सप्ताह की कविता : फ़िरकापरस्ती के ख़िलाफ़ 5 कविताएँ !
साम्प्रदायिक फसाद / नरेन्द्र जैन रोजी रोटी का सवाल खड़ा करती है जनता शासन कुछ...
साम्प्रदायिक फसाद / नरेन्द्र जैन रोजी रोटी का सवाल खड़ा करती है जनता शासन कुछ...
नया साल मुबारक / हूबनाथ नया साल मुबारक हो उन्हें भी जिनके खेत खलिहानो पर...
शासक होने की इच्छा / राजेश जोशी वहाँ एक पेड़ था उस पर कुछ परिंदे...
देश सुरक्षित हाथों में है ! / आदित्य कमल शासक कहता है – घबराओ मत...
रोटी माँग रहे लोगों से / बल्ली सिंह चीमा रोटी माँग रहे लोगों से, किसको...
जहाँ मैं साँस ले रहा हूँ अभी / नीलाभ जहाँ मैं साँस ले रहा हूँ...
औरतें / रमाशंकर यादव ‘विद्रोही’ कुछ औरतों ने अपनी इच्छा से कुएं में कूदकर जान...
कर दो उन सभी का एनकाउंटर / स्वाति सरिता कर दो उन सभी का एनकाउंटर...
सबसे खतरनाक होता है, हमारे सपनों का मर जाना / पाश सबसे खतरनाक होता है,...
इसलिए राह संघर्ष की हम चुनें / वशिष्ठ अनूप इसलिए राह संघर्ष की हम चुनें...