कविताएँ इस सप्ताह : मैं बोल सकती हूँ !
गरीब कौन है..? / हिमांशु कुमार जिसके पास खाने के लिए खाना! पहनने के लिए...
गरीब कौन है..? / हिमांशु कुमार जिसके पास खाने के लिए खाना! पहनने के लिए...
बेदख़ल / निलय उपाध्याय मै एक किसान हूँ अपनी रोजी नहीं कमा सकता इस गाँव...
बलात्कार का देश / मीना कंडासामी हाथरस में पुलिस ने बलात्कार पीड़ित का घर बैरिकेड...
भगतसिंह / नागार्जुन अच्छा किया तुमने भगतसिंह, गुजर गये तुम्हारी शहादत के वर्ष पचास मगर...
अल-फ़ाग़ोमी के नाम से प्रसिद्ध मिस्र के क्रान्तिकारी कवि अहमद फ़ोआद नेग़्म (1929-2013) की दो...
मातृभाषा प्रेम पर दोहे / भारतेंदु हरिश्चंद्र निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल...
अँधेरे से भरी, धुँधली, सँकरी प्रदीर्घ कॉरिडार और पत्थर की दीवारें। ऊँची घन की गहरी...
नचिकेता / महेश पुनेठा मैं सात-समुद्र पार की बात नहीं कर रहा हूँ एक तरफ...
तुम्हारे हाथ और उनके झूठ के बारे में / नाज़िम हिकमत तुम्हारे हाथ पत्थरों की...
इस व्योपारी को प्यास बहुत है / गिरीश चंद्र तिवाड़ी ‘गिर्दा’ एक तरफ बर्बाद बस्तियाँ...