मज़दूर अधिकारों पर हमलों के विरुद्ध संघर्ष होगा तेज

लुधियाना में मज़दूर संगठनों की संयुक्त मीटिंग में हुआ निर्णय

लुधियाना (पंजाब)। कारखाना मज़दूर यूनियन व टेक्सटाइल हौजरी कामगार यूनियन ने पूँजीवादी शासकों के मज़दूर अधिकारों पर हमलों के विरुद्ध संघर्ष तेज़ करने का निर्णय लिया है। इसके तहत 18 अक्तूबर को ‘श्रम क़ानूनों में संशोधन – मोदी हुक़ूमत का मज़दूर वर्ग पर भयानक हमला’ विषय पर सेमिनार होगा। 8 नवंबर को मज़दूरों के माँग-मसलों संबंधी ‘मज़दूर पंचायत’ और सघन प्रचार व लामबंदी अभियान चलेगा।

11 अक्टूबर को कारखाना मज़दूर यूनियन व टेक्सटाइल हौजरी कामगार यूनियन के प्रतिनिधियों की जमालपुर कोलोनी, लुधियाना में हुई बैठक के बाद जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में टेक्सटाइल हौजरी कामगार यूनियन के अध्यक्ष राजविंदर ने बताया कि मीटिंग में पूँजीवादी शासकों के मज़दूर अधिकारों पर हमलों के विरूद्ध संघर्ष तेज़ करने संबंधी ज़रूरी फै़सले लिए गए हैं।

18 अक्तूबर को ‘श्रम क़ानूनों में संशोधन – मोदी हुक़ूमत का मज़दूर वर्ग पर भयानक हमला’ विषय पर सेमिनार डॉ. अंबेडकर धर्मशाला, जमालपुर अवाना में दोपहर 2 से 5 बजे तक होगा। संगठनों ने अगले महीने 8 नवंबर को मज़दूरों के माँग-मसलों संबंधी ‘मज़दूर पंचायत’ करने का फैसला भी लिया है। ‘मज़दूर पंचायत’ के लिए बीस दिन सघन प्रचार व लामबंदी अभियान चलाया जाएगा।

मीटिंग में यूनियनों द्वारा लॉकडाउन के दौरान गठित ‘जागरूकता एवं सहायता कमेटी, लुधियाना’ द्वारा किए गए राहत कार्यों की दो महीने तक चली मुहिम का लेखा-जोखा किया गया। राहत कार्यों के लिए देश-विदेश से सह्रदय लोगों के सहयोग से संगठनों ने भुखमरी का सामना कर रहे हज़ारों गरीब लोगों को 6,50,647 रूपए के राशन व भोजन की सहायत पहुँचाई।

श्रम क़ानूनों में संशोधन के ख़िलाफ़ सेमिनार

पिछले महीने मोदी हुकूमत ने तीन नए मज़दूर विरोधी श्रम क़ानून बनाए हैं। ये श्रम क़ानून हैं – (1) सामाजिक सुरक्षा क़ानून 2020, (2) आजीविका सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यदशा संहिता क़ानून 2020 और (3) औद्योगिक संबंध संहिता क़ानून 2020। इससे पहले पिछले वर्ष अगस्त में वेतन संबंधी कोड बनाया गया था। ये क़ानून पहले से मौजूद 44 श्रम क़ानूनों के स्थान पर बनाए गए हैं।

नए श्रम क़ानूनों के ज़रिए मोदी हुकूमत ने आठ घंटे कार्यदिवस, न्यूनतम वेतन, रोज़गार की गारंटी, यूनियन बनाने, हड़ताल करने आदि अधिकारों पर भीषण हमला किया है। कोरोना की आड़ में पिछले समय में विभिन्न पार्टियों की राज्य सरकारों ने भी क़ानूनी श्रम अधिकारों पर भीषण हमले किए हैं। अब मोदी हुकूमत ने कोरोना को बहाना बनाकर लगाई गई पाबंदियों का फ़ायदा उठाकर श्रम अधिकारों के ख़ात्मे के लिए यह बड़ा और ख़तरनाक क़दम उठाया है।

मज़दूर वर्ग पर पूँजीपति वर्ग का हमला बहुत भीषण है, लेकिन दुखद स्थिति यह है कि मज़दूर वर्ग इन हमलों से बड़े स्तर पर अनजान है। मज़दूरों को इस सबसे परिचित कराना होगा, ताकि इसके खिलाफ़ मज़दूर वर्ग का विशाल आंदोलन खड़ा किया जा सके और श्रम क़ानूनों में मज़दूर विरोधी संशोधनों को रद्द करवाया जा सके।

इस उद्देश्य से कारख़ाना मज़दूर यूनियन, पंजाब और टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन, पंजाब द्वारा संयुक्त तौर पर 18 अक्टूबर 2020 को इस विचार-गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है।

About Post Author

भूली-बिसरी ख़बरे