खनन में शतप्रतिशत एफडीआई के विरोध में मजदूर संगठन, 24 सितंबर को हड़ताल की चेतावनी

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आर्थिक विकास के नाम पर कोल उद्योग को बर्बाद करने की साजिश

नई दिल्ली। सरकार ने कोलया उद्योग में शतप्रतिशत एफडीआई लागू कर दिया है। इससे कोयला खनन और अनुबंध के क्षेत्र में विदेशी कंपनियों को लूटने की छूट मिल गई है। देश में आर्थिक गतिविधियों को तेज करने के नाम पर न सिर्फ कोलया उद्योग को बर्बाद किया जा रहा है, बल्कि लाखों कोलया मजदूरों से भी उनकी रोजी रोटी छीनने की साजिश रची जा रही है। इसके विरोध में कोयला क्षेत्र के सभी मजदूर संगठन हैं, उन्होंने 24 सितंबर से हड़ताल की चेतावनी दी है। हालांकि, आरएसएस समर्थित मजदूर संगठन भारतीय मजदूर संघ ने हड़ताल नहीं करने का निर्णय लिया है।

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देश के अधिकतर मजदूर संगठनों जैसे इंटक, एटक, सीटू, एचएमएस और एआईसीसीटीयू समेत अन्य श्रमिक संगठनों ने हड़ताल का समर्थन किया है। अखिल भारतीय कोयला श्रमिक संघ के महासचिव डी.डी. रामनंदन ने कहा, ‘‘ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) समर्थित भारतीय मजदूर संघ को छोड़कर सभी श्रमिक संगठनों ने 24 सितंबर की हड़ताल में हिस्सा लेने पर सहमति जतायी है।’’ कोल इंडिया के पांचों कर्मचारी संगठन करीब पांच लाख श्रमिकों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

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केंद्र सरकार को भेजे एक नोटिस में संगठनों ने कोल इंडिया और उसकी अनुषंगी ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड, सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड और महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड का मातृ कंपनी में विलय करने की मांग की है। श्रमिक संगठनों ने उनकी मांगें नहीं माने जाने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है। मालूम हो कि 28 अगस्त को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोल उद्योग में 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेश निवेश की छूट दे दी है।

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