मोदी सरकार के 10 साल; नारी उत्पीड़न की अनंत कहानियाँ: “बहुत हुआ नारी पर वार, अबकी बार…”

उन्नाव, हाथरस, चिन्मयानंद, कठुआ, बीएचयू, अंकित से लेकर महिला पहलवानों तक की घटनाएं देश में महिला सम्मान एक जुमला ही नहीं वीभत्सता की सारी हदें पार बता रही हैं।

दिल्ली के निर्भया कांड से समूचे देश में महिलाओं की सुरक्षा के सवाल पर जैसी एकजुटता तैयार हुई थी, उसको आधार बनाते हुए भाजपा ने नारा दिया था, “बहुत हुआ नारी पर वार, अबकी बार मोदी सरकार।”

तमाम लुभावन नारों व वायदों के साथ यह नारा भी कारगर रहा। दो दशक के बाद पहली ही बार पीएम पद की दावेदारी करने वाले गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र दामादोर दास मोदी के पूर्ण बहुमत की सरकार बन गई।

पूर्ववर्ती मनमोहन सिंह सरकार के समय देश में निर्भया कानून और पीड़ित महिलाओं के लिए अलग से कोष का निर्माण हो चुका था। महिला सुरक्षा, न्याय को लेकर राष्ट्रीय सहमति का आधार तैयार था। लेकिन अगले 10 वर्ष महिला आबादी के लिए कितने खौफनाक गुजरे, वह सामने है।

नारी सम्मान और सुरक्षा की बात करने वाली भाजपा के लिए महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान धूल-धूसरित होता गया, स्थितियाँ और भयावह होती गईं। भाजपा अपराधियों-बलात्कारियों की सफाई की वसिंग मशीन बन गई। भाजपा या उसमें शामिल नेता, विधायक और सांसदों के खिलाफ मामले दर्ज होने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती रही, उसे हर तरह से बचाया जाता रहा।

परिणाम सामने है- समाज में बलात्कार, यौन उत्पीड़न और महिलाओं की हत्या की घटनाएं कम होने के बजाय तेजी से बढ़ती चली गयीं। समाज में मौजूद महिला विरोधी ताकतों के हौसले बुलंद होते चले गये, विशेषकर भाजपा या आरएसएस के आनुषांगिक संगठनों में काम करने वाले कार्यकर्ताओं के लिए अब कानून-व्यवस्था एक मजाक का विषय बनकर रह गया था।

इस दौरान महिला आरक्षण बिल के लिये 128 वें संविधान संशोधन विधेयक संसद में पास करने का खूब शोर मचा, लेकिन इसे कानून के रूप में लागू करने की जगह लंबा समय मांगते हुए इसे तिजोरी में बंद कर दिया गया। ‘नारी शक्ति के वंदन’ की खूब ढोल पिटी, लेकिन यह भी महज जुमलेबाजी साबित हुई।

इन सबके बीच मोदी राज में महिला हिंसा बेखौफ तेजी से बढ़ती रही।

बहुत हुआ नारी पर वार” नारे के 10 वर्ष की कुछ बानगी

2017 का उन्नाव रेप केस:

4 जून 2017 को एक 17 वर्षीय नाबालिग लड़की को नौकरी का झांसा दिलाकर उन्नाव के बाहुबली भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने बलात्कार किया था। तमाम विरोधों के बावजूद पीड़िता को न्याय देने की जगह उसके पिता को उस समय न्यायिक हिरासत में ले लिया गया, जब सेंगर के गुर्गे और भाई अतुल सेंगर ने उन पर जानलेवा हमला किया। पीड़ित ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास में आत्मदाह करने का प्रयास किया। उधर उसके पिता की अस्पताल में मौत हो गई।

