श्रमिक नेता दलजीत सिंह से एसएसपी द्वारा अभद्रता से श्रमिकों में आक्रोश; पुतला दहन, डीएम को ज्ञापन

मिलने गए प्रतिनिधि मण्डल के सदस्य श्रमिक संयुक्त मोर्चा कार्यकारी अध्यक्ष को एसएसपी द्वारा अपमानित करना, खौफ का माहौल बनाना बेहद निंदनीय व आक्रोश बढ़ाने वाली घटना है।
रुद्रपुर (उत्तराखंड)। डॉल्फिन श्रमिकों के पुलिस उत्पीड़न की शिकायत लेकर एसएसपी ऊधम सिंह नगर से मिलने गए श्रमिक संयुक्त मोर्चा ऊधम सिंह नगर के प्रतिनिधिमंडल से एसएसपी मंजूनाथ टी सी द्वारा बदसलूकी और मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष श्री दलजीत सिंह के साथ की गई अभद्रता के विरोध में मज़दूरों में आक्रोश बढ़ रहा है और प्रतिरोध तेज हो गया है।
अपमानजनक घटना के विरोध में 19 जून को गाँधी पार्क रुद्रपुर में श्रमिक संयुक्त मोर्चा की विशेष बैठक लुकास टीवीएस मजदूर संघ के धरना स्थल पर हुई, जहां इसपर क्षोभ प्रकट किया गया और विरोध स्वरूप सैकड़ो मजदूरों ने एसएसपी का पुतला दहन किया।
अभद्रता के विरोध में श्रमिक संयुक्त मोर्चा का एक प्रतिनिधिमंडल 20 जून को जिलाधिकारी ऊधम सिंह नगर से मिला और एक ज्ञापन देकर उचित कार्रवाई करने का अनुरोध किया।
बेहद निंदनीय घटना
श्रमिक संयुक्त मोर्चा के अध्यक्ष श्री दिनेश तिवारी व कार्यकारी अध्यक्ष श्री दलजीत सिंह के नेतृत्व में 18 जून को एक प्रतिनिधिमंडल एस एस पी ऊधम सिंह नगर से मिलने उनके कार्यालय में गया था। यह प्रतिनिधिमंडल संघर्षरत डॉल्फिन मज़दूर संगठन के अध्यक्ष ललित कुमार आदि पर हमला करने वाले गुंडा तत्वों के खिलाफ 16 जून 2024 को दी गई तहरीर सहित विभिन्न तहरीरों पर पुलिस द्वारा निष्पक्ष कार्यवाही करने की मांग को लेकर मिलने गया था।
इस दौरान एसएसपी महोदय ने प्रतिनिधिमंडल के साथी मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष दलजीत सिंह को क्रिमिनल, गुंडा कहकर अपमानित किया व उन्हें आफिस से बाहर कर दिया। उसके पश्चात डालफिन कम्पनी के घायल मजदूरों की तहरीर में दर्ज आरोपियों में डालफिन प्रबंधन का नाम हटाने को कहा।
उलीखनिय है कि श्री दलजीत सिंह श्रमिक संयुक्त मोर्चे के कार्यकारी अध्यक्ष और इंटरार्क मज़दूर संगठन के अध्यक्ष हैं और पिछले लंबे समय से प्रबंधन के शोषण व दमन के खिलाफ हक़ के लिए आंदोलन कर रहे थे। उनके आंदोलन में भी प्रशासन द्वारा करवाया गया समझौता कंपनी प्रबंधन लागू नहीं कर रहा है। इंटरार्क मज़दूरों के जुझारू संघर्षों के कारण दलजीत सिंह प्रशासन के लिए खटकते रहे हैं।
निश्चित रूप से यह बेहद निंदनीय घटना है। जिले के आला पुलिस अधिकारी द्वारा एक मज़दूर नेता को बेवजह अपमानित करना, अपने पद का रौब गाँठना, पीड़ित मज़दूरों को दबाने की कोशिश और खौफ का माहौल बनाना राज्य में बढ़ते पुलिसिया राज का एक उदाहरण मात्र है। इसका हर तरीके से विरोध जरूरी है, ताकि इस निरंकुशता पर अंकुश लग सके।
डॉल्फिन मज़दूरों पर जानलेवा हमला; पुलिस की मौन सहमति
ज्ञात हो कि रविवार 16 जून को शाम 4:00 से गांधी पार्क में डॉल्फिन मजदूरों द्वारा मजदूर सत्याग्रह का कार्यक्रम रखा गया था। जिसमें भागीदारी के लिए ललित, सोनू आदि डॉल्फिन मजदूर नेता घर से निकले थे कि राजा कॉलोनी में 8-10 गुंडों ने घेर कर उन पर अचानक जानलेवा हमला कर दिया। ललित को तो काफी चोटें आई।
इससे पहले भी 5 जून को और उससे ठीक एक माह पूर्व 5 मई 2024 को जब श्रमिक अपनी बैठक कर रहे थे, तब कंपनी प्रबंधन द्वारा अपने गुंडों को भेज कर महिलाओं से बत्तमीजी व छेड़खानी करने और मालिक प्रिंस धवन के आदेश पर मीटिंग कर रहे मजदूरों की अवैध वीडियोग्राफी की शिकायत करने पर ट्रांजिट कैम्प थाना पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज नहीं किया गया। उल्टा डॉल्फिन कम्पनी मालिक के इशारे पर ललित, सोनू कुमार और उनका समर्थन कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश भट्ट और राजेश सक्सेना पर ही फर्जी मुकदमा दर्ज कर लिया गया।
