साहित्य/सिनेमा

भारत में किसानों की अंतहीन दुर्दशा की कहानी : दो बीघा जमीन

सिनेमा : आइए सार्थक फिल्मों को जानें-7 “दो बीघा जमीन” भारतीय सिनेमा की उन शुरुआती...

इस सप्ताह की कविताएँ : भूख से जूझते लोग (भाग-2)

रोटी और कालजयी कविता / रविन्द्र कुमार दास सिर्फ़ भूखा व्यक्ति जानता हो रोटी का...

“गमन” : प्रवासी मेहनतकशों के दर्द की दास्तान

सिनेमा : आइए सार्थक फिल्मों को जानें-6 कोरोना/लॉकडाउन के बीच पलायन का जो दर्द समाज...

इस सप्ताह की कविताएँ : भूख से जूझते लोग (भाग-1)

भूख / नरेश सक्सेना भूख सबसे पहले दिमाग़ खाती है उसके बाद आंखें फिर जिस्म...

यथार्थ की जमीन से सामना कराती है “आर्टिकल-15”

सिनेमा : आइए सार्थक फिल्मों को जानें-5 जब हिन्दी में लगभग 90 प्रतिशत फिल्में फूहड़...

“मशीनें बेशुमार पैदावार करती है, लेकिन हम कंगाल हैं”

महान फ़िल्मकार चार्लिन चैपलिन के महत्वपूर्ण फिल्म ‘द ग्रेट डिक्टेटर’ में दिया गया एक भाषण…...

एक बेहतरीन ब्लैक कॉमेडी फिल्म : न्यूटन

सिनेमा : आइए बेहतरीन फिल्मों को जानें-4 गंभीर विषय पर बनी हल्की फुल्की फिल्म “न्यूटन”...

“मिर्च मसाला” : महिलाओं के प्रतिरोध और संघर्ष की गाथा

सिनेमा : आइए बेहतरीन फिल्मों को जानें-3 यूं तो भारत में औरतों के संघर्ष और...

इंसानी जज़्बे और जीवटता की मिसाल है “मांझी : द माउंटेन मैन”

सार्थक सिनेमा : आइए, बेहतरीन फिल्मों से अपने को जोड़ें… सकारात्मक फ़िल्में वे होतीं हैं,...

निराशा के दौर में उम्मीद देती फिल्म- “मैं आज़ाद हूँ”

फिल्म आम आदमी की बात करती है और बताती है कि इस दुनिया की हर...

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