दो दिवसीय हड़ताल के पहले दिन बंद का व्यापक असर; 29 मार्च को भी रहेगा जारी
बैंकों, बीमा, कोयला, स्टील, तेल, तांबा, दूरसंचार, डाक कर्मियों के अलावा निजी क्षेत्र के मज़दूर, स्कीम वर्कर, निर्माण मज़दूर भी हड़ताल में शामिल रहे और नए लेबर कोड व निजीकरण का विरोध किया।
केंद्रीय मज़दूर संगठनों ने सरकार की कामगार, किसान और जन-विरोधी नीतियों के विरोध में 28 और 29 मार्च, दो दिन की देशव्यापी मज़दूर हड़ताल की शरुआत आज तड़के सुबह से ही कर दी। हड़ताल के पहले दिन पूरे देश में 20 करोड़ से अधिक श्रमिक, कर्मचारी और ग्रामीण श्रमिक बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया।
बैंकों, भारतीय जीवन बीमा निगम सहित बीमा कंपनियों के कामगारों और कर्मचारियों ने भारत में कहीं भी अपने कार्यस्थलों में प्रवेश नहीं किया। कोयला, स्टील, पोस्ट, तेल, तांबा, दूरसंचार क्षेत्र आदि के कर्मचारी सुबह से हड़ताल पर जमे रहे। डाक कर्मियों के अलावा आल इंडिया ग्रामीण डाक सेवक यूनियन के सदस्य हड़ताल पर रहे। कई इलाकों में निजी क्षेत्र के मज़दूर भी हड़ताल में शामिल रहे।
देश के विभिन्न हिस्सों में चक्का जाम, रोड रोको, रेल रोको कार्यक्रमों में सैकड़ों स्थानों पर आंगनबाडी, आशा, मिड-डे मील और घरेलू कामगार, भवन निर्माण कामगार, बीड़ी और कृषि कार्यकर्ता, हॉकर-विक्रेता भी विरोध प्रदर्शन में भाग ले रहे हैं। कोयला क्षेत्र, खासकर कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के वजूद को खत्म करने वाली सरकार की नीतियों के विरोध में कर्मचारी खुलकर खड़े हुए हैं।
देशभर में हड़ताल का असर
महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश सहित तमाम राज्यों में बिजली कर्मचारी व इंजीनियर दो दिनी हड़ताल पर हैं। जबकि सरकार ने एस्मा लागू किया था। केरल राज्य संघों ने 27-28 मार्च की मध्यरात्रि से ही हड़ताल शुरू कर दी थी। रेलवे और रक्षा क्षेत्र के कर्मचारियों के देश भर में एक हजार से अधिक स्थानों पर जोरदार प्रदर्शन करने की खबर है।
रोड रोको, रेल रोको कार्यक्रमों के तहत देश के विभिन्न हिस्सों में चक्का जाम रहा। आंगनबाडी, आशा, मिड-डे मील और घरेलू कामगार, निर्माण, बीड़ी और कृषि कार्यकर्ता, हॉकर-विक्रेता विरोध प्रदर्शन में भाग लिया। हरियाणा में सड़क परिवहन कर्मचारियों ने एस्मा की अवहेलना करते हुए 28 मार्च की सुबह से डिपो पर धरना देकर अपनी हड़ताल शुरू कर दी।
केरल हाई कोर्ट ने केरल सरकार को आदेश दिया कि वह अपने कर्मचारियों को हड़ताल पर जाने से रोकने के लिए तत्काल निषेध आदेश जारी करें। इसके बावजूद केरल में सरकारी कार्यालय बंद रहने से सड़कें सुनसान नजर आईं। केरल राज्य सड़क परिवहन निगम (केएसआरटीसी) की सेवाएं प्रभावित हुईं।
तमिलनाडु, केरल, पुडुचेरी, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, असम, हरियाणा, झारखंड, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड आदि राज्यों में बंद जैसी स्थिति रही। हड़ताल का असर गोवा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पंजाब, बिहार, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, मेघालय और अरुणाचल प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में भी पर्याप्त है।
