूत्रीय ज्ञापन मुख्य मंत्री व श्रम मंत्री को मेल कर दिया। उसके बाद आज 26 मार्च को प्रतिनिधियो ने श्रम मंत्री के निजी सचिव से श्रम मंत्री से मुलाकात के बाबत दो बार बात की तो जबाब आया कि मैसेज करिये, भी हुआ, किन्तु अभीतक जबाब नहीं आया।

इतने गंभीर मसाले पर केजरीवाल सरकार की इतनी अगम्भीरता और टालामटोली से यूनियनों में नाराजगी होना स्वाभाविक है। मेल से भेजे गए ज्ञापन का भी दिल्ली सरकार द्वारा अभी तक कोई संज्ञान ना लेना मज़दूरों के प्रति केजरीवाल सरकार के कथनी व करनी में अंतर का साफ़ प्रमाण है।

हम यहाँ दिल्ली के मुख्यमंत्री व श्रम मंत्री को भेजे गए ज्ञापन को प्रस्तुत कर रहे हैं-

महोदय,, हम आपका ध्यान कोविड-19 वैश्विक महामारी के चलते घोषित किए देशव्यापी बंद से असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों को हो रही भारी समस्या की ओर लाना चाहते हैं। ज्ञात हो कि इस महामारी को फैलने से रोकने के लिए दिल्ली सहित पूरे देश में बंद की घोषणा कर दी गई है और दिल्ली में धारा 144 का लागू की गई है। केंद्र सरकार इस बीमारी को फैलने से रोकने के लिए उसके द्वारा उठाए गए कदमों को बहुत ज़रूरी करार दे रही है। परन्तु इन कदमों के फलस्वरूप दिल्ली में रहने वाले असंगठित क्षेत्र के लाखों मज़दूरों के लिए रोजगार, रोटी और स्वास्थ्य का गहरा संकट बन गया है। दिल्ली में सभी काम की जगहों को बंद करने का कदम उठाया गया है, जिसके कारण मज़दूरों के लिए अपनी रोज़ी न कमा पाने की भारी समस्या खड़ी हो गई है। साथ ही, दिल्ली से घर या गाँव जाने के लिए रेल व बस सुविधाओं को बंद कर दिया गया है जिसके कारण मज़दूर घर भी नहीं जा सकते।

ऐसी स्थिति में, लाखों मज़दूरों के लिए खाद्य एवं रोज़मर्रा के सामानों को जुटा पाने, मकान का किराया दे पाने इत्यादि की बेहद विकराल समस्याएं खड़ी हो गयी है। बेहद ही खराब स्थितियों में रहने के लिए मजबूर इन मज़दूरों के लिए एक तरफ तो कोरोना वायरस से संक्रमण का खतरा है, तो दूसरी तरफ भुखमरी से मरने की भयावह परिस्थिति।

असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों को उनकी रोजगार, खाद्य, स्वस्थ्य संबंधी इन समस्याओं से उबारने के लिए हम आपके समक्ष कुछ बेहद महत्त्वपूर्ण मांगें रख रहे हैं:-

