मारुति के सज़ायाफ्ता 10वें मज़दूर साथी धनराज को भी मिली जमानत

जुलाई, 2012 की साजिशाना घटना के बाद अन्यायपूर्ण उम्रक़ैद झेलते मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन के 13 नेतृत्वकारी साथियों में से अब एक साथी की जमानत बाकी है, जबकि दो साथियों की मौत हो चुकी है।
चंडीगढ़। करीब 10 साल से जेल में बंद मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन मानेसर के एक और साथी धनराज को भी बीते 19 अप्रैल को पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायलय, चंडीगढ़ से कस्टडी आधार पर ज़मानत मिल गई है। अब केवल साथी सोहन को जमानत मिलना बाकी है।

अन्यायपूर्ण उम्रक़ैद झेलते 13 नेतृत्वकारी मज़दूर साथियों में से अबतक 10 साथियों- रामबिलास को 24 नवंबर, 2021 को; संदीप ढिल्लों और सुरेश को बीते 19 जनवरी को; योगेश यादव को 8 फरवरी को; पूर्व प्रधान राममेहर, पूर्व महासचिव सर्वजीत और प्रदीप गुज्जर की 21 फरवरी को, अजमेर को 23 मार्च को, अमरजीत को 24 मार्च और धनराज को बीते 19 अप्रैल को जमानत मिली है।
सभी को कास्टडी (यानी जेल में बिताए दिनों) के आधार पर जमानत मिली है। कस्टडी आधार का मतलब जेल में बिताए दिन। जो क़ैदी जेल/सजा के दौरान जितना पैरोल पर घर रहते हैं, उतना दिन जेल अवधि से कम हो जाता है। इस प्रकार जेल में एक निश्चित अवधि बिताने के बाद जमानत देने की बाध्यता बढ़ जाती है।
उल्लेखनीय है कि मारुति सुजुकी, मानेसर के प्रबंधन द्वारा 18 जुलाई, 2012 को प्लांट में साजिशपूर्ण घटना के बाद से 13 साथी अन्याय का दंश झेल रहे हैं।
इसी संघर्ष और ग़ैरमुंसिफ़ाना सजा के दौरान दो साथियों- पवन दहिया व जिया लाल की बीते साल दुर्भाग्यपूर्ण दुखद मौत हो गई थी।
काफी मशक्कत से जमानत मिलने के बावजूद अन्यायपूर्ण उम्र क़ैद झेलते इन सभी साथियों की बेगुनाही के लिए क़ानूनी लड़ाई अभी जारी है।