13 फैक्ट्री कर्मी और उनके परिजनों में मिला कोरोना पॉजिटिव

फैक्ट्री में काम करना पड़ा भारी, क्या इससे सरकारें और काम के लिए बाध्य कर रही मुनाफ़ाखोर कम्पनियाँ कोई सबक लेंगी?
गौतम बुद्ध नगर। नोएडा की सीज फायर कंपनी में कार्यरत दर्जनों कर्मियों और उनके परिजनों में कोरोना वायरस पाजिटिव मिल है। ऐसे में कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के समय उत्पादन कराने की अनुमति पाए विभिन्न कारखानों के मज़दूरों में भय बढ़ गया है। मज़दूरों का कहना है कि आवश्यकता के बहाने काम और ज़िन्दगी पर छाए संकट में किसे चुनें?
मालिक की हठधर्मिता का परिणाम
ख़बर के अनुसार सीज फायर कंपनी का मालिक विदेश गया था जहाँ से वह अपने साथ कोरोना वायरस को भी ले आया। इस कंपनी मालिक की हठधर्मिता से कंपनी कर्मचारियों व परिजनों सहित 13 लोगों में कोरोना वायरस का संक्रमण पाजिटिव पाया गया है।
कंपनी का एमडी और दो कर्मचारी मार्च की शुरुआत में लंदन से लौटे थे। इसके बावजूद कंपनी मालिक ने अपनी कोई चिकित्सा जाँच नहीं कराई। वह आईसोलेट होने की बजाय पहले घर में और फिर अपनी कंपनी में खुला घुमता रहा। गौतमबुद्ध नगर के सीएमओ के अनुसार एक विदेशी नागरिक जॉन ने 14, 15 और 16 मार्च को कंपनी का ऑडिट किया था, लेकिन कंपनी ने स्वास्थ्य विभाग को इसकी सूचना नहीं दी। जिसके कारण कंपनी के अन्य लोगों तक वायरस फैल गया।
गौरतलब है कि जिला गौतमबुद्ध नगर में कोरोना वायरस के 26 पोजिटिव मामले सामने आये, उनमें से 13 ऐसे हैं जिनमें संक्रमण सीज फायर कंपनी से आया।
लापरवाही नहीं यह क्राइम है
शुरुआती जाँच में कंपनी मालिक, कंपनी कर्मचारियों और उनके परिजनों को मिलाकर अब तक 13 लोगों में कोरोना वायरस पाजिटिव पाया गया है। गौतम बुद्ध नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ अनुराग भार्गव ने कंपनी की तरफ से हुई लापरवाही के लिए कंपनी मालिक के ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई है।

शिकायत में कहा गया है कि सीज फायर कंपनी में विदेश से कई व्यक्तियों के आने की वजह से नोएडा के कई सेक्टरों में कोरोना वायरस का संक्रमण फैला है। इसलिए कंपनी के खिलाफ एक्शन लिया जाए. जिसके बाद जिला प्रशासन ने कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था, जिसके आधार पर हाईवे थाने में रिपोर्ट दर्ज हुई है।
जाहिरतौर पर यह एक गंभीर आपराधिक मामला है। मुनाफे की अंधी हवस की एक बानगी मात्र है। इसके बावजूद महज लापरवाही का मुक़दमा दर्ज करना उसे बचाने की क़वायद और मालिक को बचाने की कोशिश मात्र है।
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कंपनियों में काम करने वालों से घर में फैला संकरण
खबरों के अनुसार वायरस का संक्रमण सेक्टर-137 स्थित सोसायटी निवासी दंपती में मिला। महिला इसी कंपनी में काम करती थी। उससे वायरस पति में भी चला गया और 26 मार्च को उनकी बेटी की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई।
इसी तरह सेक्टर-150 स्थित एक सोसायटी का था। युवक कंपनी में काम करता है। उससे पत्नी को संक्रमण हो गया। 27 मार्च को सेक्टर-137 स्थित सोसायटी में मां-बेटी वायरस से संक्रमित मिलीं। महिला का बेटा कंपनी में काम करता है। 28 मार्च को एक साथ पांच कर्मचारियों में कोरोना की पुष्टि हुई। स्वास्थ्य विभाग ने उनके परिजनों का सैंपल लेकर जांच के लिए भेजा है।
सीएमओ डॉ. अनुराग भार्गव के अनुसार, अब तक आठ कर्मचारी व स्वजनों समेत 13 लोग ऑडिटर के संपर्क में आकर कोरोना से पीडि़त हो चुके हैं।
फिर भी कम्पनियाँ उत्पादन पर उतारू
सवाल यह है कि क्या इससे सरकारें और मुनाफ़ाखोर कम्पनियाँ कोई सबक लेंगी?
कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के बीच जहाँ पूरे देश में लॉक डाउन और आपातकालीन स्थितियाँ हैं, वहीँ खाद्य पदार्थ, दावा आदि के नाम पर उत्पादन की अनुमतियाँ दी गई हैं। यहाँ तक कि इस बहाने कॉस्मेटिक, जंक फूड, प्रिंटिंग-पैकेजिंग आदि के उत्पादन के लिए भी अनुमति मिली हुई है।
आईटीसी, नेस्ले, ब्रिटानिया, पारले, रॉकेट रिद्धि सिद्धि जैसी तमाम कम्पनियाँ उत्पादन के लिए अनुमति प्राप्त हैं, लेकिन कोई भी कम्पनी मज़दूरों को इससे किसी अनहोनी घटित होने या समूह में उत्पादन पर संक्रमण होने पर किसी ज़िम्मेदारी की गारंटी देने को तैयार नहीं हैं।
स्पष्ट है की मुनाफाखोर कंपनियों के लिए मज़दूरों की जान की कोई कीमत नहीं है!