  1. दिल्ली के सभी असंगठित क्षेत्र के मजदूरों (निर्माण व बिल्डिंग मजदूर, घरेलू कामगार, इत्यादि) को न्यूनतम मजदूरी के अनुसार लॉकडाउन तक वेतन दिया जाये।
  2. दिल्ली सरकार के तहत काम करने वाले सभी ठेका, कैज़ुअल मजदूरों को स्थिति सामान्य होने तक सरकार के कोष से वेतन दिया जाए।
  3. स्वरोजगार क्षेत्र के मज़दूरों जैसे रेहड़ी-पटरी, लोडिंग-अनलोडिंग, ट्रांसपोर्ट, ई-रिक्शा, ऑटो-रिक्शा, एवं दिहाड़ी मज़दूरों इत्यादि को भी न्यूनतम मजदूरीके अनुसार पर गुजारा भत्ता दिया जाये।
  4. सफाई कर्मचारियों को सुरक्षा संबंधी, संक्रमण से बचाव सहित सभी उपकरण व साधन उपलब्ध किये जायें और उन्हें माहवारी भत्ता दिया जाये।
  5. दिल्ली के सभी असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों को राशन की दुकानों से एक महीने का राशन एवं सब्जियों मुफ्त वितरित की जाये। राशन में अनाज के साथ-साथ दलहन इत्यादि भी दिया जाए।
  6. सार्वजनिक वितरण प्रणाली का दायरा बढ़ाया जाए और इसमें सभी ज़रूरी खाद्य एवं अन्य ज़रूरत के सामानों को जोड़ा जाये। राशन कार्ड धारकों या गरीबी रेखा के तहत नामित लोगों के अलावा जिनके पास राशन कार्ड नहीं है, उन सभी मज़दूरों-मेहनतकशों को भी इसके दायरे में लाया जाए। इन मज़दूरों के लिए घर-घर राशन पहुंचाने की व्यवस्था की जाये। इसके लिए राशन के मोबाइल वाहन चलाये जाए। साथ ही पकाने के इंधन की भी व्यवस्था की जाये।
  7. असंगठित क्षेत्र के यह मज़दूर ज़्यादातर झुग्गी-झोपड़ियों में रहते है। यह इलाके रहने के लिहाज़ से बहुत ही गंदे है। ज़्यादातर परिवार ऐसे हैं जहां एक कमरे में 5-6 लोग रहने को मजबूर है। ऐसी स्थिति में इन तंग मकान वाले इलाकों एवं झुग्गी-बस्तियों में कोरोना का संक्रमण एक भयानक रूप ले सकता है। अतः जब तक कोरोना संक्रमण पर काबू नहीं पा लिया जाता, तब तक सभी बंद पड़े सरकारी व प्राइवेट स्कूलों के भवनों, खाली सरकारी बंगले, भवनों आदि को अधिग्रहित करके, उन्हें शेल्टर हाउस में बदला जाए और जहाँ पर निशुल्क सामूहिक रसोई घर भी चलाया जाये। यहां पर बेघर मज़दूरों को भी रखा जाए।
  8. सभी मज़दूरों को मुफ्त में सैनिटाइज़र, मास्क नैपकिन आदि को वितरित कराने का प्रबंध किया जाए, सभी मज़दूर बस्तियों व मेहनतकश आबादी के मोहल्‍लों व कालोनियों में स्वैच्छ, पीने के पानी और पर्याप्त  संख्यां में स्व च्छम शौचालयों की व्य वस्थाल की जाये। चूंकि ज़्यादातर मज़दूर किराये के मकानों के रहते हैं इसलिए सरकार यह आदेश करे कि तब तक मकान का किराया न लिया जाये, जब तक मज़दूरों की आर्थिक स्थिति पहले की तरह स्थिर नहीं हो जाती।
  9. सरकार द्वारा कोरोना वायरस से बचाव के लिए सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में निशुल्कद टेस्टिंग की व्यहवस्था  की जाये और इसका सख्ती से पालन करवाया जाये। इसके लिए पर्याप्ते टेस्टिंग किट व अन्यर संसाधन मुहैया कराये जायें। सरकारी अस्पतालों में आइसोलेशन और क्वारंटाइन बेड व अन्य सुविधायें पर्याप्त संख्या में बढ़ायें जाये। प्राइवेट अस्पतालों को आदेश दिया जाए कि वे कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का मुफ्त में इलाज करें। उपचार केंद्र ए लिये शॉपिंग मॉलों, बारात घरों (बैंक्वेटट हॉल), मल्टीप्लेक्सों आदि का भी इस्तेमाल हो।

महोदय, हम आशा करते है कि दिल्ली सरकार लाखों मज़दूरों से संबन्धित इन बेहद ज़रूरी मांगों को गम्भीरता से लेगी व इनको पूरा करने के लिए तुरन्त कार्रवाई करेगी।

ज्ञापन पर AIFTU (New), AIUTUC, BMD, ICTU, IFTU, IFTU(S), IMK, IMS, MEK, NTUI और SMU संगठन/यूनियन के प्रतिनिधियो के हस्ताक्षर हैं।