कड़ाके की ठण्ड में धरनारत हैं शिवम ऑटोटेक के मज़दूर

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त्रिपक्षीय समझौता के उल्लंघन और गैरकानूनी ट्रान्सफर के खिलाफ शिवम ऑटोटेक के मज़दूरों का संघर्ष जारी

गुडगाँव। प्रबंधन द्वारा यूनियन प्रधान और महासचिव सहित 15 मज़दूरों के गैरकानूनी ट्रान्सफर और 14 सितम्बर 2019 में किये गए त्रिपक्षीय समझौता के उल्लंघन के खिलाफ पिछले 12 दिसम्बर 2019 से विनोला स्थित शिवम ऑटोटेक कंपनी के मज़दूर गुड़गांव मिनी सचिवालय के सामने अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे है। पिछले एक साल से प्लांट में औद्योगिक विवाद चल रहा है। प्रबंधन का असल मक़सद यूनियन को तोड़कर मज़दूरों को उनके हक़ से बंचित करना है।

ज्ञात हो कि 2019 के मार्च-अप्रैल से ही मज़दूरों का जबरदस्ती ट्रान्सफर करना शुरू किया गया। जून 2019 में यूनियन की तरफ से माँगपत्र देने के बाद 5 यूनियन सदस्य को निलंबित कर दिया गया। कुल 43 मज़दूरों को उस समय ट्रान्सफर या निलंबित किया गया। मज़दूरों ने लगातार 6 महीना खाना बहिष्कार करते हुए भी उत्पादन जारी रखा। मगर विवाद का कोई समाधान न होने पर मज़दूरों ने अगस्त 2019 में कंपनी गेट के सामने अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया, जो 21 दिन तक जारी रहा। फिर 14 सितम्बर 2019 को त्रिपक्षीय समझौता के द्वारा धरना ख़त्म. हुआ।

समझौते के अनुसार 43 मज़दूरों को काम पर वापस लेना था, और 2018 के वेतन समझौता 2019 के अंत में होने के कारण 2018-19 के 2 साल के लिए वेतन में 4300 रुपये महीना बढोतरी होना था। मगर कंपनी प्रबंधन ने समझौते के बाद भी 4300 रुपये का वेतन बढ़ोतरी नहीं किया, ऊपर से 6 अक्टूबर से 14 अक्टूबर के बीच में यूनियन प्रधान और महासचिव सहित 15 मज़दूरों को गैरकानूनी तरीके से ट्रान्सफर कर दिया।

विनोला में शिवम ऑटोटेक का यह मदर प्लांट है, जहाँ से टू-व्हीलर और 4-व्हीलर के लिए गियर पार्ट्स हीरो मोटोकॉर्प, मारुति, होंडा आदि कंपनियों के लिए बनता है। प्लांट में 412 स्थायी मज़दूर हैं और करीब 1000 ठेका मज़दूर और नीम ट्रेनी कार्यरत हैं। 1999 में स्थापित इस प्लांट के बाद हरिद्वार, बेंगलुरु, मानेसर, रोहतक में प्लांट शुरू हुआ। धीरे धीरे इस प्लांट से पिछले एक समय में उत्पादन और मशीन नए प्लांटों में शिफ्ट करके जबरदस्ती इस प्लांट में कम उत्पादन दिखाया गया, इस प्लांट पर सारे कर्जे का बोझ डाला गया।

शिवम ऑटोटेक के दूसरे प्लांटों में कहीं भी यूनियन नहीं है, स्थायी मज़दूर भी न के बराबर हैं। विनोला प्लांट में यूनियन को तोड़कर मज़दूरों को अपने हक़ से बंचित करने की मंशा से ही प्रबंधन द्वारा यह औद्योगिक विवाद उत्पन्न किया जा रहा है। मगर इस प्लांट के अनुभवी मज़दूर भी अपने अधिकारों के लिए संघर्ष के मैदान पर हैं।

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