जब चारों तरफ विरोध व्यापक होने लगे, तब अतुल सेंगर हिरासत में लिया गया और छह पुलिसकर्मी निलंबित हुए। इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के आधार पर कुलदीप सेंगर की गिरफ्तारी हुई। लेकिन जेल के भीतर से ही कुलदीप सेंगर का कहर जारी रहा। बलात्कार पीड़िता के चाचा 18 साल पुराने एक गोलीकांड मामले में जेल गए। रेप पीड़िता और उसके रिश्तेदार की गाड़ी को एक ट्रक से रौदने का प्रयास हुआ, जिसमें पीड़िता गंभीर रूप से घायल हुई और दोनों रिश्तेदार मारे गये।

यह घटना भाजपा राज में उत्तर प्रदेश में महिला सम्मान की बानगी है।

2020 हाथरस रेप और मर्डर मामला:

14 सितंबर 2020 को चार ऊंची जाति के पुरुषों (संदीप, रामू, लव कुश और रवि) ने खेत में काम के लिए गई एक 19 वर्षीय दलित लड़की के साथ गैंग रेप किया और गला घोंटकर हत्या की कोशिश भी की थी। पीड़िता के स्पाइनल कोर्ड को गहरा नुकसान हुआ, और उसकी जुबान तक कट गई।

घटना के 6 दिन बाद पुलिस ने शिकायत दर्ज की, और इसके दो दिन बाद पीड़िता ने अपने साथ बलात्कार होने की बात कही। लेकिन गंभीर रूप से घायल होने की वजह से उसे पहले अलीगढ़ और दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया। घटना के 10 दिन बाद तक किसी आरोपी गिरफ्तारी नहीं हुई। 29 सितंबर को पीड़िता की मौत हो गई। यूपी पुलिस ने पीड़िता के परिजनों को उनके घर में कैद कर उसके शव को परिवारवालों को सौंपने के बजाय पेट्रोल छिड़ककर जला डाला।

देशव्यापी आक्रोश और प्रदर्शन के बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जबरन दाह-संस्कार के मुद्दे पर स्वतः संज्ञान लेते हुए अपनी टिप्पणी में कहा, “29 सितंबर, 2020 को पीड़िता की मौत से लेकर दाह-संस्कार की घटनाओं के बारे में जैसा कथित तौर पर आरोप लग रहा है, उसने हमारे विवेक को झकझोर कर रख दिया है।”

इसी मामले से केरल के एक पत्रकार सिद्दीक कप्पन को उत्तर प्रदेश सरकार ने यूएपीए जैसी आतंकवाद विरोधी कानून के तहत जेल में ठूंस दिया था।

स्वामी चिन्मयानंद की करतूत:

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री रह चुका भाज्यपाई नेता स्वामी चिन्मयान्द (असली नाम कृष्ण पाल सिंह) की करतूत भाजपा के चाल-चरित्र और “नारी सम्मान” की एक और बानगी है।

अगस्त 2019 में उसके ही लॉ कालेज से एलएलएम की पढ़ाई करने और उसके बनाये छात्रावास में रहने वाली एक 23 वर्षीय छात्रा ने स्वामी के खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाते हुए एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया था, जिसके बाद उस लड़की का कोई अता-पता नहीं चल सका।

इस वीडियो में बताया गया था कि स्वामी ने उस लड़की को अपने आवास में बुलाकर उसकी बाथरूम में नहाते हुए तस्वीर दिखाकर, सेक्स की मांग की थी। मीडिया के जरिये यह खबर जब देश-विदेश में सुर्खियां बनने लगीं, तब जाकर सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद लड़की की खोज खबर की गई।

अपनी गिरफ्तारी से पहले चिन्मयानन्द दावा कर रहे थे कि लड़की उनसे 5 करोड़ रूपये की उगाही करने के वास्ते उन्हें झूठ-मूठ बदनाम कर रही है। लेकिन एसआईटी के तहत हिरासत में रखे जाने के बाद पूछताछ में चिन्मयानन्द ने स्वीकारा कि वे उस लड़की से मसाज कराते थे। 2 जुलाई, 2020 के हिंदुस्तान टाइम्स की खबर के मुताबिक एसआईटी की हिरासत में पूछताछ में उन्होंने पछतावा जताते हुए बयान दिया था कि, “मैं अपने किये हुए कृत्य पर शर्मिंदा हूँ।”

