साहित्य/सिनेमा

फिल्मों में दिलीप कुमार दमित-मेहनतकश की पीड़ा के प्रतीक भी थे

“सबको मिले मेहनत के मुताबिक अपना अपना हिस्सा” बीते 7 जुलाई को अभिनेता दिलीप कुमार...

कविताएं इस सप्ताह : मैदान पर पत्तियां सूख रही हैं !

भूख / कुमार विश्वबंधु भूख जरूरी है खाना खाने के लिए खाना जरूरी है जिन्दा...

इस सप्ताह की कविता : गरीब अब गहरे जाल में फंस गए हैं !

यही मौका है / नबारुण भट्टाचार्य (अनुवाद – लाल्टू) यही मौका है, हवा का रुख...

इस सप्ताह : भवानी प्रसाद मिश्र की कविताएँ !

एक आगमन आता है सूरज तो जाती है रात किरणों ने झाँका है होगा प्रभात...

मारुति की 2012 की घटना की याद दिलाती रमेश उपाध्याय की एक कहानी

“हम किस देश के वासी हैं“ प्रसिद्ध साहित्यकार रमेश उपाध्याय का कोरोना और अस्पताल की...

कविताएँ इस सप्ताह : यदि तुम नहीं मांगोगे न्याय !

यदि तुम नहीं मांगोगे न्याय / कुमार अंबज यह विषयों का अकाल नहीं है यह...

कविताएँ इस सप्ताह : वाह रे बिल्ला-रंगा !

शववाहिनी गंगा / पारुल खख्खर (गुजराती से अनुवाद : इलियास शेख) एक-साथ सब मुर्दे बोले...

भूली-बिसरी ख़बरे