4 जून को डॉल्फिन कम्पनी में हो रहे श्रमिक उत्पीड़न, शोषण व गुंडागर्दी के खिलाफ मज़दूर पंचायत के आयोजन से पूर्व 3 जून को श्रमिक नेता ललित कुमार के घर में ललित की मां, पत्नी व छोटा भाई से पुलिस द्वारा बत्तमीजी की गई, घर पर बुलडोजर चलाने की धमकी भी दी गई। ललित के भाई को आवास विकास चौकी द्वारा उठा लिया गया। सामाजिक कार्यकर्ताओं और तमाम सारे लोगों के पहुंचने पर उसे छोड़ा गया।
इसी सबका विरोध करने के लिए श्रमिक संयुक्त मोर्चे का प्रतिनिधिमंडल एसएसपी महोदय से मिलने गया था, जिसमें क्षेत्र की विभिन्न यूनियनें, मज़दूर व सामाजिक संगठन शामिल थे। जहां एसएसपी द्वारा मज़दूर नेता के साथ दुर्व्यवहार किया गया। यही नहीं, एसएसपी महोदय द्वारा पीड़ित मजदूर को यह कहना कि डॉल्फिन कंपनी का नाम हटाओ तभी कार्रवाई की जाएगी, से स्पष्ट होता है कि कहीं ना कहीं पुलिस प्रशासन पर भी कंपनी प्रबंधन हावी है।
एसएससी महोदय की इस प्रकार मज़दूर प्रतिनिधियों के मनोबल तोड़ने की कार्यवाही का श्रमिक संयुक्त मोर्चे के प्रतिनिधिमंडल ने एक स्वर से विरोध किया।
आक्रोश: जिलाधिकारी से मिलकर दिया ज्ञापन
एसएसपी महोदय द्वारा मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष के साथ की गई अभद्रता के विरोध में पुतला दहन के साथ श्रमिक संयुक्त मोर्चा का प्रतिनिधि मण्डल द्वारा 20 जून को ऊधम सिंह नगर के जिलाधिकारी से मुलाकात कर उनको एक ज्ञापन दिया गया।
प्रतिनिधिमंडल की मांग:-
- एसएसपी महोदय दलजीत सिंह जी के साथ किये गए उक्त अभद्र और अशोभनीय आचरण हेतु सार्वजनिक रूप से खेद व्यक्त करें;
- डॉल्फिन कम्पनी के पीड़ित मजदूरों और महिलाओं द्वारा ट्रांजिट कैम्प थाने में दी गई तीनों तहरीरों और सिडकुल पंतनगर चौकी में दी गई अन्य दूसरी तहरीर पर तत्काल एफआईआर दर्ज की जाये और डॉल्फिन श्रमिकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं पर ट्रांजिट कैम्प थाने में 5 जून 2024 को दर्ज उक्त झूठी एफआईआर को निरस्त किया जाये। श्रमिक संयुक्त मोर्चा से जुड़ी यूनियनों के नेताओं, श्रमिक नेताओं पर दर्ज समस्त मुकदमे वापस लिए जाये;
- तहरीर से डॉल्फिन कम्पनी का नाम हटाने को एसएसपी महोदय और पुलिस द्वारा बनाये जा रहे दबाव पर तत्काल रोक लगवाई जाये;
- श्रमिकों को कानून के अनुसार ट्रांजिट कैम्प थाना पुलिस आरटीआई के तहत किये आवेदन का जवाब दे और आरटीआई कानून के उल्लंघन में लिप्त थाने के लोक सूचना अधिकारी को दण्डित किया जाये। डॉल्फिन कंपनी मालिक प्रिंस धवन के वायरल हुए ऑडिओ और गुंडों की वायरल हुई वीडियो को संज्ञान में लेकर तत्काल कार्यवाही की जाये;
- श्रमिक नेताओं का पुलिस द्वारा किये जा रहे उत्पीड़न पर तत्काल रोक लगाई जाये।
ज्ञापन देने वालों में श्रमिक संयुक्त मोर्चा, उधम सिंह नगर के कार्यकारी अध्यक्ष दलजीत सिंह, इन्कलाबी मज़दूर केन्द्र के दिनेश चंद्र, मज़दूर सहयोग केन्द्र के विजय कुमार, करोलिया लाइटिंग यूनियन के अध्यक्ष हरेन्द्र सिंह, सुब्रत कुमार विश्वास समाजसेवी, लुकास टीवीएस मजदूर संघ के महामंत्री बसंत गोस्वामी, भाकपा के राजेंद्र प्रसाद गुप्ता, भकप माले के ललित मटियाली, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन से शिव देव सिंह, ऑटो लाइन एम्पलाई यूनियन से दुर्गेश तिवारी, समता सैनिक दल के गोपाल गौतम आदि लोग शामिल रहे।
एएलसी से मिला मोर्चा, श्रम मंत्री को ज्ञापन
इससे पूर्व 18 जून को श्रमिक संयुक्त मोर्चा ऊधम सिंह नगर के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल सहायक श्रमायुक्त उधम सिंह नगर से मिला और डॉल्फिन, लुकास, करोलिया लाइटिंग, इंट्ररार्क आदि कंपनियों में चल रहे विवादों के समाधान के संदर्भ में, बढ़ा हुआ न्यूनतम वेतनमान लागू करने व कंपनी में चल रहे मांग पत्र के समाधान हेतु और स्थाई डीएलसी की नियुक्ति हेतु एक ज्ञापन श्रम मंत्री के लिए भेजा।