रेलवे का निजीकरण क्यों जब रेलवे कर्मचारी सुरक्षा में सक्षम; एसोसिएशन ने जताई आपत्ति

एससी-एसटी एसोसिएशन ने रेलयात्रियों की सुरक्षा हेतु रेलवे के निजीकरण को अतार्किक बता किया खारिज; निजीकरण व ओपीएस के लिए रेल का चक्का जाम की दी चेतावनी।

कोटा- अखिल भारतीय अनुसूचित जाति एवं जनजाति रेलवे एम्पलाइज ऎसोसिएशन ने लाखों रेलयात्रियों की सुरक्षा की दृष्टि से रेलवे के निजीकरण को अतार्किक करार देते हुए खारिज किया और ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) को लागू नहीं करने की स्थिति में रेलवे के चक्का जाम करने की भी चेतावनी दी है।

ऐसोसिएशन के मंडल अध्यक्ष नेम सिंह और सचिव अभय सिंह मीणा ने शनिवार को कोटा में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि ऎसोसिएशन रेलवे के निजीकरण का कड़ा विरोध करती रही है। रेलवे पर प्रतिदिन यात्रा करने वाले लाखों रेलयात्रियों की सुरक्षित यात्रा का भार है। उसे सुरक्षा कारणों से निजी हाथों में सौंपा जाना तर्कसंगत नहीं है।

आज केंद्रीय ढांचे के तहत रेल कर्मचारी इतने अधिक सक्षम है कि डेढ़ से दो घंटे के अल्पकाल में ही पूरे देश भर के कई लाख किलोमीटर लम्बे रेलवे ट्रैक का निरीक्षण कर सुरक्षा के प्रावधानों के अनुरूप उसका आकलन कर सकते हैं लेकिन रेलवे के निजीकरण होने की स्थिति में ऎसा हो पाना संभव नहीं है। रेलवे स्टेशनों की तरह रेलवे के खंड़ो को अलग-अलग हाथों में नहीं सौंपा जा सकता।

श्री नेम सिंह और श्री मीणा ने यह भी कहा कि यदि ओल्ड पेंशन स्कीम के मुद्दे पर केंद्रीय कमेटी का आह्वान होगा तो ऐसोसिएशन रेलगाड़ियों का चक्का जाम करने से पीछे नहीं हटेंगी। इसके अलावा ऐसोसिएशन लोकतांत्रिक संगठन होने के कारण प्रत्येक मतदाता से मतदान की अपील करता है, लेकिन ओल्ड पेंशन स्कीम के लागू नहीं करने पर रेल कर्मचारियों से श्ओपीएस नहीं तो वोट नहीं श् का आह्वान भी किया जा सकती है।

उन्होंने कहा कि ओल्ड पेंशन स्कीम लागू किए जाने का मुद्दा रेलवे कर्मचारियों सहित सभी केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए सबसे अहम है और सभी रेल यूनियनें इस मसले पर केंद्र सरकार को ओपीएस लागू नहीं करने की हालत में रेलवे का चक्का जाम की चेतावनी भी दे चुके हैं।

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