ग़ैरवाजिब सजायाफ़्ता मारुति के एक और मज़दूर साथी अमरजीत को भी मिली जमानत

साल 2012 में साजीशाना फंसे मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन के 13 अगुआ मज़दूरों में से दो साथियों की मौत के बाद अभी तक 9 साथियों को जमानत मिली है। अभी दो साथियों की जमानत बाकी है।

चंडीगढ़। करीब 10 साल से जेल में बंद मारुति सुजुकी वर्कर्स यूनियन मानेसर के एक और नेतृत्वकारी साथी अमरजीत को भी आज 24 मार्च को पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायलय, चंडीगढ़ से ज़मानत मिल गई है। अभी दो साथियों सोहन और धनराज को जमानत मिलना बाकी है।

अन्यायपूर्ण उम्रक़ैद झेलते 13 नेतृत्वकारी मज़दूर साथियों में से अबतक नौ साथियों- रामबिलास को 24 नवंबर, 2021 को; संदीप ढिल्लों और सुरेश को बीते 19 जनवरी को; योगेश यादव को 8 फरवरी को; पूर्व प्रधान राममेहर, पूर्व महासचिव सर्वजीत और प्रदीप गुज्जर की 21 फरवरी को, अजमेर को 23 मार्च को और अमरजीत को आज जमानत मिली है।

करीब 10 साल के संघर्ष के बाद सभी को कास्टडी आधार पर जमानत मिली है। कस्टडी आधार का मतलब जेल में बिताए दिन। जो क़ैदी जेल/सजा के दौरान जितना पैरोल पर घर रहते हैं, उतना दिन जेल अवधि से कम हो जाता है। इस प्रकार जेल में एक निश्चित अवधि बिताने के बाद जमानत देने की बाध्यता बढ़ जाती है। इन साथियों की जमानत का भी यही आधार बना है।

इसी संघर्ष और ग़ैरमुंसिफ़ाना सजा के दौरान दो साथियों- पवन दहिया व जिया लाल की बीते साल दुर्भाग्यपूर्ण दुखद मौत हो गई थी।

काफी मशक्कत से जमानत मिलने के बावजूद अन्यायपूर्ण उम्र क़ैद झेलते इन सभी साथियों की बेगुनाही के लिए क़ानूनी लड़ाई अभी जारी है।

उल्लेखनीय है कि मारुति सुजुकी, मनेसर के मज़दूर सन 2011 से संगठित हो संघर्ष कर रहे हैं। संघर्षों के बीच साल 2012 में यूनियन पंजीकृत कराने और ठेका मज़दूरों के भी हक़ की आवाज उठाने के कारण यूनियन नेता व मज़दूर प्रबंधन के निशाने पर रहे।

यह विद्वेषपूर्ण कहानी की ही देन थी, जब मारुति सुजुकी, मानेसर के प्रबंधन ने 18 जुलाई, 2012 को प्लांट में साजिशपूर्ण घटना को अंजाम दिया था और मालिक-सरकार-प्रशासन की मिलीभगत से भारी दमन चक्र चला था।

निर्दोष 148 मज़दूर जेल के अंदर डाले गए, पुलिस व जेल की यातनाएं सहते रहे। यहाँ तक कि न्यायपालिका की भी पक्षधरता मालिकों के पक्ष में खुलकर सामने आई। 18 मार्च 2017 को सेशन कोर्ट गुडगांव द्वारा सुनाए गए फैसले में 117 मज़दूर बरी हुए, नेतृत्वकारी 13 मज़दूर साथियों को उम्र क़ैद की सजा तथा 18 साथियों को आंशिक सजा मिली थी।

उसी दमन के परिणामस्वरूप करीब ढाई हजार स्थाई-अस्थाई मज़दूरों की अवैध बर्खास्तगी हुई थी। तबसे गुजरे एक दशक से मारुति मज़दूरों का संघर्ष जारी है।


आइए जानें मारुति मज़दूरों की संघर्ष गाथा- पहली क़िस्त

मारुति संघर्ष गाथा- पहली क़िस्त
दसवीं/आखरी किस्त

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