हालांकि मार्च 2021 तक चिन्मयानन्द के खिलाफ गवाही देने वाले सभी साक्ष्य अपने बयान से मुकर गए, और अदालत को स्वामी चिन्मयानन्द को बरी करने का आदेश पारित करना पड़ता है।

बीएचयू कांड में बीजेपी कार्यकर्ताओं की संलिप्तता:

पीएम नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में पिछले वर्ष एक मेडिकल छात्रा के साथ गैंग रेप की घटना में वाराणसी भाजपा आईटी सेल के पदाधिकारी पकड़े गए। इसमें कुणाल पांडेय संयोजक, बीजेपी आईटी सेल महानगर, सक्षम पटेल सह-संयोजक, आनंद उर्फ़ अभिषेक चौहान कार्यसमिति के सदस्य पद पर कार्यरत थे।

ये सभी अभियुक्त बलात्कार की घटना को अंजाम देने के बाद मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत की तैयारियों में लगे हुए थे। तीन माह बाद ये वापस आते हैं, और वाराणसी की पुलिस इन्हें बड़े ही गोपनीय अंदाज में हिरासत में लेकर मामले को रफा-दफा कर देती है।

पीएम मोदी ने इस घटना पर एक शब्द नहीं कहा है, लेकिन ऐन चुनाव के वक्त उन्हें रह-रहकर संदेशखाली याद आ रहा है।

कठुआ रेप और निर्मम हत्याकांड:

एक 8 साल की मासूम आसिफा के साथ हैवानियत की सारी सीमाएं पार कर दी गई थीं। बच्ची के साथ जघन्य बलात्कार में एक मंदिर का इस्तेमाल किया गया, जिसमें मुख्य पुजारी और बेटे सहित कुल 8 आरोपी थे, जिसमें 4 पुलिसकर्मी भी शामिल थे। स्थिति यह है कि जम्मू में भाजपा-संघ से जुड़े लोगों ने ‘हिंदू एकता मंच’ बनाकर बलात्कारियों के समर्थन में रैली तक निकाली।

धर्म की आड़ लेकर बलात्कारियों को बचाने की इस मुहिम के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन और सोशल मीडिया पर रोष दिखा। संयुक्त राष्ट्र संघ के महासचिव एंटोनियो गुट्रेस ने भी इस भयावह घटना पर चिंता व्यक्त कर इसे बेहद भयावह बताया और दोषियों पर उचित कार्रवाई की बात की।

आखिरकार 13 अप्रैल 2018 को पीएम नरेंद्र मोदी और सुप्रीम कोर्ट तक को इस घटना का संज्ञान लेना पड़ा और कहना पड़ा कि इस मामले में न्याय को सुनिश्चित किया जायेगा।

उत्तराखंड की अंकिता भंडारी रेप और हत्या मामला:

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के एक छोटे से गांव की 19 वर्षीय अंकिता भंडारी को ऋषिकेश के वंतारा रिसोर्ट में 10,000 रूपये मासिक पर रिसेप्शनिस्ट का काम मिला। उसे रिसोर्ट में ही रहने के लिए एक कमरा मिला था। नौकरी के 20 दिन बाद ही 18 सितंबर 2022 को उसकी मौत हो गई।

इस रिसोर्ट के मालिक पुलकित आर्या, असल में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के एक नेता और उत्तराखंड ओबीसी आयोग के उपाध्यक्ष विनोद आर्या का सुपुत्र हैं। अंकिता भंडारी से पुलिकत आर्या एक वीआईपी मेहमान से पैसे के बदले में सेक्स के लिए दबाव बना रहा था, जिसका अंकिता ने विरोध किया था।

इस हत्याकांड ने उत्तराखंड को अंदर तक हिला दिया था। ऋषिकेश, हरिद्वार और देहरादून सहित समूचे पहाड़ में जगह-जगह ‘अंकिता को न्याय दो’ के बैनर तले सड़कों पर लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। तब भाजपा के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी तक को अंकिता भंडारी के माता-पिता के सामने जाकर आश्वस्त करना पड़ा था कि अंकिता मामले पर सरकार पूरी तरह से उनके पक्ष में है।