सिक्किम में भी सुरक्षाकर्मी हड़ताल पर चले गए हैं। दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, जम्मू-कश्मीर के औद्योगिक क्षेत्रों में हड़ताल की सूचना है। तमिलनाडु में 50000 सरकारी कर्मचारियों ने 300 स्थानों पर धरना दिया। आयकर विभाग के कर्मचारी भी हड़ताल में शामिल हो गए। मछुआरे भी सुबह समुद्र में नहीं गए।
सार्वजनिक क्षेत्र के राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड (आरआईएनएल) के करीब 8,000 कर्मचारियों के देशव्यापी हड़ताल में शामिल हो जाने से विशाखापटनम स्थित स्टील संयंत्र में उत्पादन प्रभावित हुआ।
मासा व एसकेएम भी समर्थन में उतरी
संघर्षशील यूनियनों-संगठनों के साझा मंच मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) ने इस हड़ताल का सक्रिय समर्थन किया है और हड़ताल को रस्मदायगी की जगह इसे निरंतर, जुझारू और निर्णायक संघर्ष में बदलने का भी आह्वान किया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने मजदूरों की मांगों के समर्थन में ग्रामीण क्षेत्रों में लामबंद की।
जबकि पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने बंद का विरोध करते हुए सभी कार्यालयों को खुले रहने को कहा है। इसके बावजूद हड़ताल और बंद का असर रहा। बीएमएस इस हड़ताल में शामिल नहीं है।
ट्रेड यूनियनों के मुताबिक हड़ताल के पहले दिन सभी सरकारी उपक्रमों को अपने अपने मुख्यलयों पर प्रदर्शन करने और कामबंदी का आवाहन किया गया है, जबकि दूसरे दिन 29 मार्च को संसद के पास जंतर मंतर पर केंद्रीय रूप से प्रदर्शन में शामिल होने को कहा गया है।
विभिन्न राज्यों में हड़ताल व प्रदर्शन की कुछ झलकियां
एनसीआर
देश की राजधानी दिल्ली और उसके आस पास के क्षेत्रों में भी हड़ताल का असर दिखा। एनसीआर में कर्मचारियों और असंगठित क्षेत्र के मज़दूरों ने हड़ताल में भाग लिया। इसमें नगर निगम, दिल्ली जल बोर्ड, बैंक, एलआईसी और साथ ही औद्योगिक मज़दूर, घरेलू कामगार महिलाएं और विश्विद्यालय के छात्र, शिक्षक, कर्मचारियों ने हड़ताल की और दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में जुलूस भी निकाले।
सुबह से ही यूनियनों ने औद्योगिक क्षेत्र में जाकर मज़दूरों से काम का बहिष्कार करने की अपील की और उसके बाद मज़दूरों ने एकत्रित होकर औद्योगिक क्षेत्रों में रैली भी की। नई दिल्ली में संसद भवन में वामपंथी और द्रमुक सांसदों ने गांधी प्रतिमा पर विरोध प्रदर्शन किया।
साहिबाबाद के साईट चार औद्योगिक क्षेत्र में सुबह आठ बजे से ही मज़दूर होली फेथ इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के समाने रास्ता रोकर बैठ गए थे। होली फेथ, इंड्यूरा प्रा लि सहित कई फैक्ट्रियो में कामबंदी की सुचना मिली। जबकि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी सेंट्रल इल्क्ट्रॉनिक्स लिमिटेड में मज़दूरों ने काली पट्टी बांधकर अपना विरोध जताया। हड़ताल में महिला मजदूरों ने भी भाग लिया।
दिल्ली जल बोर्ड के कर्मचारी भी देशव्यापी हड़ताल में पूर्णरूप से शामिल हुए। सैकड़ों की संख्या में जल बोर्ड के कर्मचारी जल बोर्ड के मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन किया।
