नीमराना: मज़दूर आक्रोश रैली के जरिए 28-29 मार्च के राष्ट्रव्यापी हड़ताल को सफल बनाने का आह्वान

28-29 मार्च देश्व्यापी मजदूर हड़ताल के एक दिन पहले आज 27 मार्च नीमराना औद्योगिक क्षेत्र में “मजदूर संघर्ष समिति, अलवर” के तरफ से नीमराना हीरो मोटोकॉर्प प्लांट चौक से अंबेडकर पार्क तक 6 किलोमीटर लम्बी “मजदूर चेतावनी रैली” और अंबेडकर पार्क मे मजदूर सभा का आयोजन किया गया।

रैली और सभा में श्रम कोड, ठेका प्रथा, यूनियन पर हमला, पुलिसिया दमन, निजीकरण के खिलाफ आवाज़ बुलंद किया गया। स्थायी काम पर स्थायी मजदूर, यूनियन का अधिकार, 25 हज़ार रुपये न्यूनतम मजदूरी, सामाजिक सुरक्षा के लिए, तथा मज़दूरों के इलाकाई एकता के लिए आवाज बुलंद किया गया।

मजदूर संघर्ष समिति के घटक यूनियन के तरफ से डाईकिन एयर कंडीशनिग मजदूर यूनियन, डायडो मजदूर यूनियन, रूचि बियर मजदूर यूनियन, ऑटोनीम मजदूर यूनियन, टयोडा गोसाई यूनियन, ड्यूरो लाइन यूनियन आदि यूनियनों के मजदूर साथियों ने रैली और सभा में भाग लिया ।

सभा में इन यूनियनों के पदाधिकारीयों के साथ साथ मारुती सुज़ुकि वर्कर्स् यूनियन, मानेसर के महासचिव संजय, सीटू से जी एस मजुमदार, वी एस राणा, एटक से तेजपाल सैनी, इंटक से जगजीवन गुर्जर, मजदूर सहयोग केंद्र से अमित ने सभा को सम्बोधित किया। मजदूर संघर्ष समिति के तरफ से मनमोहन ने सभा का संचालन किया।

देश के पूंजीपति वर्ग ने मोदी सरकार के सहयोग से आज मज़दूर वर्ग और मेहनतकश जनता पर 1947 के बाद से सबसे बड़ा हमला बोल दिया है। सदियों से संघर्ष करके, हजारों मज़दूरों की कुर्बानी के बाद मज़दूर वर्ग ने जिन अधिकारों को हासिल किया था – स्थायी काम पर स्थायी नौकरी, आठ घंटा काम, यूनियन बनाने और संगठित होने का अधिकार, हड़ताल का अधिकार, नौकरी की सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा का अधिकार, जायज न्यूनतम मजदूरी का अधिकार – आज इन सब को छिना जा रहा है।

पुराने श्रम कानूनों को ख़त्म कर 4 नए श्रम कोड पारित किए गए हैं, जिनको 1 अप्रैल 2022 से लागु करने की तैयारी चल रही है। यह श्रम कोड असल में मज़दूरों के मुलभुत अधिकारों को छिनकर उन्हें बंधुआ मज़दूर बनाने की साज़िश है।

साथ में, मोदी सरकार आज तमाम सार्वजनिक संपत्तियों, जैसे रेल, हवाई अड्डा, बंदरगाह, तेल, टेलिकॉम, बिजली सब पूंजीपतियों के हवाले कर के देश को बेच रही है।

इन सबके खिलाफ देश के केन्द्रीय ट्रेड यूनियनों ने आगामी 28-29 मार्च 2022 को देशव्यापी मज़दूर हड़ताल का आह्वान किया है। मज़दूर संघर्ष समिति, अलवर – जो नीमराना तथा अलवर की अलग अलग संघर्षशील यूनियनों का मंच है – इस हड़ताल का समर्थन करता है।

आज रस्म अदायगी नहीं बल्कि हड़ताल को मज़दूर वर्ग के जुझारू, निरंतर और निर्णायक संघर्ष में तब्दील करने की ज़रूरत है।

