जयपुर: सफाई मजदूरों ने जुलूस निकाल राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा

जयपुर, 28 मार्च: मज़दूर विरोधी चार श्रम संहिताओं, जनविरोधी नीतियों को रद्द करने; निजीकरण, सरकारी, संपत्तियों को बेचने व मज़दूरों के दमन के खिलाफ 2 दिवसीय हड़ताल के पहले दिन जयपुर सफाई मजदूर यूनियन की ओर से खासा कोठी से कलेक्ट्री सर्किल तक मार्च निकाला व विभिन्न मजदूर संगठनों की सामूहिक मजदूर सभा में भाग लिया और जयपुर सफाई मजदूर यूनियन की ओर से विभिन्न मांगों सहित राष्ट्रपति के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।

सफाई मजदूर यूनियन की ओर से कहा गया कि मज़दूरों द्वारा लंबे संघर्षों के दौरान हासिल 29 श्रम कानूनों को खत्म कर दिया जा रहा है। इससे मालिकों को मनमर्जी मज़दूरों को रखने-निकालने की खुली छूट, स्थाई रोजगार की जगह फिक्स टर्म करने, मनमाने काम के घंटे बढ़ाने, यूनियन और हड़ताल के वैधानिक अधिकारों पर अंकुश लगाने, वेतन निर्धारण के मानदंडों को ध्वस्त करने, श्रम अधिकारियों व श्रम न्यायालय के अधिकारों को ध्वस्त करने सहित तमाम घातक प्रावधान शामिल हैं, इसलिए जनहित में चारों श्रम संहिताएं निरस्त कर मजदूरों के हित में कानून बनाए जाएं। केंद्र सरकार द्वारा देश के तमाम सरकारी संस्थाओं, जल, जंगल, जमीन आदि को पूंजीपतियो को बेचा जा रहा है जबकि देश में बेरोजगारी ऐतिहासिक रूप से चरम पर है।

यूनियन ने ज्ञापन में मांग की है कि जनहित में चारों श्रम संहिताएं निरस्त करते हुए श्रमिक हित में श्रम क़ानून बनाया जाए, न्यूनतम वेतन 25 हजार किया जाए, सरकारी/सार्वजनिक उद्यमों व संपत्तियों को बेचने पर तत्काल रोक लगे, महँगाई पर तत्काल लगाम लगाया जाए, देश में जातिगत और धार्मिक उन्माद फैलाने वालों पर कार्रवाई करते हुए अनुसूचित जाति – जनजाति और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा पर रोक लगाई जाए, सफ़ाई कर्मचारियों को सेवा में नियमित करते हुए ठेका प्रथा पर रोक लगाई जाए।

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