झिलमिल और पटपड़गंज औद्दौगिक क्षेत्रों में जमुना पार संयुक्त ट्रेन यूनियन संघर्ष समिति के बैनर तले मजदूरों का विशाल जुलूस निकाला गया।
गौतम बुध नगर में हड़ताल के प्रथम दिन नोएडा में जुलूस व श्रम भवन पर विरोध प्रदर्शन हुआ। सिलारपुर भंगेल से भी जुलूस निकला। ग्रेटर नोएडा उद्योग विहार अनमोल इंडस्ट्रीज से जिलाधिकारी कार्यालय सूरजपुर ग्रेटर नोएडा जुलूस निकालकर जोरदार प्रदर्शन के साथ एसडीएम के माध्यम से देश प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश को संबोधित ज्ञापन दिए गए।
उत्तराखंड
रुद्रपुर। हड़ताल के पहले दिन श्रमिक संयुक्त मोर्चा उधम सिंह नगर के बैनर तले रुद्रपुर अंबेडकर पार्क में एक दिवसीय धरना प्रदर्शन हुआ जिसमें शिफ्टों के साथ सैकड़ों मजदूरों ने भागीदारी की। जिसमे मज़दूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) के घटक संगठनों मज़दूर सहयोग केंद्र व इंक़लाबी मज़दूर केंद्र ने भी पूर्ण भागीदारी निभाई।
पंतनगर। हड़ताल के समर्थन में इंकलाबी मजदूर केन्द्र, ठेका मजदूर कल्याण समिति व प्रगतिशील महिला एकता केंद्र द्वारा पंतनगर के पीपल चौराहा बड़ी मार्केट, से चकफेरी कालोनी, झा कालोनी मजदूर बस्तियों से होते हुए शहीद स्मारक पंतनगर तक जुलूस निकाला गया और सभा में मजदूर विरोधी कानून रद्द करने की मांग की गई।
हरिद्वार भेल मजदूर ट्रेड यूनियन संबंद्ध इंकलाबी मजदूर केंद्र हरिद्वार द्वारा हड़ताल के समर्थन में बीएचईएल फाउंड्री गेट के सामने सुबह 6:30 बजे से शाम को 3:30 बजे तक प्रदर्शन कर जमकर नारेबाजी हुई और मजदूर विरोधी श्रम कानूनों एवं सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण के विरोध में केंद्र सरकार का पुतला भी दहन किया गया!
नैनीताल में आशाओं ने गांधी चौक पर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया, सीएमओ कार्यालय तक जुलूस निकाला और सीएमओ के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा गया।
हरियाणा
अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के कर्मचारी दो दिवसीय हड़ताल पर चले गए। इसके तहत बिजली निगम, जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग, दमकल विभाग तथा नगर पालिका के सफाई कर्मचारी हड़ताल पर रहे। हरियाणा के रोडवेज कर्मी देशव्यापी दो दिवसीय हड़ताल में शामिल हुए, जिससे सार्वजनिक परिवहन सेवाएं बाधित हुईं। कर्मचारियों ने हड़ताल के दौरान अपने-अपने कार्यालयों के बाहर प्रदर्शन कर अपना विरोध दर्ज करवाया। इससे क्षेत्र में बिजली, पानी और सफाई व्यवस्था पर गहरा असर पड़ा।
कुरुक्षेत्र। जन संघर्ष मंच हरियाणा (घटक- मासा), निर्माणकार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन तथा मनरेगा मजदूर यूनियन के कार्यकर्ताओं ने मजदूर विरोधी श्रम संहिताओं व जनविरोधी निजीकरण, निगमीकरण, पाईपलाइन मुद्रीकरण, ठेका प्रथा को रद्द किये जाने, मनरेगा व निर्माण श्रमिक विरोधी सरकारी नीति के विरोध में देशव्यापी मजदूर हड़ताल में भाग लिया, समर्थन में कुरुक्षेत्र कोर्ट रोड से नये बस स्टैण्ड तक प्रदर्शन किया। नए बस अड्डा पर हड़ताल पर बैठे हरियाणा रोडवेज कर्मचारियों तथा ताज पार्क में धरने पर बैठे विभिन्न विभागों के कर्मचारियों के समर्थन में धरना में शामिल हुए।
