मज़दूर सत्याग्रह: डॉल्फिन,लुकास टीवीएस, इंटरार्क, करोलिया मज़दूरों की कार्यबहाली हो; श्रम कानून लागू हो!

संयुक्त रूप से बड़े आंदोलन की चेतावनी। डॉल्फिन मजदूर संगठन के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष आदि पर गुंडों द्वारा कायराना जानलेवा की निंदा के साथ गुंडों की गिरफ्तारी की मांग की गई।
रुद्रपुर (उत्तराखंड)। पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत आज रविवार को डॉल्फिन मजदूर संगठन के आह्वान पर गांधी पार्क रुद्रपुर में मजदूर सत्याग्रह का का आयोजन किया गया। कार्यक्रम लुकास टीवीएस मजदूर संघ के धरना स्थल पर आयोजित हुआ |
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड में सिडकुल के तहत स्थापित कम्पनियों में शासन द्वारा घोषित न्यूनतम वेतनमान का भुगतान भी नहीं किया जा रहा है, जिसके खिलाफ सिडकुल पंतनगर और हरिद्वार में दर्जनों कम्पनियों के दसियों हजार मजदूरों ने जुझारू आंदोलन और हड़ताल की।
पंतनगर सिडकुल में डॉल्फिन ग्रुप की पांच कम्पनियों के हजारों मजदूर इसकी मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलनरत हैं। मैनी कम्पनी से लेकर कई कम्पनियों के मजदूर इसके लिए श्रम भवन में निरंतर प्रदर्शन कर रहे हैं। किन्तु शासन प्रशासन, श्रम विभाग को न्यूनतम वेतनमान हेतु उत्तराखंड शासन द्वारा जारी शासनादेश को लागू कराने में तनिक भी रूचि नहीं है।
भारत के सुप्रीम कोर्ट द्वारा समय-समय पर अनगिनत आदेश जारी करके स्पष्ट किया है कि मजदूरों को शासन द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतनमान का भुगतान नहीं करने का कृत्य भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23, 42 और 43 का और मजदूरों के मानवाधिकार का घोर उल्लंघन है। किन्तु विडंबना यह है कि संविधान की शपथ लेने वाले लोग ही आज भारतीय संविधान और सुप्रीम कोर्ट के उक्त आदेशों के उक्त उल्लंघन करने पर कम्पनी मालिकों के वाहक बने हुए हैं। न्याय मांग रहे मजदूरों पर ही पुलिस फर्जी मुकदमा दर्ज करके जेल भेज रही है।
सिडकुल में ठेका और अस्थाई मजदूरों को नियमानुसार बोनस भी नहीं दिया जाता है। कम्पनी मालिकों द्वारा संविदा श्रम अधिनियम 1970 का और ठेकेदारों के लाइसेंस का खुला उल्लंघन करके ठेका और अस्थाई मजदूरों को मुख्य उत्पादन गतिविधियों में गैरकानूनी रूप से नियोजित करके जान माल से खिलवाड़ किया जा रहा है।
स्थाई काम का स्थाई रोजगार और समान काम का समान वेतन भुगतान से सम्बंधित कानूनों और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का घोर उल्लंघन किया जा रहा है।
डॉल्फिन, इंटरार्क, लुकास टीवीएस और करोलिया सहित अनगिनत कम्पनियों के मालिकों द्वारा श्रम विभाग और जिला प्रशासन की मध्यस्थता हुए समझौतों को और श्रम न्यायालय, लोक अदालत और उच्च न्यायालय के आदेशों का घोर उल्लंघन करके अनगिनत मजदूरों को बर्खास्त और निलंबित कर दिया है। मजदूरों के मांगपत्रों पर सुनवाई नहीं की जा रही है। कुल मिलाकर मजदूरों के श्रम और संवैधानिक अधिकारों, मानवाधिकारों को बेरहमी से कुचला जा रहा है।
सभी वक्ताओं ने एक स्वर मांग की कि सिडकुल में न्यूनतम वेतनमान लागू किया जाये, ठेका अस्थाई सहित सभी मजदूरों को नियमानुसार बोनस दिलाया जाये। ठेकेदारों के लाइसेंस का दुरूपयोग करने वाले कम्पनी मालिकों और ठेकेदारों के खिलाफ सिविल कोर्ट में मुकदमा दर्ज हो और ठेकेदारों के लाइसेंस को तत्काल निरस्त किया जाये। स्थाई काम पर लगे सभी ठेका और अस्थाई मजदूरों को स्थाई किया जाये और उन्हें स्थाई मजदूरों के बराबर वेतन दिया जाये।
डॉल्फिन, लुकास टीवीएस, इंटरार्क और करोलिया सहित सभी कम्पनियों में समस्त निष्कासित और निलंबित मजदूरों की सवेतन कार्यबहाली कराई जाये। मजदूरों के मांगपत्रों पर तत्काल सकारात्मक सुनवाई कराई जाये और मजदूरों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में दर्ज समस्त मुकदमे निरस्त करने की मांग की गई।
मजदूरों की उक्त समस्याओं के समाधान ना होने पर श्रमिक संयुक्त मोर्चा के बैनर तले संयुक्त रूप से ब्यापक और कड़े कदम उठाने की चेतावनी दी गई और डॉल्फिन मजदूर संगठन के अध्यक्ष ललित कुमार और उपाध्यक्ष सोनू कुमार आदि पर आज गुंडों द्वारा कायराना रूप से जानलेवा हमला किया गया इसकी सबने कड़े शब्दों में निंदा की गई और हमालवर गुंडों की गिरफ्तारी की मांग की गई।
मजदूर सत्याग्रह को श्रमिक संयुक्त मोर्चा अध्यक्ष दिनेश तिवारी, भारतीय मजदूर संघ के जिलाध्यक्ष गणेश मेहरा, क्रान्तिकारी लोक अधिकार संगठन के शिवदेव सिंह, लुकास टीवीएस मजदूर संघ के कार्यकारी अध्यक्ष हरीश अधिकारी, इंकलाबी मजदूर केंद्र के कैलाश भट्ट, दलजीत सिंह अध्यक्ष इट्रार्क मज़दूर संगठन, ऊधम सिंह नगर, कनक रॉकेट रिद्धि सिद्धि कर्मचारी संगठन, सुब्रत विस्वास सी एन जी टेंपो यूनियन व समाज सेवी, धीरज जोशी महासचिव मज़दूर सहयोग केंद्र, उत्तराखंड, ललित मटियाली भाकपा माले, भाईचारा एकता मंच से के पी गंगवार, रानेमद्रास इम्प्लाइज यूनियन, इट्रार्क मज़दूर संगठन किच्छा, आदि ने सम्बोधित किया।
कार्यक्रम में सैंकड़ो की संख्या में मजदूर और महिलाएं शामिल थीं।
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