लेकिन जैसे ही मामला ठंडा पड़ा, स्थानीय पत्रकार आशुतोष नेगी, जिन्होंने उस वीआइपी गेस्ट का नाम सार्वजनिक करना शुरू कर दिया था, को ही एससी-एसटी एक्ट के तहत जेल में डाल दिया। उधर सबूतों को नष्ट करने के लिए गेस्ट हाउस को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया।

न्याय से वंचित महिला पहलवान:

भाजपा के बाहुबली सासंद और अंतर्राष्ट्रीय कुश्ती संघ के 12 वर्षों से अध्यक्ष रह चुके बृज भूषण शरण सिंह के कुकृत्यों के खिलाफ देश की शीर्ष महिला पहलवानों का जुझारू संघर्ष और सत्ताधारी मोदी सरकार की निर्लज्जता सबके सामने है।

मणिपुर में महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार:

हिंसा की आग में झुलसते मणिपुर की सबसे वीभत्स घटनाओं में प्रमुख है कुकी समुदाय की दो महिलाओं को भीड़ द्वारा निर्वस्त्र घुमाने का वीडियो। इसमें से एक के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या की बात सामने आई, और दूसरी महिला कारगिल युद्ध में भारत की रक्षा में अपनी जान की बाजी लगा चुके एक भारतीय सेना के जवान की पत्नी थी।

ये वे प्रमुख घटनाएं हैं जो भाजपा नेता, बहुसंख्यक हिंदुत्ववादी भीड़ की मानसिकता और महिलाओं विशेषकर वंचित समाज के साथ दबंग उच्च जाति की स्वेच्छाचारी प्रवृति को पूरी तरह से समर्थन देने वाली निरंकुश सत्ता की एक झलक देती है। देश में महिला सम्मान की बात एक जुमला ही नहीं वीभत्सता की सारी हदें पार करता जा रहा है।

भाजपा के शासनकाल में ‘महिला सम्मान’ कुछ कुछ और झलक-

•             2002 गुजरात नरसंहार के दौरान, सामूहिक बलात्कार की शिकार बिलकिस बानो मामले में आरोपियों को गुजरात सरकार के द्वारा 15 अगस्त, 2022 को आम माफ़ीनामा और इन हत्यारों और बलात्कार के दोषियों के जेल से बाहर आने पर फूल मालाओं से स्वागत-सत्कार की घटना भाजपा के ‘आदर्श राज्य’ को बीमार घोषित कराने की ओर ले जाता है।

•             गुजरात के सूरत में एक 11 साल की लड़की के साथ बर्बर बलात्कार और हत्या, जिसमें उस नन्ही जान के प्राइवेट पार्ट सहित 86 जख्म के निशान मिले थे।

•             तमिलनाडु की भाजपा नेत्री और मशहूर एक्ट्रेस, गायत्री रघुराम ने भाजपा के बारे में यह कहते हुए अपना इस्तीफा दिया है कि भाजपा संगठन के भीतर महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं।

•             महाराष्ट्र में 4 सितंबर 2018 को एक भाजपा विधायक का वीडियो वायरल हुआ जिसमें युवाओं को संबोधित करते हुए मोबाइल नंबर तक शेयर कर वो घोषणा करते हैं कि अगर तुम किसी लड़की से प्यार करते हो, और शादी करना चाहते हो तो अपने पिता के साथ मेरे पास आना। मैं उसका अपहरण कर तुम्हारी उससे शादी करा दूंगा।

•             2018 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ़ सोशल स्टडीज़ ने बिहार के शेल्टर होम को लेकर सरकार को सौंपी रिपोर्ट के बाद शेल्टर होम चलाने वालों के साथ-साथ बिहार में जेडीयू-बीजेपी राज के कथित सुशासन की खबर पहली बार देश को पता चली। करीब 40 बच्चियों के साथ महीनों तक बलात्कार करने वालों में बड़े-बड़े नेता और अधिकारियों की संलिप्तता को तत्कालीन बाल कल्याण मंत्री मंजू वर्मा और उनके पति चन्द्रशेखर वर्मा तक सीमित कर दिया गया, और बाद में संस्थान के मुखिया ब्रजेश ठाकुर सहित 19 लोगों को पोक्सो अदालत के माध्यम से सजा मुकर्रर कर दी गई।