कैथल। केंद्रीय ट्रेड यूनियन एवं मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा) के आह्वान जन संघर्ष मंच हरियाणा, मनरेगा मजदूर यूनियन व निर्माण कार्य मजदूर मिस्त्री यूनियन ने संयुक्त रूप से चीका के देवी लाल पार्क में सभा की।
गोहाना (सोनीपत) में प्रदर्शन
राजस्थान
देशव्यापी हड़ताल के समर्थन में क्रांतिकारी नौजवान सभा और जयपुर सफ़ाई मज़दूर यूनियन ने रैली निकाली और यूनियन की तरफ़ से कलेक्टर को ज्ञापन दिया।
उत्तरप्रदेश
निजीकरण की नीतियों के विरोध में बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल सोमवार से शुरू हो गई। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बताया कि देश के सभी प्रांतों के तमाम बिजली कर्मचारियों व इंजीनियरों ने भी केंद्र सरकार की निजीकरण की नीतियों के विरोध में आज से दो दिन की हड़ताल में प्रारम्भ कर दी है।
मेरठ में मज़दूर सहायता समिति घटक मासा द्वारा प्रदर्शन
आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट, वर्कर्स फ्रंट और मजदूर किसान मंच ने समर्थन देते हुए प्रदेश में विभिन्न जगहों पर प्रदर्शन किए। कार्यक्रमों में सीतापुर, सोनभद्र, चंदौली में प्रदर्शन हुए।
झारखंड
रांची। झारखंड में 2 दिनों की बंदी का खास असर रहा। इस दौरान बैंक, कल-कारखाने, उद्योग धंधे, कोल माइंस, आयरन ओर माइंस में सन्नाटा पसरा है। कोयला खदानों में माइनिंग और कोयले की लोडिंग नहीं हुई। मांगों को लेकर श्रमिक झंडा-बैनर के साथ डटे रहे। एचईसी में सिर्फ एक दिन हड़ताल रहा। इसके कारण सरकारी कामकाज प्रभावित रहा।
सेल चासनाला कोलियरी के मजदूरों ने संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले कोलियरी का चक्का जाम कर दिया और हड़ताल पर चले गए। झारखंड राज्य अराजपत्रित कर्मचारी संघ ने समर्थन में कार्यालय परिसर में जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया। स्वास्थ्य कर्मियों ने भी हड़ताल का समर्थन किया है।
झारखंड के कोल सेक्टर में राष्ट्रव्यापी हड़ताल का व्यापक असर रहा। माइंस में कई जगहों पर कोयले का खनन प्रभावित हुआ है। कोयला का उठाव भी नहीं हुआ। कामगार झंडा-बैनर के साथ माइंस पर जमे रहे। कोलियरी के अलावा दूसरे माइंस इलाके में भी हड़ताल का असर रहा।
बिहार
दरभंगा। निजीकरण के खिलाफ बैंक व एलआईसी कर्मियों की हड़ताल से ताला लटके रहे और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी हुई। प्रदेश के स्वास्थ्य कर्मी भी हड़ताल पर हैं।
रोहतास। 4 लेबर कोड के विरोध में तथा अन्य मांगों को लेकर 28-29 मार्च की दो दिवसीय अखिल भारतीय मज़दूर हड़ताल के अवसर पर ट्रेड यूनियन संघर्ष समन्वय समिति ने सासाराम, रोहतास, बिहार में प्रदर्शन किया। इसमें ग्रामीण मज़दूर यूनियन, बिहार ने भी भागीदारी की। इसके साथ अन्य जगहों पर भी ग्रामीण मज़दूर यूनियन, बिहार ने जुलूस निकालकर प्रदर्शन किया।
हिमाचल
विभिन्न कार्य क्षेत्रों में कार्यरत मजदूरों व केंद्रीय कर्मचारियों ने हड़ताल की। सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील व्यवस्था प्रभावित रही। मंगलवार को भी ट्रेड यूनियनों की हड़ताल जारी रहेगी।