हमने अपने अनुभव से पिछले सालों में देखा है कि कैसे जापानी ज़ोन सहित पुरे नीमराना क्षेत्र में मज़दूरों को बंधुआ बनाने की प्रक्रिया चल रही है। जापानी ज़ोन में डाईकिन, डायडो जैसे करखानों में यूनियन पंजीकरण होने के वावजूद यूनियन को मान्यता नहीं दी जा रही है। विदेशी पूंजी के मुनाफ़े के लिए देश के श्रम कानूनों को पहले से ही ख़त्म कर दिया गया है, और सरकार-पुलिस-प्रशासन कंपनी मालिक के पक्ष में खड़ी हो गयी है।

2019 में डाईकिन मज़दूरों पर पुलिस और बाउंसरों का हमला, और मज़दूरों को ही झूठे मुक़दमे में जेल में डाल देना हम देख चुके हैं। झूठे केस वापस लेने, गैरकानूनी रूप से निकाले गए मज़दूरों को वापस लेने और यूनियन की मान्यता के मुद्दों पर डाईकिन मज़दूर अब भी लड़ रहे हैं। होली के पहले डायडो के संघर्षशील मज़दूर नेताओं को प्लांट से पुलिस द्वारा उठा लेना भी हमने देखा है।

नीमराना पूंजीपति संघ ने खुलेआम बता दिया है कि इधर कोई भी यूनियन नहीं बनने देंगे। गैरकानूनी तालाबंदी करके रूचि बियर के मज़दूरों को सड़कों पर धकेल दिया गया है। रूचि बियर के मज़दूर आज अपने धरना स्थल पर संघर्षरत हैं। गैरकानूनी छटनी के खिलाफ सालों से टोयोडा गोसाई के मज़दूर संघर्ष कर रहे हैं, ऑटोनीम के मज़दूर भी लड़ रहे हैं। हीरो मोटोकॉर्प जैसी कंपनी में स्थायी काम पर सालों से अस्थायी मज़दूर कार्यरत हैं, इस कम्पनी में एक भी स्थायी मज़दूर नहीं है।

आज ठेका और अस्थायी मज़दूर पुरे इलाके में दयनीय स्थिति में हैं। नीम और स्टूडेंट ट्रेनी, अपरेंटिस के नाम पर कंपनी फ़ोकट के मज़दूरों से काम चला रही है और इनको मज़दूरों का दर्जा और अधिकार भी नहीं दे रही है। महिला मज़दूरों के अधिकार व सुरक्षा भी संकट में हैं।

हाल में डायडो में एक महिला मज़दूर द्वारा सुपरवाइजर पर यौन शोषण का आरोप उठाने पर महिला मज़दूर को ही तत्काल काम से निकाल दिया गया। नए श्रम कोड लागु होने से पहले ही इसका वास्तविक प्रयोग हमनीमराना की जमीन पर देख रहे हैं।

हमारी मांगे —
·         चार श्रम कोड वापस लो! मज़दूरों को गुलाम बनाने का साज़िश बंद करो!
·         ठेकाप्रथा ख़त्म करो! स्थायी काम पर स्थायी मज़दूर और समान काम का समान वेतन लागु करो! सभी अस्थायी मज़दूरों को स्थायी करो!
·         यूनियन गठन के क़ानूनी अधिकार को मान्यता दो! प्लांट में सभी स्थायी और अस्थायी मज़दूरों की एक ही यूनियन बनने पर से रोक हठाओ!
·         25,000 रुपये न्यूनतम मजदूरी लागु करो!
·         गैरकानूनी छटनी-तालाबंदी नहीं सहेंगे! गैरकानूनी रूप से निकाले गए सभी मज़दूरों को काम पर वापिस लो!
·         मज़दूर पर पुलिस-प्रशासन का दमन बंद करो! मज़दूरों पर थोपे गए सभी झूठे मुक़दमे वापिस लो!
·         सार्वजनिक संपत्ति को बेचना बंद करो!
·         महंगाई पर रोक लगाओ! सार्वजनिक राशन व्यवस्था लागु करो! मज़दूरों के बच्चों और परिवारों के लिए मुफ्त शिक्षा-इलाज-आवास सुनिश्चित करो!
·         क्षेत्र-जात-धर्म की नफरती राजनीति से मज़दूरों को बाँटना बंद करो!

मज़दूर संघर्ष समिति, अलवर

भूली-बिसरी ख़बरे