•             15 अक्टूबर 2020 को यूपी के चित्रकूट जिले में 15 वर्षीय दलित लड़की का उसके गाँव के तीन लडकों ने गैंग रेप किया। पिता ने सामाजिक लोकलाज की खातिर पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं कराई, और लड़की घर में ही घुटती रही और एक दिन आत्महत्या कर ली।

•             प्रतापगढ़ में एक अन्य लड़की के साथ छेड़छाड़ की घटना पर पुलिस में शिकायत के बाद भी जब कोई कार्रवाई नहीं हुई तो लड़की ने कुएं में कूदकर आत्महत्या कर ली थी।

•             मई 2018 की घटना है जब उत्तर प्रदेश की एक महिला वकील ने एक प्रेस कांफ्रेंस में रोते हुए भाजपा नेता सतीश शर्मा पर यौन शोषण का आरोप लगाया था।

•             टाइम्स ऑफ इंडिया ने वर्ष 2022-23 में गुजरात राज्य में महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाओं का ब्यौरा देते हुए बताया था कि राज्य में प्रतिदिन 6 बलात्कार की घटनाएं होती हैं। अकेले अहमदाबाद में वर्ष 2022-23 में 371 महिलाओं को बलात्कार का शिकार होना पड़ा था। राज्य में कुल 2,209 बलात्कार और 32 गैंग रेप के मामले इस वर्ष दर्ज किये गये थे।

•             मार्च 2024 के प्रथम सप्ताह के दौरान उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में एक रेप पीड़िता के पिता ने आत्महत्या कर ली। इसकी वजह यह थी कि कानपुर के घाटमपुर इलाके में एक ईंट भट्टे के मालिक और उसके गुर्गों ने उनकी बेटी और भतीजी के साथ गैंग रेप की घटना को अंजाम दिया था। घटना के कुछ दिन बाद दोनों बेटियों ने आत्महत्या कर ली थी।  

•             हाल ही में सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी के बाद बलात्कार और हत्या के आरोपी बाबा राम रहीम की हर चुनाव से पहले पैरोल पर बाहर आने की घटना पर विराम लग गया है। इससे पहले भाजपा हर चुनाव से पहले उसे पैरोल पर छोड़ देती थी।

•             यूपी से ही सोनभद्र के भाजपा विधायक रामदुलार गौंड पर 2014 से एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार का आरोप लगा था। जब दिसंबर 2023 में अदालत ने उन्हें दोषी करार दिया, तब जाकर भाजपा को उनसे नाता तोड़ने की जरूरत महसूस हुई।

•             उत्तराखंड के चंपावत से भजपा नेता कमल रावत को 31 दिसंबर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इन साहब पर पोक्सो के तहत मामला दर्ज किया गया है। हालांकि इस मामले में भाजपा ने गिरफ्तारी से पहले ही उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था।

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पिछले 10 वर्षों में नारी सम्मान की धज्जियां इतनी बार इतने बड़े पैमाने पर उड़ाई गई हैं कि उसका कोई अंत नजर नहीं आता। महिलाओं के खिलाफ यौन हमलों और बलात्कार की घटनाएं मोदी युग से पहले भी बहुतायत में थीं। लेकिन तुलना में मोदी युग में युगांतकारी बदलाव यह है कि अब बलात्कार के आरोपी को सिर्फ इस बात का ख्याल रखना है कि स्थानीय सत्ता संतुलन पर उसके पांव कितनी मजबूती से जमे हैं और अगले चुनाव में वह अपनी जाति के बीच कितना प्रभावी दिख सकता है?

रविंद्र पटवाल की रिपोर्ट पर आधारित; साभार : जनचौक