शिमला, चंबा, तीसा, चुवाड़ी, धर्मशाला, हमीरपुर, ऊना, बिलासपुर, मंडी, सरकाघाट, जोगिंद्रनगर, बालीचौकी, कुल्लू, आनी, सैंज, सोलन, दाड़लाघाट, नालागढ़, बद्दी, बरोटीवाला, परवाणू, नाहन, शिलाई, ठियोग, रामपुर, रोहड़ू, कुमारसैन, निरमंड व टापरी में मजदूरों ने प्रदर्शन किया।
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल में राज्य की ममता सरकार ने भारत बंद का विरोध करते हुए सभी कार्यालयों को खुले रहने को कहा, लेकिन हड़ताल व बंद के साथ विभिन्न क्षेत्रों में प्रदर्शन हुए। ईसीएल में इंक्लाइन का कार्य ठप रहा। प्रदर्शनकारियों ने कई रेलवे ट्रैक ब्लॉक कर दिए। कोलकाता के जादवपुर में ऑटो रिक्शा तक खड़े रहे। सड़कों पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा।
छत्तीसगढ़
हड़ताल के कारण बैंक, बीमा, परिवहन, रेलवे, रक्षा व बिजली सेवाओं पर असर पड़ा। साथ ही छत्तीसगढ़ के केंद्रीय उपक्रमों सेल, एसईसीएल, एनएमडीसी, टेलीकाम में भी हड़ताल का असर देखने को मिल रहा है।
छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा द्वारा प्रदर्शन
प्रमुख माँगें-
श्रम संहिताएं वापस लेने, निजीकरण पर रोक लगाने, न्यूनतम मजदूरी 21 हजार रुपए करने, बिजली संशोधन बिल 2021 को रद्द करने, स्थायी और बारह मासी कामों क लिए ठेका प्रथा बन्द करने, समान काम पर समान वेतन और अन्य भत्ते देने, बोनस और प्रॉविडेंट फंड की अदायगी पर से सभी बाध्यता सीमा हटाने, ग्रैचुइटी का भुगतान 45 दिन प्रति साल के हिसाब से करने, आशा, अंगनबाड़ी, मिड डे मील, स्वास्थ्य मिशन जैसे स्कीम वर्कर को कर्मचारी का दर्ज देने, पुरानी पेंशन स्कीम की बहाली, मानरेगा में रोजगार की गारंटी, महँगाई पर लगाम लगाने आदि माँगें शामिल हैं।
जनविरोधी-मज़दूर विरोधी नीतियाँ रद्द हों!
भारत सरकार ने वर्ष 1990 में नई आर्थिक व औद्योगिक नीति उदारीकरण, निजीकरण, भूमंडलीकरण के जरिए देश को कारपोरेट घरानों व साम्राज्यवादी देशों को लूट के लिए खूली छूट दे दी है। कोयला, बिजली, रेल, सेल, एयर इंडिया व बंदरगाह समेत जनता के खून-पसीने से खड़े स्कूलों-कालेजों, अस्पतालों, बैंक-बीमा क्षेत्रों को औने-पौने दामों में सरकार की ओर से निजी हाथों में धड़ल्ले से सौंपा जा रहा है या फिर बंद किया जा रहा है।
मोदी सरकार ने कारपोरेट घराने को लूट और ज्यादा मुनाफा के लिए मजदूरों के संघर्ष और बलिदान के बल पर बने 44 श्रम कानून को समाप्त कर उसे चार लेबर कोड में तब्दील कर दिया है। इससे मजदूरों को आठ घंटे काम की अवधि को समाप्त कर श्रम क़ानूनी अधिकारों को समाप्त किया जा रहा है। चार लेबर कोड लागू होने से मालिकों को मनमाने तरीके से मजदूरों की छंटनी और शोषण को बड़े पैमाने पर करने का अधिकार मिल जाएगा।
कोरोना आपदा को पूँजीपतियों के अवसर में बदलकर मोदी सरकार मुनाफे की लूट को बेलगाम बना दिया है। देश में बढ़ती गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई ने मेहनतकश अवाम का जीना दूभर कर दिया है। वहीं अदानियों-अंबनियों की पूँजी तेजी से बढ़ रही हैं।
ऐसे में यह हड़ताल जरूरी है। लेकिन इसे सालाना रस्म बनाकर इसे मज़दूर वर्ग की व्यापक एकता से बड़े, सतत, जुझारू और निर्णायक संघर्ष की ओर बढ़ना होगा, तभी मुनाफे की इस लूट को खत्म किया जा सकता है।